शिक्षा के क्षेत्र में अपनी एक सहभागी प्रवृति है स्काउटिंग। जिससे जुड़कर हर आयु वर्ग के बालक - बालिका लाभान्वित होते हैं । 5से10 वर्ष तक की आयु वर्ग के बालक बालिका कब और बुलबुल कहलाते हैं 10 से 18 साल तक के बालक स्काउट तथा बालिका गाइड कहलाती है। इसी प्रकार 16 से 25 वर्ष तक के युवा बालक रोवर एवं बालिका रेंजर कहलाती है। विभिन्न आयु वर्ग की रुचियों एवं आवश्यकता को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम एवं गतिविधियां निर्धारित की गई है। स्काउट गाइड नवयुवकों का एक अराजनीतिक और शैक्षणिक आंदोलन है। यह युवाओं के लिए स्वयंसेवी संगठन की तरह कार्य करता है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति बिना किसी जातिगत और धर्मगत भेदभाव के हिस्सा ले सकता है। इसका उद्देश्य युवाओं की शारीरिक, बौद्धिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक शक्ति का विकास कर उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनाना है ताकि वे स्थानीय, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति सहयोग और समन्वय की भावना रखते हुए अपने देश के प्रति वफादार बन सके। यह आंदोलन आध्यात्मिक सिद्धांतों के प्रति निष्ठा धर्म के प्रति वफादारी तथा ईश्वर अथवा प्रकृति के प्रति कर्तव्यों को स्वीकार करता है। स्काउट गाइड प्रवर्ती बालक के संपूर्ण व्यक्तित्व में सहायक है। इसके पाठ्यक्रम में दक्षता बेजों के समावेश द्वारा विभिन्न सद्गुणों का संधारण किया जाता है। दस्तावेजों का वर्गीकरण स्वास्थ्य, कौशल, स्वावलंबन और चरित्र आधारित है जिससे प्रभावित होते हुए बालक बालिका संपूर्ण विकास को प्राप्त कर एक सुयोग्य नागरिक बनता है। विश्व के सबसे बड़े वर्दीधारी शेक्षिक आंदोलन स्काउट गाइड के जनक बेडेन पावेल माने जाते हैं। 1907में लार्ड बेडेन पावेल ने इंग्लैंड के ब्राउन सी द्वीप पर 20 बालकों के साथ स्काउटिंग प्रारंभ की जो वर्तमान में 218 देशों में संचालित की जा रही है। स्काउट गाइड अपनी योग्यता वृद्धि के तहत राज्य पुरस्कार के रूप में राज्यपाल महोदय तथा राष्ट्रपति पुरस्कार में राष्ट्रपति महोदय से सम्मानित होता है जिनका कई जगह सैद्धांतिक फायदा स्काउट गाइड को होता है। स्काउटिंग गाइडिंग मात्र कक्षा गत अभ्यास ही नहीं अपितु एक बाहरी क्रियाशील जीवन का ज्ञान भ्रमण द्वारा अर्जित करना भी है। खुले वातावरण और प्रकृति के विशाल प्रांगण में ही स्काउटिंग गाइडिंग के अभ्यास होते हैं। कम से कम आवश्यकताओं से अधिक सुख सुविधाएं कैसे प्राप्त की जाती है यह सब स्काउट गाइड की शिक्षा के अंतर्गत ही सीखने को मिलता है। स्काउटिंग से बालक बालिकाओं में अनुशासन, त्याग, प्रेम, तप, भाईचारा, सहयोग, देश भक्ति, दूरदृष्टि व परिश्रमी तथा स्वावलंबी बनने की प्रेरणा मिलती है। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले स्काउट शिविर जंबूरी कहलाते हैं। भारत स्काउट गाइड के सदस्य इसमें भाग लेते हैं। अभी हाल ही में 18वी राष्ट्रीय स्काउट गाइड जंबूरी का आयोजन राजस्थान के पाली जिले में किया गया। इसमें देश विदेश से37,000 से अधिक स्काउट गाइड ने सहभागिता की।
विक्रम सिंह शेखावत
हिमालय वुड बैज स्काउटर
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय मावा का गुडा कुंभलगढ़ राजसमंद
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know