बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने अक्षय पात्र डिलीवरी वाहन को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना
एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस ने अक्षय पात्र किचन को दिया 16 डिलीवरी वाहन
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार संदीप सिंह ने आज निशातगज स्थित बेसिक शिक्षा विभाग कार्यालय से अक्षय पात्र डिलीवरी वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इन डिलीवरी वाहनों से स्कूली बच्चों को दोपहर का पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाएगा।
एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस ने लखनऊ के स्कूली बच्चों को दोपहर का भोजन उपलब्ध कराने के लिए अक्षय पात्र को 16 महिंद्रा बोलेरो वाहन दान में दिए है। इन वाहनों को मंत्री संदीप सिंह व विभाग के महानिदेशक विजय किरण आनंद के साथ एमडीएम के समीर जी, अक्षय पात्र के स्वामी भरत दास जी, रसराज कृष्णदास जी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इससे पूर्व नरसिंह भगवान का पूजन कर आयोजन की शुरुआत की गई।
अक्षय पात्र फाउंडेशन भारत की एक अशासकीय संस्था है जो देश के 14 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 22367 स्कूलों के 2 मिलियन से अधिक बच्चों को हर स्कूल दिन में पौष्टिक भोजन परोस रहा है। अक्षय पात्र फाउंडेशन दुनिया का सबसे बड़ा (गैर-लाभकारी) मिड-डे मील कार्यक्रम वर्ष 2000 से चला रहा है। इसका मुख्यालय बेंगलुरु में है। वर्तमान में आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, उड़ीसा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना व उत्तर प्रदेश आदि राज्यो में अक्षय पात्र किचन स्थापित है। यह संगठन सरकारी स्कूलों और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में मिड-डे मील योजना को लागू करके कक्षा की भूख को खत्म करने का प्रयास करता है। साथ ही, अक्षय पात्र का उद्देश्य कुपोषण का मुकाबला करना और सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित बच्चों की शिक्षा के अधिकार का समर्थन करना भी है। उत्तर प्रदेश में लखनऊ के साथ वाराणसी, मथुरा व गोरखपुर में भी अक्षय पात्र का किचन काम कर रहा है। लखनऊ में जहां 1472 स्कूलों के करीब सवा लाख बच्चों को भोजन दिया जा रहा है वहीं मथुरा में भी दो हजार स्कूलों के करीब सवा लाख बच्चों को दोपहर का पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। वाराणसी व गोरखपुर में भी बच्चों को दोपहर का पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है। अक्षय पात्र अपनी पहुंच को बढ़ाने का भी लगातार प्रयास कर रहा है। अक्षय पात्र का सोचना है कि भूख से कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। अक्षय पात्र फाउंडेशन वर्ष 2000 में मात्र 15 सौ बच्चों से यह सेवा शुरू किया था जो आज 2 मिलियन से ज्यादा हो गये है।
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