अतिक्रमण हटाने के लिए चलाया जाने वाला अभियान केवल कुछ टीनशेड और होर्डिग्स की बलि देकर ही खत्म हो जाता है। कभी पुलिस न मिलने तो कभी त्योहारों का हवाला देकर प्रशासन अतिक्रमण करने वालों को अभयदान देता आ रहा है। प्रशासन चाहे तो अतिक्रमणकारियों से जुर्माना वसूल सकता है कितु अभी तक ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई।जिसके चलते अतिक्रमणकारियों के हौंसले बुलंद हैं।
अतिक्रमण हटाने के लिए पिछले दिनों उतरौला नगर में चलाया गया अभियान केवल कुछ टीनशेड, होर्डिग्स, फुटपाथ पर लगा गन्ना जूस, मोची, कसगढ़ के मिट्टी के बर्तनों की बलि देकर ही खत्म हो गया। कभी पुलिस न मिलने तो कभी त्योहारों का हवाला देकर प्रशासन अतिक्रमण करने वालों को अभयदान देता आ रहा है। प्रशासन चाहे तो अतिक्रमणकारियों से जुर्माना वसूल सकता है, कितु अभी तक ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
शहरी क्षेत्रों में स्थाई और अस्थाई अतिक्रमण हटवाने का दायित्व निकायों का है, किंतु उतरौला निकाय के अधिशासी अधिकारी के पास मजिस्ट्रीयल अधिकार नहीं है। वह बिना एसडीएम अथवा तहसीलदार और पुलिस के अतिक्रमण नहीं हटा सकते हैं। अतिक्रमण अभियान नहीं चलने का एक कारण बड़े अफसरों का अतिक्रमण हटाओ अभियान में दिलचस्पी नहीं लेना है। निकाय अतिक्रमण हटाने के लिए घोषणा तो करती हैं, कितु अफसर ही निर्धारित समय पर नहीं पहुंचते हैं। इसके अलावा कई बार पुलिस बल न मिलने तो कई बार त्योहारों को देखते हुए अतिक्रमण नहीं हटाया जाता है। अतिक्रमण करने वालों पर पालिका 500 रुपये का जुर्माना रोज लगा सकती है, लेकिन प्रावधान ना होने का बहाना बनाकर जुर्माने की कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। यहीं वजह है कि शहरी क्षेत्रों में अतिक्रमण तेजी से बढ़ा है। वहीं पालिका प्रशासन भी शहर में केवल एनाउंसमेंट कराकर खाना पूर्ति करती आ रही है। इसके अलावा पालिका अभियान चलाती भी है, तो सिर्फ टिनशेड और सड़क किनारे खड़ी होर्डिंग्स को हटाकर पल्ला झाड़ लिया जाता है। नाली, नालो, तालाबों पर वह अस्थाई अतिक्रमण की तरफ प्रशासन ध्यान तक नहीं देता है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी चौराहा के चारों तरफ, मुख्य बाजार व हाटन रोड तिराहा से नगर के अंतिम सीमा तक सड़क के दोनों पटेरिया अतिक्रमण के चपेट में हैं, जिससे लोगों को आए दिन जाम की समस्या को झेलना पड़ता है। नगर पालिका स्थायी अतिक्रमण हटवाने की कोशिश तक नहीं करती है। वहीं कई बार राजनीतिक दबाव में पालिका के अतिक्रमण हटाओ अभियान की हवा निकल जाती है।
कहीं से अगर एक बार अतिक्रमण हटवाया जाता है, तो दोबारा अतिक्रमण न करना खुद संबंधित व्यक्ति की जिम्मेदारी होती है। पालिका दोबारा अतिक्रमण करने वालों पर जुर्माना लगा सकती है, लेकिन ऐसा नहीं होता है।
एक बार अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाकर एक साल की छुट्टी कर दी जाती है। जिससे अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद हैं।
असगर अली
उतरौला
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