औरैया // शासन स्तर से नदियों में गंदे व केमिकल युक्त पानी को छोड़े जाने को लेकर सख्ती से पाबंदी लगाने के निर्देश हैं, लेकिन इसके बावजूद भी औद्योगिक इकाइयों पर शासन के फरमान बेअसर हैं मुरादगंज-फफूंद मार्ग पर ऊंचा अकबरपुर डांणा के समीप औद्योगिक इकाइयों का केमिकल युक्त वेस्ट भूमिगत पाइप के जरिए सेंगर नदी में छोड़ा जा रहा है। इसे लेकर ग्राम पंचायत संगठन के पदाधिकारियों ने मोर्चा खोल दिया है जिला प्रशासन से सीएम तक पत्राचार करते हुए क्षेत्र में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के हस्तक्षेप की मांग रखी गई है सेंगर नदी मथुरा जिले के नूर नामक झील से निकलकर अलीगढ़, मैनपुरी, एटा, इटावा, औरैया होते हुए कानपुर देहात व नगर की ओर निकल जाती है। जिले में सैकड़ों की संख्या में गांव इस नदी के किनारे बसे हैं। मवेशियों को पानी पिलाने से लेकर सिचाई नदी पर आधारित है औद्योगिक इकाइयों से भूमिगत पाइप के जरिए सेंगर नदी में छोड़ा जा रहा केमिकल युक्त पानी संक्रमण के खतरे को दस्तक दे रहा है संवेदनशील प्रजातियों पर यह गंदा पानी असर डालेगा, साथ ही जनजीवन को काफी हद तक प्रभावित करेगा जैव विविधता विशेषज्ञ डा. राजीव चौहान ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए सेंगर नदी के प्रदूषित हो जाने से जिले की काफी हद तक आबादी प्रभावित होगी सेंगर नदी में गिरने वाले नाले को बंद कराने के लिए कई बार शिकायत की गई जिला प्रशासन की ओर से अभी तक कोई सुध नहीं ली गई है जल्द ही ध्यान नहीं दिया गया तो सेंगर नदी केमिकल युक्त हो जाएगी कौशल किशोर पांडेय, राष्ट्रीय पंचायतीराज ग्राम प्रधान संगठन सेंगर नदी में प्रदूषित पानी अंडरग्राउंड पाइपों के जरिए छोड़ा जा रहा है। पूरा मामला जिला प्रशासन के संज्ञान में है शासन की मंशा के विपरीत काम हो रहा है, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है पशुपालकों का कहना है कि मवेशियों को लेकर नदी में पानी पिलाने जाते हैं केमिकल युक्त पानी पीकर मवेशियों का स्वास्थ्य बिगड़ने का खतरा एवं सिंचाई करने पर खेत में भी इसका असर दिखेगा ऐसे में औद्योगिक इकाइयों के इन भूमिगत पाइपों को बंद कराया जाना जरूरी है वहीं सीएचसी अधीक्षक अजीतमल डॉ अवनीश कुमार ने बताया कि केमिकल युक्त पानी के संपर्क में आने पर स्कर्वी व एलर्जी समेत तमाम तरह की बीमारियां हो जाती हैं मनुष्य के साथ-साथ अन्य जीव जंतुओं पर इसका विपरीत असर पड़ता है संवेदनशील प्रजातियों तो नष्ट ही हो जाती हैं केमिकल वेस्टेज का नदी में बहाव जनमानस के लिए खतरा हो सकता है इसलिए इसे तत्काल रोका जाना चाहिए। 


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