जलालपुर अंबेडकर नगर- अपनी प्यारी चीज को अल्लाह की राह में कुर्बान करने का पर्व ईद-उल-अजहा बृहस्पतिवार को मनाया जाएगा । इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग बकरे की कुर्बानी देते हैं।इब्राहीम अ.स. की सुन्नत के तौर पर मनाया जाने वाला यह पर्व हमें सिखाता है कि मौका आने पर हमें अपनी प्यारी से प्यारी चीज को भी अल्लाह की राह में कुर्बान (न्यौछावर) करने से नहीं हिचकिचाना चाहिए।
इस रोज गरीबों और मिस्कीनों की मदद की जाती है। जब अल्लाह की राह में अपने बेटे को कुर्बान करने का मौका आया तब भी हजरत इब्राहीम अ.स. बेटे इस्माईल अ.स. को कुर्बान करने से नहीं चूके।जब वह अपने बेटे को कुर्बान करने वाले थे तो आखिरी मौके पर बेटे की जगह दुंबा आ गया और वह कुर्बान हो गया। हजरत इब्राहीम अ.स. की इसी सुन्नत को कायम रखने के लिए ईद-उल-अजहा मनाया जाता है।मौलाना आज़ाद गर्ल्स इंटर कॉलेज के प्रबंधक एवं धर्मगुरु मौलाना मोहम्मद खालिद कासमी ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी हरगिज न करें, खुले में कुर्बानी न करें, साफ-सफाई का ध्यान रखें और सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार अपने त्यौहार को खुशियों के साथ मनाएं।
प्रधानाचार्या गुलिस्तां अंजुम ने सभी मुसलमानों को ईद उल अजहा की मुबारकबाद देते हुए कहा कि हमारे बुजुर्गों और बड़ों ने हमेशा से प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी से मना किया है इसलिए हर मुसलमान इसका ख्याल रखे और प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी से हमेशा की तरह दूर रहें।
उन्होंने यह भी कहा कि खुले में कुर्बानी न करें, सड़कों और रास्तों पर बिल्कुल कुर्बानी न करें, साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें, जानवरों के अवशेष को सड़कों या नालियों में न डालें बल्कि नगर पालिका द्वारा की गई व्यवस्था के अनुसार ही अवशेषों को गाड़ियों में डालें और इस बात का खास ध्यान रखें कि देश में रहने वाले अन्य धर्मों के लोगों को किसी भी तरह की इससे परेशानी न हो। विद्यालय सेक्रेटरी मोहम्मद अहमद ने अपने बयान में कहा कि मुसलमानों को इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए कि सड़कों और रास्ते पर नमाज पढ़ने पर पाबंदी है इसलिए उन्हें ईदगाह और मस्जिदों के परिसर के अंदर ही नमाज पढ़नी चाहिए।
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