भूजल सप्ताह का आयोजन

मुख्यमंत्री ने जल संचयन हेतु विशिष्ट प्रयासों के लिए पद्मश्री उमाशंकर पाण्डेय, पद्मश्री राम सरन वर्मा, श्रीमती सविता देवी तथा श्री तुलसी राम तथा जल मैराथन टीम का सम्मान किया

मुख्यमंत्री ने जल-कलश में प्रतीकात्मक जल संचयन किया

जल को जीवन के पर्याय के रूप में माना गया, मनुष्य के साथ ही, जन्तु सृष्टि तथा भू-पारिस्थितिकी को बनाए रखने के लिए जल अनिवार्य: मुख्यमंत्री

ईश्वर ने सर्वश्रेष्ठ कृति के रूप में मनुष्य को बनाया, हमारी जिम्मेदारी है कि जल के उपयोग और संरक्षण में साम्यता बनाने के बारे में कार्य करें

जल के रूप में हमें हजारों वर्षाें की विरासत मिली, अपनी आवश्यकताओं के साथ ही भावी पीढ़ी तथा जीव-सृष्टि के लिए इसे अक्षुण्ण बनाये रखना हमारा दायित्व

भूजल सप्ताह का आयोजन 16 जुलाई से 22 जुलाई, 2023 के मध्य किया गया, एक दिन पूर्व ही इसका औपचारिक समापन हो रहा, कल प्रदेश में वृहद वृक्षारोपण अभियान के साथ इसका समापन होगा

तालाब तथा चेकडैम  जल संरक्षण के केन्द्र बन सकते, जो हैण्डपम्प सूख गए हैं, उन्हें जल संरक्षण की ग्रामीण तकनीक के माध्यम से रेन वाॅटर हार्वेस्टिंग का नया माॅडल बनाया जा सकता

बुन्देलखण्ड तथा विन्ध्य क्षेत्र में आज सरकार आर0ओ0 का पानी घर-घर पहुंचाने का कार्य कर रही

प्रदेश में कल एक ही दिन में 30 करोड़ वृक्षारोपण का वृहद अभियान चलाया जा रहा, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 05 करोड़ वृक्षारोपण का कार्यक्रम आयोजित होगा

अमृत-2 में हर शहर तथा कस्बे को जल जीवन मिशन से जोड़ा जा रहा

पीपल, पाकड़, बरगद एवं जामुन जैसे जल संरक्षण में योगदान देने वाले वृक्षों को लगाये

प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों, नगरीय वाॅर्डाें, सरकारी तथा निजी भवनों में जल संरक्षण के कार्य को लागू किया जाए

वर्षा जल की एक-एक बूंद को बचाना आने वाले समय में जीवन को बचाने का पर्याय होगा

लखनऊ: 21 जुलाई, 2023
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि भारतीय मनीषा मानती है कि जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं जा सकती। जल है तो कल है। जल को जीवन के पर्याय के रूप में माना गया है। मनुष्य के साथ ही, जन्तु सृष्टि तथा भू-पारिस्थितिकी को बनाए रखने के लिए जल अनिवार्य है। जल की एक-एक बूंद महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता के लिए निरन्तर कार्य किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी आज यहां लोक भवन में भूजल सप्ताह के समापन समारोह के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। ज्ञातव्य है कि 16 से 22 जुलाई, 2023 के मध्य भूजल सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने जल-कलश में प्रतीकात्मक जल संचयन किया। उन्होंने जल संचयन हेतु विशिष्ट प्रयासों द्वारा जन जागरूकता सृजित करने के लिए पद्मश्री उमाशंकर पाण्डेय, पद्मश्री राम सरन वर्मा, श्रीमती सविता देवी तथा श्री तुलसी राम को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश मुख्यालय से जनपद बांदा की यात्रा हेतु जल मैराथन टीम का भी सम्मान किया। कार्यक्रम में जल संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले कुछ लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भूजल सप्ताह का आयोजन 16 जुलाई से 22 जुलाई, 2023 के मध्य किया गया है। एक दिन पूर्व ही इसका औपचारिक समापन हो रहा है। कल प्रदेश में वृहद वृक्षारोपण अभियान के साथ ही इसका समापन होगा। हमारी आवश्यकता की 80 से 90 प्रतिशत जलापूर्ति भूगर्भ जल से होती है। विगत वर्षों में भूगर्भ जल का स्तर गिरा है तथा नदी, नालों एवं तालाबों के रूप में उपलब्ध सरफेस वाॅटर प्रदूषित हुआ है। इस दृष्टि से तथा जल संरक्षण के उद्देश्य से यह कार्यक्रम और सप्ताह बहुत महत्वपूर्ण है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि क्रिटिकल तथा सेमी क्रिटिकल विकासखण्डों एवं जनपदों की संख्या बढ़ रही है। सरकार के स्तर पर इनसे बचने के लिए अनेक उपाय किए गए हैं। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में ‘पर ड्राॅप मोर क्राॅप’, रूफटाॅप रेन वाॅटर  हार्वेस्टिंग, चेक डैम का निर्माण, अमृत सरोवर के माध्यम से जल संरक्षण के कार्यक्रम इसी का हिस्सा है। यह आज की आवश्यकता है। हमें अपने भविष्य और जीव-जन्तु सृष्टि को सुरक्षित रखते हुए पृथ्वी को सबसे उत्तम ग्रह के रूप में स्थापित रखना है, तो हमें जल संरक्षण के बारे में सोचना ही होगा। प्रकृति के साथ खिलवाड़ का परिणाम है कि बरसात के मौसम में पश्चिम के जनपदों में बाढ़ तथा पूर्वी क्षेत्रों मंे सूखे की स्थिति है। ईश्वर ने सर्वश्रेष्ठ कृति के रूप में मनुष्य को बनाया है। मनुष्य के रूप में हमारी जिम्मेदारी है कि जल के उपयोग और संरक्षण में साम्यता बनाने के बारे में कार्य करें। भूजल सप्ताह का आयोजन सभी को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमारे गांव तथा नगरों के तालाब तथा चेकडैम  जल संरक्षण के केन्द्र बन सकते हैं। जो हैण्डपम्प सूख गए हैं, उन्हें जल संरक्षण की ग्रामीण तकनीक के माध्यम से रेन वाॅटर हार्वेस्टिंग का नया माॅडल बनाया जा सकता है। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019 में अधिनियम बनाकर जल को प्रदूषित करने पर सजा का प्राविधान किया है। सरकारी भवनांे तथा एक निश्चित सीमा से उपर के भवनों के निर्माण पर रेन वाॅटर हार्वेस्टिंग की अनिवार्यता की गयी है। इन कार्यक्रमों के साथ सभी जुड़ेंगे, तो हमारे भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति हो पाएगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश की 80 से 85 प्रतिशत भूमि उर्वरा होने के साथ सिंचित भी है। ज्यादातर जल की आपूर्ति भूगर्भ जल से होती है। जिस प्रकार बैंक से लगातार धन निकालने पर एक समय बाद खाते से धनराशि समाप्त हो जाती है, उसी प्रकार यदि भूगर्भ जल का दोहन होता रहे और उसके संरक्षण के उपाय न किए जाएं, तो भूगर्भ जल भी धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा और सभी विकासखण्ड क्रिटिकल हो जाएंगे। क्रिटिकल विकासखण्डों को सेमी क्रिटिकल में तथा सेमी क्रिटिकल को सामान्य विकास खण्डों के रूप में स्थापित करने के लिए जल संरक्षण के अभियान को आगे बढ़ाना होगा। इसमें व्यापक जनजागरूकता और आम नागरिक की भागीदारी बड़ी भूमिका का निर्वहन कर सकती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश मंे जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल योजना चल रही है। हर घर में जल उपलब्ध कराने का सपना साकार हो रहा है। उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड तथा विन्ध्य क्षेत्र में आज सरकार आर0ओ0 का पानी घर-घर पहुंचाने का कार्य कर रही है। जल जीवन मिशन के अन्तर्गत 75 से 80 प्रतिशत योजनाओं में भूगर्भ जल का उपयोग किया जा रहा है। इस दृष्टि से भी जल की एक-एक बून्द को सुरक्षित रखना महत्वपूर्ण है। जल के दुरूपयोग को रोकना ही होगा। जितनी आवश्यकता हो, उतना ही जल का उपयोग करें। शेष को संरक्षित करें। यह सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि जल की बर्बादी न हो। विगत 20 वर्षो में हमारे 20 से 100 विकासखण्ड क्रिटिकल हो गए हैं। यदि सभी नागरिक यह दायित्व निभाए, तो क्रिटिकल विकासखण्डों को सामान्य बनाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जल के रूप में हमें हजारों वर्षाें की विरासत मिली है। अपनी आवश्यकताओं के साथ ही भावी पीढ़ी तथा जीव-सृष्टि के लिए इसे अक्षुण्ण बनाये रखना हमारा दायित्व है। इस दिशा में प्रदेश में कल एक ही दिन में 30 करोड़ वृक्षारोपण का वृहद अभियान चलाया जा रहा है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भी 05 करोड़ वृक्षारोपण का कार्यक्रम आयोजित होगा। एक नागरिक के रूप में हमारा भी दायित्व है कि स्वयं के साथ आने वाली पीढ़ी के बचाने के लिए जल संरक्षण के प्रयास करें। भूजल का स्तर जितना ऊंचा रहेगा, उतना ही व शुद्ध रहेगा। एक सीमा से नीचे जाने पर भूजल में आर्सेनिक व फ्लोराइड की समस्या होने लगती है। जिसके स्वास्थ्य सम्बन्धी अनेक दुष्प्रभाव है। इसलिए हमें बरसात के पानी का संरक्षण भी करना होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अमृत-2 में हर शहर तथा कस्बे को जल जीवन मिशन से जोड़ा जा रहा है। हमारा दायित्व है कि भूजल को सुरक्षित रखने के लिए जल संरक्षण की तैयारी करें। अमृत सरोवरों के संरक्षण तथा उनके चारो ओर वृक्षारोपण किया जाए। इन सरोवरों में शुद्ध जल ही संचित किया जाए। पुराने तालाबों को डीसिल्ट करके उन्हें जल संचयन के बड़े केन्द्रांे के रूप में विकसित किया जाए। उनके चारांे ओर वृक्षारोपण करें तथा पीपल, पाकड़, बरगद एवं जामुन जैसे जल संरक्षण में योगदान देने वाले वृक्षों को लगायें। सरकार के साथ ही आमजन का जुड़ाव इसे जन आन्दोलन का रूप देगा। जब जल आन्दोलन जन आन्दोलन में बदलेगा, तभी इसके लाभ प्राप्त होंगे। सभी जनप्रतिनिधिगण, समाज के प्रतिष्ठित महानुभाव तथा सभी नागरिक जल योद्धा बनकर आने वाली किसी भी त्रासदी से बचाव के लिए अभी से उपाय करें।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमें ग्राउण्ड वाॅटर के साथ ही, सरफेस वाॅटर के संरक्षण का कार्य करते हुए भूगर्भ जल स्तर को मजबूत बनाना है, जिससे आने वाले समय में लोगों को लम्बे समय तक जल की सुविधा प्राप्त होती रहे। प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों, नगरीय वाॅर्डाें, सरकारी तथा निजी भवनों में जल संरक्षण के कार्य को लागू किया जाना चाहिए। इसके लिए बरसात का यह समय सबसे उपयुक्त है। वर्षा जल की एक-एक बूंद को बचाना आने वाले समय में जीवन को बचाने का पर्याय होगा। जल की एक-एक बूंद हमारे जीवन में नई ऊर्जा का संचार करने में सहायक होगी।
इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री श्री स्वतन्त्र देव सिंह, जल शक्ति राज्य मंत्री श्री दिनेश खटीक, कृषि उत्पादन आयुक्त श्री मनोज कुमार सिंह, प्रमुख सचिव नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग श्री अनुराग श्रीवास्तव, सचिव नमामि गंगे तथा ग्रामीण जलापूर्ति विभाग श्री बलकार सिंह, निदेशक भूगर्भ जल विभाग श्री वी0के0 उपाध्याय सहित वरिष्ठ अधिकारी, प्रगतिशील कृषक तथा जल योद्धा उपस्थित थे।
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