उतरौला(बलरामपुर) विकास खण्ड श्रीदत्तगंज क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पुरैना वाजिद में दोपहर बाद ताला डाल कर स्वास्थ्य कर्मचारी अपने घरों को चले जाते हैं। इस केन्द्र पर कर्मचारी आवास बना होने पर कोई कर्मचारी एक दशक से नहीं रहता है।
सबसे अधिक समस्या उस समय मरीजों को होती है जब आपात स्थिति से आये मरीजों को स्वास्थ्य केंद्र पर ताला लगा होने से अस्पताल बंद मिलता है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पुरैना वाजिद का करोड़ों रुपए की लागत से निर्माण लगभग पन्द्रह वर्ष पहले कराया गया था। केंद्र के निर्माण में निर्माणदाई संस्था ने मानक की धज्जियां जमकर उड़ाई। हालत यह है कि भवन क ई जगह दरार ले चुकी है। केन्द्र में लोहे के इगल पर रखे प्लास्टिक टंकी काफी पहले गिर चुके हैं। बिजली आपूर्ति के समुचित व्यवस्था न होने से सभी कमरों की बिजली व्यवस्था खराब पड़ी है। परिसर में बने कर्मचारी आवास में कर्मचारियों के न रहने से बदहाल हो ग ए है। इस स्वास्थ्य केंद्र पर एक डाक्टर,एक फार्मेसिस्ट,एक एन ए एम की तैनाती है। उसके बाद भी बद्तर स्वास्थ्य व्यवस्था के कारण मुश्किल से दो दर्जन मरीज किसी तरह इस केन्द्र पर आकर इलाज कराते हैं। लगभग बाइस ग्राम पंचायतों के इलाज के लिए निर्मित इस केन्द्र पर महिला मरीजों के प्रसव का कोई इंतजाम नहीं है। मजबूरन महिला मरीजों को अपना इलाज दस किलोमीटर दूर उतरौला व श्रीदत्तगंज के स्वास्थ्य केंद्र पर आना पड़ता है। स्वास्थ्य केंद्र परिसर में पीने के पानी के लिए मात्र एक हैण्ड पम्प का सहारा लेना पड़ता है। कर्मचारियों के अक्सर केंद्र से नदारद रहने से क्षेत्र के मरीज अपना इलाज कराने नहीं आते हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पुरैना वाजिद के प्रभारी चिकित्साधिकारी डाक्टर तारिक सिद्दीकी ने बताया कि कर्मचारियों के आवास की दयनीय दशा के कारण कर्मचारियों का आवास पर रहना मुश्किल हो गया है। महिला मरीजों के प्रसव कराने के लिए विभाग ने दो एएन एम की तैनाती कर दी है। उनको विभाग प्रसव के लिए प्रशिक्षिण देने जा रहा है। प्रशिक्षण के बाद इस केन्द्र पर महिला प्रसव कराने का कार्य शुरू करा दिया जाएगा। इस केन्द्र पर आने वाले मरीजों का समुचित इलाज करने का प्रयास किया जाता है।
असगर अली
उतरौला
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