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#अयोध्या।
======== नव्य अयोध्या के सृजन को लेकर गलियां और सड़कें खुदी पड़ी हैं। बारिश ने इन खुदी गलियों और सड़कों का पूरी तरह से सत्यानाश कर दिया है। गर्मी की छुट्टी के बाद सोमवार से स्कूल खुल रहे हैं ऐसे में सबसे बड़ा सवाल बच्चों की सुरक्षा को लेकर उठ गया है।
निर्माणाधीन रामपथ और महानगर की तमाम गलियों की मौजूदा दशा के बीच बच्चों का स्कूल जाना किसी चुनौती से कम नहीं है। ऐसे में रविवार को ' अमृत विचार' ने अभिभावकों और लोगों के दर्द को सहेजने का काम किया। लोगों ने कहा कि शासन और प्रशासन के जिम्मेदार बस इतना बता दें कि बच्चे ऐसी दशा में स्कूल कैसे जायेगें, उनकी सुरक्षा और संरक्षा की गारंटी कौन लेगा?
नहरबाग के निवासी रमेश कुमार वर्मा का कहना है कि उनका पुत्र कक्षा छह में उदया पब्लिक स्कूल में पढ़ता है। आटो लगी है लेकिन जाना दुश्वार है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से काम हुआ है वह जांच का विषय है। अंगूरीबाग के रहने वाले साहबदीन रस्तोगी कहते हैं कि उनकी पुत्री कक्षा दो में कनौसा की छात्रा है, बाइक से छोड़ने जाते थे, अब कैसे जायेगें यह सोंच कर पूरा परिवार परेशान है। बच्ची को लाना ले जाना पहाड़ चढ़ने जैसा है।
आवास विकास कालोनी के मतलूब खान का पुत्र फैजाबाद पब्लिक स्कूल में कक्षा दस का छात्र है, स्कूटी है लेकिन घरवालों ने उससे आने-जाने से मना कर दिया है। अभिभावक का कहना है कि बच्चे की जान जोखिम में नहीं डाली जा सकती है। हैदरगंज के निवासी राजाराम यादव के दो बच्चियां साहबदीन सीताराम स्कूल की छात्राएं हैं लेकिन स्कूल नहीं जा पा रहीं हैं। साहबगंज निवासी अशोक कुमार का कहना है कि दो बच्चे गुरुनानक स्कूल खिड़की अली बेग में पढ़ रहे हैं। दोनों के लिए ई-रिक्शा लगा रखा है लेकिन कल ही ई-रिक्शा वाले ने ले जाने से मना कर दिया है।
उसने बताया कि इस रोड पर बच्चों को लेकर नहीं जा सकता है कुछ हो गया तो उसी की जिम्मेदारी मानी जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रशासन को इसे लेकर कोई ठोस कदम उठाना चाहिए। नियावां के रहने वाले अष्टभुजा चतुर्वेदी का कहना है कि बारिश के कारण सड़क चलने लायक नहीं है, छुट्टी हो चाहे नहीं कुछ दिनों तक उदया में पढ़ने वाले अपने बच्चों को स्कूल तो नहीं भेजेगें। प्रशासन को कोई चिंता नहीं है ऐसे में खतरा मोल नहीं लेना है।
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