राजकुमार गुप्ता 
आगरा। बीआईएस यानी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड है जो भारत का राष्ट्रीय मानक संगठन है। इसके एक जुलाई से लागू होने से फुटवियर उत्पादों की बड़ी और छोटे स्तर की निर्माण इकाइयां और आयातकों को 24 उत्पादों में अनिवार्य गुणवत्ता मानकों का पालन करना होगा।

सुप्रशिद्ध, लोकप्रिय, राष्ट्रवादी सामाजिक चिंतक, वरिष्ठ समाजसेवी एवं जूता कारोबारी राजेश खुराना ने पत्रकारवार्ता में सरकार से अपील करते हुये कहा कि बीआईएस क़ानून में जूते के व्यापारी, जूते से जुड़ी फैक्ट्रियों छोटे छोटे कारखाने एवं जूते के लिए रॉ मेटेरियल बनाने एवं बेचने वालों और हाथ से बनने वाले जूता कारोबारियों, फुटवियर इंडस्ट्री की मांगों के अनुसार अति आवश्यक संसोधन किये जाए। फुटवियर इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का सरकार से अपील हैं कि अगर इस क़ानून में संसोधन न हुए तो आने वाले समय में छोटे - छोटे कारखाने, छोटी - बड़ी जूता फैक्ट्रियों पर ताले लग सकते हैं, और इससे बड़ी संख्या में बेरोजगारी बढ़ेगी तथा लाखों ग़रीब मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे तथा इससे घरों में चलने वाली 6 हजार से अधिक जूते के कारखानौ पर संकट खड़ा हो जाएगा और इससे छोटे - छोटे कारखाने स्वतः ही पूरी तरहा बर्बाद हो जाएंगे तथा रोज़ कमाने खाने वाले ग़रीब कारीगर,मजदूर और जूता सेक्टर से जुड़े लोगों के सामने रोज़ी रोटी का संकट खड़ा हो जायेगा। इसलिए बीआईएस में सुझावों के अनुसार आवश्यक बदलाव किया जाना चाहिए।

श्री खुराना ने बताया कि छोटे - छोटे कारखाने बीआईएस क़ानून की व्यवस्थाओं को लागू करने में समर्थ नहीं हो पाएंगे। वहीं, बीआईएस क़ानून लागू होने से तुरंत रॉमेटेरियल की लागतें अत्यधिक बढ़ जाएंगी और इससे जूते की कीमतें इतनी ज्यादा बढ़ जाएंगी कि जूता ग़रीब आदमी खरीद ही नहीं पाएगा। फुटवियर इंडस्ट्री को बीआईएस में लाने से लाखों प्रभावित हो जाएंगे। इस क़ानून में जो मानक लागू किए जा रहे हैं, वह किसी भी छोटे कारखाने, छोटी फैक्ट्री, कुटीर उद्योग और फुटवियर इंडस्ट्री के बस की बात नहीं है। क्युकी यह क़ानून स्पोर्ट्स फुटवियर सहित सेफ्टी, आर्म्सफोर्सेज एवं विशेष प्रयोजन के तकनीकी फुटवियर व कुटीर उद्योग ( छोटे कारखानों ) पर एक जुलाई से फुटवियर इंडस्ट्री पर लागू हो गया है। बीआईएस क़ानून को छोटे - बड़े कारखानों के स्तर पर स्वीकार नहीं कर पाएंगे। इसलिए हमारी सरकार से अपील हैं कि बीआईएस क़ानून में फुटवियर इंडस्ट्री की मांगों के अनुसार अति आवश्यक संसोधन किये जाए।

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