राजकुमार गुप्ता 
वृन्दावन।मोतीझील स्थित अखंडानंद आश्रम (आनंद वृन्दावन) में आश्रम के संस्थापक स्वामी अखंडानंद सरस्वती महाराज का 113 वां जन्म महोत्सव आनंद जयंती के रूप में अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ मनाया गया।
सर्वप्रथम आचार्य विष्णुकांत शास्त्री महाराज के आचार्यत्व ने पूज्य महाराजश्री की प्रतिमा एवं गुरु चरण पादुकाओं का वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पूजन-अर्चन किया गया।तत्पश्चात संत-विद्वत सम्मेलन का आयोजन सम्पन्न हुआ।जिसकी अध्यक्षता करते हुए संत प्रवर स्वामी गोविंदानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि मन बुद्धि व शरीर की शक्ति की सीमा होती है।सन्त मातृ हृदय होते हैं।आनंद वृन्दावन आश्रम की परम्परा विश्व प्रतिष्ठित है।महाराजश्री के द्वारा रचित साहित्य का अवलोकन करने से उनका परिचय प्राप्त होता है।शरीर की पूजा इसलिए की जाती है,क्योंकि उसमें एक महान आत्मा का प्रवेश होता है।
आश्रम के अध्यक्ष आचार्य महन्त स्वामी श्रवणानंद सरस्वती महाराज व स्वामी महेशानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि थिरकते हुए आनंद का नाम ही श्रीकृष्ण हैं।महाराजश्री प्रेम व वैराग्य की साकार मूर्ति थे।संन्यास का जीवन दिव्यातिदिव्य है।महाराजश्री ब्रह्मनिष्ठा के साक्षात प्रतीक हैं।"पावन प्रसंग" में वर्णित संस्मरणों में महाराजश्री का परिचय प्राप्त होता है।भौतिक वस्तुओं से सुख की प्राप्ति नहीं होती बल्कि अपने को जान कर ही सुख की प्राप्ति सम्भव है। 
डॉ. स्वामी गोविंदानंद सरस्वती महाराज व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि महाराजश्री साक्षात प्रेम के स्वरूप थे। उनकी दृष्टि में सभी समान थे। भक्ति वेदांत की व्याख्या उन्होंने बड़े ही सहज रूप में की है। 
पूर्व प्राचार्य डॉ रामकृपाल त्रिपाठी ने कहा कि महापुरुषों की सदकीर्ति सतत सहज प्रवाहमान होती है।सद्गुरु हमारे दोषों को दूर कर बुद्धि को निर्मल करते हैं।ऐसा कोई विषय नहीं है जिस पर महाराजश्री ने न लिखा हो।
संगोष्ठी में पण्डित बिहारीलाल वशिष्ठ, बिहारीलाल शास्त्री,अखिलेश शास्त्री, रामकुमार त्रिपाठी, प्रेमानंद सरस्वती, जयकिशोर गोस्वामी ने विचार व्यक्त किये। 
इससे पूर्व स्वामी गोविंदानंद तीर्थ एवं आश्रम के अध्यक्ष स्वामी श्रवणानंद महाराज के कर कमलों द्वारा ग्रंथ "भागवत नारियां" का लोकार्पण किया गया।इस ग्रंथ में स्वामी अखंडानंद महाराज के प्रवचनों को सुश्री शमी टंडन ने संकलित किया है।
कार्यक्रम में आचार्य विष्णुकांत शास्त्री, विश्वात्मानंद,चिराग भाई शाह, सपना शाह, हेमंत सेठी, श्याम रामानी, आनंद शाह,संदीप शाह, नारायण दास बंसल,विपिन चावला, सोमदत्त द्विवेदी, आचार्य मनोज शुक्ला, डॉ. राधाकांत शर्मा, आनंदनंद, विजय दीक्षित, सुरेंद्र मुनि,विद्याधर तिवारी, दिवाकर मिश्रा, गुमान देव आदि उपस्थित थे।संचालन संत सेवानंद ब्रह्मचारी महाराज ने किया।

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