डाइलॉग इंडिया एकेडेमिया - इंडस्ट्री कांक्लेव एवं इंटरनेशनल एकेडेमिया अवार्ड -2023
गंभीर संवाद, महत्वपूर्ण सुझाव और निजी उच्च शिक्षा वि उद्योग व्यापार जगत क्षेत्र के दिग्गज संस्थानों को अवार्ड
देश की लोकप्रिय पत्रिका डायलॉग इंडिया व बिजनेस कनेक्ट द्वारा पीएचडी चेंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सहयोग से दिल्ली के पीएचडी चैंबर में देश के कई लोकप्रिय शिक्षा संस्थानों को शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए रैंकिंग के आधार पर डायलॉग इंडिया अकेडमिया इंटरनेशनल अवार्ड - 2023 से सम्मानित किया गया। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, एमिटी यूनिवर्सिटी, जीएलए यूनिवर्सिटी, चितकारा यूनिवर्सिटी, मोदी यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंड एंड टेक्नलॉजी, एरा मेडिकल कॉलेज यूनिवर्सिटी, मेवाड़ यूनिवर्सिटी एकेजी इंजीनियरिंग कॉलेज आदि विभिन्न श्रेणियों में पूरे देश में शीर्ष पर रहे।इसके अतिरिक्त विभिन्न श्रेणियों में दो दर्जन से अधिक संस्थानो को सम्मानित किया गया।
इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शिक्षा जगत से जुड़ी कई लोकप्रिय हस्तियों ने अपनी सहभागिता दर्ज करवाई।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अशोक बाजपाई, राज्यसभा सांसद ने कहा कि "एक समय में भारत अपने पौराणिक ज्ञान के कारण विश्व भर में अपनी अहम पहचान रखता था। देश ने पिछले 9 सालों में विकास की दौड़ में कई नए सोपान हासिल किए है। 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए सभी नागरिकों को अपनी भूमिका निभानी होगी।" अशोक बाजपाई ने आगे कहा कि हमें शिक्षा को उद्योग से जोड़ना होगा। रक्षा क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर हो गया है। इसको लेकर हमारी कई संस्थाओं ने अपनी अहम भूमिका निभाई। दुनियां के सभी विकसित देशों ने रिसर्च और अविष्कार करने के लिए अपने बजट को बढ़ाया है। भारत भी ऐसा कर रहा है और इसके सार्थक परिणाम देखने को मिल रहें है। इसको लेकर पूर्व की सरकारों ने जायदा ध्यान नहीं दिया अगर वो ऐसा करते तो भारत आज महाशक्ति होता। आज के समय में भारत के विश्व में जो रिसर्च हो रही है वो विश्व के अन्य विश्वविद्यालयों की तुलना में कमतर है।" इसके अलावा बाजपाई ने कहा की यह कॉनक्लेव भारत के बेहतर भविष्य को तय करने में अहम साबित होगा। उन्होंने आगे कहा कि हमें अपने शिक्षा संस्थानों की गुणवंता को बढ़ाना होगा।
डायलॉग इंडिया के संपादक अनुज अग्रवाल ने कहा की आज का यह कॉनक्लेव भारत की शिक्षा व्यवस्था को और बेहतर करने में अहम साबित होगा। इस कार्यक्रम में देश के सभी इलाकों से लोग आए है। यह इस कार्यक्रम की सफलता है।
बिज़नेस कनेक्ट समूह के सीईओ अभिषेक दुबे ने बताया कि देश दुनिया के हर क्षेत्र के दिग्गजों के साथ मिलकर चिंतन, मंथन और समाधान तक विमर्श की यह सातवीं कड़ी 8 जुलाई पीएचडी चेम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के साथ मिलके उनके मुख्य सभागार में आयोजित की गई। साथ ही उच्च शिक्षा एवं उद्योग व्यापार जगत के दिग्गजों को सम्मानित भी किया गया। ख़राब मौसम के बाद भी पाँच सौ से अधिक शिक्षा व उद्योग जगत की हस्तियों ने आयोजन में भाग लिया।
देश की उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहचान बना चुका देश के जानेमाने प्रकाशन डायलॉग इंडिया एकेडमिया कांक्लेव की शृंखला ने पिछले सात वर्षों में देश की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए अनेक महत्वपूर्ण सुझाव दिए जिनमें से बहुत से नई शिक्षा नीति का अंग बन चुके हैं। इस वर्ष का कांक्लेव भी उन ज्वलंत मुद्दों पर ही था जिनसे देश और दुनिया घिरी हुई है और उनके समाधान के लिए जूझ रही है। “आत्मनिर्भर भारत” बनाने में अब ऐसी पीढ़ी को तैयार करना होगा जो रोज़गार माँगने के स्थान पर रोज़गार देने कि स्थिति में हो ।इस प्रकार की पीढ़ी के निर्माण के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों को उद्योग - व्यापार तंत्र के साथ सामंजस्य बैठाना होगा ताकि बाज़ार व नई तकनीकी के अनुरूप मानव संसाधन विकसित होते रहें।विद्यार्थियों में एंटरप्रेन्योरशिप की भावना विकसित करना समय की आवश्यकता है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए तीन महत्वपूर्ण मुद्दे चर्चा का विषय बने -
1) चूँकि तीव्र विकास के बाद भी भारत आयात आधारित अर्थव्यवस्था है , इसलिए सरकार, शिक्षा संस्थानों और उद्योग जगत को मिलकर शोध व अनुसंधान में व्यापक स्तर पर निवेश करना होगा ताकि वो तकनीक जो हम आयात करते हैं, देश में ही विकसित हो सके ।
2) आर्टिफीसियल इंटेलीजेंस व डिज़िटलाइज़ेशन से दुनिया भर में जो नौकरियों पर संकट खड़ा हो रहा है एवं वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने जो चेतावनी जारी की है , इस से उत्पन्न ख़तरे का मुक़ाबला हम भारतीय दृष्टि से कैसे कर सकते हैं इस पर विस्तार से चर्चा की गई व अनेक महत्वपूर्ण सुझाव सामने आए।
3) चूँकि भारत यूएन एवं जी - 20 के मिशन “चौथी औद्योगिक क्रांति” से जुड़ चुका है और उसको गति देने के लिए देश में विदेशी विश्वविद्यालयो को खोलने की अनुमति दे चुका है ताकि उनकी आधुनिक शिक्षा पद्धति, तकनीक शिक्षा व ज्ञान भारत में कम खर्च में आ सके और विदेश जाकर पढ़ने की होड़ भारतीयो में कम हो सके। ऐसे में इस कदम के क्या दूरगामी प्रभाव देश पर पड़ेंगे इस मुद्दे पर भी विस्तार से चर्चा हुई।
कांक्लेव में विभिन्न सत्रों में तीस से अधिक दिग्गजों ने अपने विचार रखे जिनमे प्रमुख रूप से पीएचडी चेम्बर्स के सेक्रेटरी जनरल सौरभ सान्याल, पूर्व सचिव भारत सरकार यूपी सिंह, प्रो विक्रम सिंह पूर्व महानिदेशक यूपीपुलिस, दिल्ली सरकार में सचिव ओमप्रकाश पांडे, संस्कृति मंत्रालय में निदेशक नीरज कुमार , प्रो पवन सिन्हा गुरु जी, पूर्व हाजी खिलाड़ी अशोक ध्यानचंद, प्रसिद्ध शिया धर्म गुरु मौलाना रुशेद रिज़वी क़लवे, पूर्व आयकर महानिदेशक नूतन शर्मा, विशेष पुलिस आयुक्त दिल्ली पुलिस मुकेश मीना, कनफ़ेडरेशन ऑफ़ इण्डियन यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष प्रो प्रियरंजन त्रिवेदी, आईआईटी भुबनेश्वर के कमांडर वीरेंद्र जेटली, प्रो व कुलपति वीरेंद्र गोस्वामी, फ़ेडरेशन ऑफ़ इण्डियन इंडस्ट्री के महानिदेशक डा. दीपक जैन, जीएसटी में अतिरिक्त आयुक्त राघवेंद्र पाल सिंह, साइबर विशेषज्ञ प्रद्युम्न लवानिया, सर्बिया और वियतनाम के राजदूत आदि थे।
कार्यक्रम के समन्वय और संचालन में बिज़नेस कनेक्ट बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर अभिषेक दुबे, आशुतोष एवं आशीष जी, डायलॉग इंडिया से डा. सारिका अग्रवाल, अमित त्यागी, संजीव शर्मा, मयंक मधुर, गौरव गुप्ता, सिद्धार्थ जैन, राहुल जैन, राजा तल्लुकदार, संजय कुमार आदि ने निर्णायक भूमिका निभायी।
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Anuj Agrawal, Group Editor
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