राजकुमार गुप्ता 
वृन्दावन।वंशीवट क्षेत्र स्थित संकीर्तन भवन में श्रीसंकीर्तन भवन धार्मिक न्यास ट्रस्ट के द्वारा ठाकुर वंशीवट बिहारी गिरधारीलाल जू महाराज के पावन सानिध्य में चल रहा गोलोकवासी संत प्रवर प्रभुदत्त ब्रह्मचारी महाराज के द्वारा रचित श्रीभागवत चरित संगीतमय पारायण ज्ञानयज्ञ महोत्सव (अष्टोत्तरशत) अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ सम्पन्न हुआ।इस अवसर पर सभी भक्तों व श्रृद्धालुओं के द्वारा महाराजश्री की प्रतिमा का वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पंचामृत से अभिषेक कर पूजन-अर्चन किया गया।साथ ही उनका पावन स्मरण किया गया।
भागवताचार्य गोपाल भैया महाराज व बल्देव स्थित दाऊजी मन्दिर के रिसीवर आर. के. पाण्डेय ने कहा कि गोलोकवासी संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी महाराज संत समाज के गौरव थे।वे ऐसे महापुरुष थे,जो भगवद आज्ञानुसार इस धरा पर मानव कल्याण के लिए अवतरित होते हैं और उन्ही के इच्छा से यहां से चले जाते हैं।ऐसे दिव्य संतों का दर्शन सदैव ही मंगलकारी होता है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व प्रमुख समाजसेवी पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि संत शिरोमणि प्रभुदत्त ब्रह्मचारी महाराज अत्यंत तपस्वी व सिद्ध संत थे।उन्होंने अपने तप व साधना की शक्ति से असंख्य व्यक्तियों का कल्याण कर उन्हें प्रभु भक्ति के मार्ग से जोड़ा।ऐसे संत कभी-कभार ही पृथ्वी पर अवतार लेते हैं।
महोत्सव में श्रीसंकीर्तन भवन धार्मिक न्यास ट्रस्ट के ट्रस्टी आचार्य विनय त्रिपाठी,संयोजक आचार्य मंगेश दुबे, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, पंडित ईश्वरचंद्र रावत, मणिराम शर्मा (अलीगढ), सुनील नुवालजी (बूंदी,राजस्थान), विपिन द्विवेदी, घनश्याम तिवारी (मुम्बई), डॉ.विकास गुप्ता, संजय गुप्ता, विनोद अग्रवाल(सम्भल), स्वामी भुवनेश पाठक आदि के भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।
इससे पूर्व संत ब्रजवासी वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारा आदि के आयोजन भी सम्पन्न हुए।रात्रि को रासाचार्य स्वामी चंद्रबिहारी पाठक के निर्देशन में भव्य रासलीला का अत्यंत नयनाभिराम व चित्ताकर्षक मंचन हुआ।महोत्सव में देश के विभिन्न प्रांतों से आए हजारों भक्तों-श्रृद्धालुओं ने भाग लिया।

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