सरकारी नौकरी के लालच में युवाओं ने पहले पंचायत सहायक पद पर आवेदन कर नौकरी तो पा ली, लेकिन अब छह हजार वेतन और आठ घंटे की नौकरी के दबाव में कुछ महीनों नौकरी करने के बाद अधिकतर नौकरी छोड़ रहे हैं। गांवों में मिनी सचिवालयों के लिए पंचायत सहायक के पद पर युवाओं ने धड़ाधड़ आवेदन किए। पंचायत सहायक के लिए योग्यता 10 वीं या 12वीं थी, लेकिन स्नातक और परास्नातक तक ने आवेदन कर मेरिट के आधार पर नौकरी पाई। फिलहाल उतरौला विकासखंड में तैनात 05, गैड़ास बुजुर्ग में 04, श्रीदत्तगंज में तीन, रेहरा ब्लॉक में लगभग 10 समेत पूरे तहसील क्षेत्र में लगभग दो दर्जन पंचायत सहायकों ने इस्तीफा दे दिया है। और कई नौकरी छोड़ने की कतार में हैं। एडीओ पंचायत उतरौला हनुमान प्रसाद के मुताबिक उतरौला ब्लाक के ग्राम पंचायत बरमभारी के पंचायत सहायक आकाश सोनी, रामपुर मुरार के रामराज गौतम, पनवापुर की अर्पिता पांडे, सेखुइया कस्बा के समीर अहमद, मानापार के पंचायत सहायक मोहम्मद खालिद,
विकासखंड गैड़ास बुजुर्ग के ग्राम पंचायत नगवा के पंचायत सहायक सोनी देवी, हुसैनाबाद के प्रदीप कुमार, दौलताबाद के आलोक मिश्रा, रसूलाबाद की कुमारी सरिता देवी, एवं विकासखंड श्रीदत्तगंज के ग्राम पंचायत बेलई बुजुर्ग के पंचायत सहायक फजलुर्रहमान, रामपुर बगनहा के पूरणमल, तकतरवा की पूनम जयसवाल ने सोमवार को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।
अब इनके द्वारा लगातार इस्तीफा दिए जाने से पंचायत भवनों को आबाद करते हुए ग्रामीणों को सरकारी सुविधाएं मुहैया कराने की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। प्रत्येक गांव में पंचायत सहायकों की तैनाती कर पंचायत भवन को हाईटेक सुविधाओं से लैस किया गया था। अब पदों को रिक्त होने से पंचायत भवनों पर ग्रामीणों के कार्य प्रभावित होंगे।
*कार्य अधिक, कम मानदेय बताया जा रहा है कारण*
पंचायत सहायकों के इस्तीफा देने का कारण कम मानदेय बताया जा रहा है। इसके अलावा संविदा पर काम मिलने के कारण इसमें बढ़ोत्तरी की संभावना भी न के बराबर है। ऊपर से मानदेय समय पर भी नहीं मिलता है। इसके साथ ही ग्राम सचिव और प्रधानों पर भी उत्पीड़न के आरोप लगते रहे हैं।
असगर अली
उतरौला
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