मुख्यमंत्री ने आपदा प्रबन्धन कार्याें की समीक्षा की

सभी जनपदों में इमरजेंसी ऑपरेशन सेण्टर स्थापित किए गए, इन्हें
सेफ सिटी के अन्तर्गत आई0सी0सी0सी0 से इंटीग्रेटेड किया जाए

आगामी तीन माह में सभी 75 जनपदों में अर्ली वाॅर्निंग सिस्टम लगाए जाएं

सभी ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों में पब्लिक एड्रेस सिस्टम
स्थापित करें, पब्लिक एड्रेस सिस्टम को अर्ली वाॅर्निंग सिस्टम से जोड़ा जाए

आपदा प्रबंधन कार्य में संलग्न कार्मिकों के बेहतर
प्रशिक्षण के लिए एक सेण्टर स्थापित किया जाए

जनपद बरेली और झांसी में एन0डी0आर0एफ0 के रीजनल रिस्पॉन्स
सेण्टर की स्थापना के लिए आवश्यक भूमि उपलब्ध कराई जाए

उ0प्र0 सर्वाधिक आपदा मित्रों वाला राज्य, इनके
प्रशिक्षण की कार्यवाही तेजी से पूरी की जाए

आपदा के समय ‘क्या करें-क्या न करें’ के
सम्बन्ध में जन-जागरूकता को और बढ़ाया जाए


लखनऊ: 25 जुलाई, 2023


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज यहां अपने सरकारी आवास पर आपदा प्रबन्धन कार्याें की समीक्षा की। उन्होंने राष्ट्रीय आपदा मोचक बल (एन0डी0आर0एफ0) और राज्य आपदा मोचक बल (एस0डी0आर0एफ0) के बीच परस्पर समन्वय के साथ प्रदेश में आपदा प्रबन्ध के कार्याें को और प्रभावी बनाने के आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आपदाकाल में राहत कार्यों के लिए योग्य एवं कुशल कार्मिकों की उपलब्धता प्राथमिक आवश्यकता है। जितने दक्ष कार्मिक होंगे, राहत कार्य उतना ही अधिक प्रभावी होगा। ऐसे में प्रदेश में आपदा प्रबंधन कार्य में संलग्न कार्मिकों के बेहतर प्रशिक्षण के लिए एक सेण्टर स्थापित किया जाना आवश्यक है। इस सम्बन्ध में आवश्यक कार्यवाही की जाए। इस कार्य में एन0डी0आर0एफ0 से भी सहयोग लिया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बरसात के मौसम में आकाशीय बिजली/वज्रपात के कारण होने वाली जनहानि को न्यूनतम करना एक बड़ी चुनौती है। वर्ष 2022-23 में 52 जनपदों में 301 लोगों की असमय मृत्यु हुई, जबकि 2023-24 में अब तक 36 जनपदों में 174 जनहानि की दुःखद सूचना मिली है। इसे हर हाल में रोकना होगा और तकनीक की मदद से ऐसा किया जा सकता है। इस दिशा में बिना विलम्ब प्रभावी प्रयास किये जाएं।
मुख्यमंत्री जी ने निर्देशित करते हुए कहा कि आगामी तीन माह में सभी 75 जनपदों में अर्ली वाॅर्निंग सिस्टम लगाए जाएं। आज तकनीक इतनी बेहतर हो चुकी है कि आकाशीय बिजली गिरने का तीन से चार घण्टे पहले पता लगाया जा सकता है और एक घण्टे पूर्व सटीक स्थान की जानकारी मिल सकती है। यदि समय से लोगों को जानकारी मिल जाए, तो जन-धन की हानि नहीं होगी। भारत सरकार द्वारा विकसित कराए गए दामिनी एप, मेघदूत जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म का भी अधिकाधिक प्रचार-प्रसार किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सभी जनपदों में इमरजेंसी ऑपरेशन सेण्टर स्थापित किए गए हैं। इन्हें सेफ सिटी के अन्तर्गत आई0सी0सी0सी0 से इंटीग्रेटेड किया जाना चाहिए। सभी ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों में क्रियाशील पब्लिक एड्रेस सिस्टम को स्थापित कराएं। पब्लिक एड्रेस सिस्टम को अर्ली वाॅर्निंग सिस्टम से जोड़ा जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आपदाकाल में एन0डी0आर0एफ0 व एस0डी0आर0एफ0 के कार्मिकों ने सेवा और दक्षता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है। जनपद लखनऊ में एन0डी0आर0एफ0 मुख्यालय भवन क्रियाशील है। जनपद बरेली और झांसी में एन0डी0आर0एफ0 के रीजनल रिस्पॉन्स सेण्टर की स्थापना की जानी है। इसके लिए आवश्यक भूमि उपलब्ध कराई जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आपदाकाल में आपदा मित्रों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश सर्वाधिक आपदा मित्रों वाला राज्य है। जिन जनपदों में अभी तक इनकी तैनाती नहीं है, वहां इन्हें तत्काल तैनात किया जाए। इनके प्रशिक्षण की कार्यवाही भी तेजी से पूरी की जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश प्रथम राज्य है, जहां आपदा राहत वितरण हेतु एंड-टू-एंड कम्प्यूटराइज्ड रिलीफ मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया गया है। इससे लाभार्थी के चयन से लेकर, डिजिटल अप्रूवल तथा खाते में धनराशि हस्तान्तरित करने तक की पूरी प्रक्रिया पेपरलेस हो गई है। राहत वितरण में पारदर्शिता के साथ-साथ समयबद्धता भी सुनिश्चित हो गई है। इसे और उपयोगी बनाने का प्रयास किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बाढ़ आदि आपदाओं की स्थिति में बचाव कार्य में लगे कार्मिकों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। बारिश/बाढ़ में छोटी नौकाओं का प्रयोग न हो। नौकाओं में लाइफ जैकेट जैसे सुरक्षा प्रबंध अवश्य हों। बाढ़, भूकम्प, आकाशीय बिजली इत्यादि आपदाओं के समय ‘क्या करें-क्या न करें’ के सम्बन्ध में जन-जागरूकता को और बढ़ाया जाए। स्कूलों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों, एन0सी0सी0, एन0एस0एस0, स्काउट गाइड आदि स्वयंसेवकों को आपदा राहत कार्यों के बारे में जागरूक किया जाए। प्रायः ग्रामीण क्षेत्रों में नदी, पोखरों, तालाबों में बच्चों के डूब कर काल-कवलित होने की दुःखद घटनाएँ होती हैं। इसे रोकने के लिए जागरूकता सबसे बड़ा हथियार है। इस दिशा में कार्य किये जाएं।
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