बलदेव| वृक्ष आपके द्वार कार्यक्रम के अंतर्गत पर्यावरणविद एवं जल सचेतक डॉ. अखिलेश यादव प्रधानाचार्य / ग्रीन क्लब संयोजक ने राजकीय इंटर कॉलेज दघेंटा में एक टीवी  ऑनलाइन लाइन  जूम मीट कार्यशाला का  उद्घाटन करते हुए कहा-
सिलेंडर में ऑक्सीजन, बोतल में पानी।
 ड्राइंगरूम में नकली पेड़, क्या यही है आधुनिकता की निशानी।।
   प्रकृति की खूबसूरती,  उसके सौंदर्य और सुकून भरी छटा को मानव अपने दिल से नहीं निकाल पाता वहीं दूसरी ओर  जाने अनजाने करते हुए जीवन में पर्याय ढूंढ लिया। सजावटी पेड़, सजावटी फूल ,सजावटी गमले, टाइल्स  पेंटिंग्स वॉलपेपर में बने फूल पत्तियां पेड़ लुभावनी लग रहे हैं शायद उसे कम कीमत में वास्तविक फूल लगाने से कतराते हैं। हम कौन सा भविष्य  तैयार कर रहे हैं। मानव प्रकृति का अटूट संबंध विभिन्न आयामों को प्रभावित करता है। पृथ्वी पर जीवन के लिए हवा,मिट्टी,पानी, खनिज,जानवर का समन्वयक आवश्यक है। यदि हम स्वस्थ चाहते हैं इसका संरक्षण भी करना ही होगा। और अपने भाषण के शुभारंभ में कहा कि 
 वैदिक विवाह पद्धति के संस्कारों में प्रकृति संरक्षण के लिए अनेक संस्कार हैं- वृक्षों से मंडप लगाना , वधु के ग्राम प्रवेश या गृह प्रवेश के समय एक फलदार वृक्ष लगाना व उसका संरक्षण करना, हरी खाद के लिए घूरा पूजना,  ब्रिज का बहुचर्चित वन भोज, देवोत्थान एकादशी पर साग भजन, तुलसी विवाह ,बट सावित्री व्रत, आवला पूजन  आदि लेकिन आधुनिकता की ओर में हमने सब को प्रतीकात्मक बना दिया। नदियों और वृक्षों को पूजने वाले देश में नदियों को दूषित कर दिया वृक्षों का अंधाधुंध कटान किया। और आज गर्मी गर्मी करके हम ए.सी- ए.सी.लगाये जा रहे हैं यदि ऐसा ही रहा तो एक दिन यह भी काम करना बंद कर देंगे।   डॉ अशोक गुप्ता की मुहिम में ढाई सौ दिन में ढाई सौ पेड़ लगाने की पहल को अनुकरणीय बताया। 
" आपके द्वारा लगाया गया वृक्ष रुपी तोहफा आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अनमोल धरोहर है।"
कौशांबी से हरिओम सिंह ने कहा  कि वृक्षारोपण हमारी आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है इसके बिना  सुखद भविष्य की परिकल्पना करना ही बेमानी है। भदोही से  प्रख्यात पर्यावरणविद डॉ अशोक कुमार गुप्ता  राज्य पुरस्कार प्राप्त ने कहा कि पर्यावरण का संरक्षण आज ही हमें करना होगा वरना जैसे महामारी काल में कंधे पर सिलेंडर लेकर दौड़ती रहे किंतु हम उन्हें काल के गाल में जाने से नहीं बचा पाए। इटावा से श्रीमती सुनीता ने कहा अधिक से अधिक वृक्ष लगाना हम सबकी  नैतिक जिम्मेदारी है । पीलीभीत से डॉ़ ममता गंगवार ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से बचने के लिए एकजुट होकर प्रयास करना होगा।  विवेक श्रीवास्तव ने कहा कि वृक्ष लगाना ही पर्याप्त नहीं है उसकी देखभाल करने की जिम्मेदारी भी लें तथा दूसरों को भी प्रेरित करें। जयपुर से बृजेश कुमार   व भवानी शंकर ने   पक्षियों के लिए दाना पानी  व  आशियाना  मुहिम के द्वारा किए जा रहे आत्म प्रयासों का वर्णन किया।
 कार्यशाला में आगरा से डॉ. मनोज कुमार  वार्ष्णेय , मथुरा से सुनीता गुप्ता 
गुरुप्यारी सत्संगी,  विनीत शर्मा कविता सक्सेना हरदोई से बृजेश अग्निहोत्री, हाथरस से अतुल पचौरी, बदायूं से बृजेश कुमार, बरेली से डॉ अरुण यादव हापुड से डॉ रेनू, वीरेंद्र सिंह ,पुष्पराज सिंह, भावना, संजीव सोनी, डॉ. देवेंद्र यादव, राजेश झा सहित अनेक जनपद कोऑर्डिनेटर जुड़े। कार्यशाला के अंत में हरिओम सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया तथा 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जन समुदाय के साथ वृक्षारोपण करने वाह उसकी देखभाल की जिम्मेदारी की शपथ दिलाते हुए ग्रुप में फोटो भेजने का अनुरोध किया साथ ही सभी सदस्यों को अनिवार्य रूप से फॉर्म भरकर अपने वृक्ष लगाए गए बच्चों की संख्या अभियान में सहयोगी व्यक्तियों की संख्या मुहिम को जन आंदोलन  बनाने की अपील की।

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