उत्तर प्रदेश///लखनऊ// अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में मौलिक पदों के सापेक्ष रिक्त पदों पर नियुक्त माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के अनुक्रम में निदेशक माध्यमिक शिक्षा के अनुमोदनओ उपरांत डीआईओएस द्वारा वेतन प्राप्त कर रहे तदर्थ शिक्षकों का अकारण वेतन वर्षो से अवरुद्ध कर दिया गया है । कई माह से इन
शिक्षकों का वेतन अकारण रोक दिया गया है जिससे शिक्षक भुखमरी के कगार पर पंहुच गए हैं।
तदर्थ शिक्षकों के खिलाफ हो रहे इस तरह के सौतेले व्यवहार से परेशान शिक्षकों ने शिक्षा निदेशालय के सामने याचना कार्यक्रम का आयोजन विगत 20जून से शुरू कर रखा हैं।
शिक्षको के संगठन प्रमुख ने अपनी पीड़ा हिंदी संवाद न्यूज उत्तर प्रदेश से बताते हुए कहा है की हम सब शिक्षको के खिलाफ एक शाजिस के खिलाफ असंवैधानिक अविधिक नियम विरुद्ध और वेतन वितरण नियम के सर्वथा विरुद्ध कार्य किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहीं कोई ऐसा आदेश नहीं दिया है कि हम सभी तदर्थ शिक्षकों का वेतन रोका जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यहा तक कहा है जो अभ्यर्थी परीक्षा पास करेंगे उनको भी नियमित किया जाएगा और महत्वपूर्ण तो यह है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय में काउंटर लगा कर बार-बार शिक्षा अधिकारी यह कहते रहे कि नियम विरुद्ध नियुक्ति या है तो कोर्ट ने यह मानने से इंकार कर दिया कि यह नियम विरुद्ध है कोर्ट ने यह भी कहा है कि 25 वर्षों से लगातार ये लोग सेवारत हैं और अभी तक कोई आप सभी ने निर्णय नहीं लिया तो केवल अकेले ए ही दोषी नहीं हैं कही न कही हम और आप भी दोषी यानी कि कोर्ट ने भी अपने को दोषी माना और सरकार से कहा कि कोई सलूशन हमको दीजिए जिससे कि इनका उद्धार हो सके जब कई बार उत्तर प्रदेश सरकार ने कोई सलूशन नहीं दिया तो सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि आप अगर कोई सलूशन नहीं देंगे तो हमारे पास नेत्र अधिकार 142 के तहत इन सभी को विनियमित कर दूंगा अंत में शिक्षा अधिकारियों कि देश मानसिकता के तहत लिखित परीक्षा का सलूशन दिया गया जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने परीक्षा कराकर विनयमतिकरण करने को कहा यह आदेश किया है 142 का उपयोग करते हुए महत्वपूर्ण बात तो यह है की सर्वोच्च न्यायालय ने तदर्थ वाद को समाप्त करने को कहा है परंतु उसकी गलत व्याख्या कर अधिकारीगण तदर्थ को ही समाप्त करना चाह रहे हैं जबकि कोर्ट की मंशा है जो तदर्थ शिक्षक अभी तक नियुक्त हैं उनको एजइटइज वैसे बने रहने देना चाहिए भविष्य में इस प्रकार की नियुक्ति की पुनरावृत्ति ना हो सर्वोच्च न्यायालय की मंशा ऐसी है और सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया है वह आल adhock पर लागू होती है सर्वोच्च न्यायालय ने अपना निर्णय ऑल एडहॉक पर लागू किया है पूरे निर्णय से अच्छादित है परंतु शिक्षा अधिकारियों ने एढाक टीचरों को दो खेमे में बांट दिया 2000 के पहले और 2000 के बाद 2000 के पहले को वेतन दिया जा रहा है 2000 के बाद को वेतन नहीं दिया जा रहा है जबकि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट कहना है ऑल एडहॉक टीचर्स सर्वोच्च न्यायालय का आदेश सभी all adhock टीचरों पर अच्छादीत है की तदर्थ वाद समाप्त किया जाए परंतु सरकार व मुख्यमंत्री को अधिकारी गुमराह किए है और जबरदस्ती का वेतन अवरुद्ध किया है परंतु शिक्षा विभाग के अधिकारियों की गलत व्याख्या के अनुसार तदर्थ शिक्षकों को समाप्त करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है जबकि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश है कि तदर्थ वाद समाप्त किया जाए यानी कि अब भविष्य में इस प्रकार की नियुक्ति की पुनरावृत्ति ना हो और जो नियुक्त हैं उनकी निरंतरता बनाए रखी जाए यानी कि उनको वेतन आज सुविधाएं दी जाती रहनी चाहिए तदर्थ का मतलब जो शिक्षक अभी तक कार्य कर रहे हैं उनको एजइटइज बना रहने दिया जाए भविष्य में तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति जैसी पुनरावृत्ति ना हो और यह भी कहा है 77 निरंतरता बरकरार रहनी चाहिए कंअभी माननीय उच्च न्यायालय में विभिन्न रीटो में उच्च न्यायालय के विद्वान न्यायाधीश माननीय ईरशाद अली साहब ने अपने आर्डर में कहा है की तब तक इन सभी शिक्षकों को वेतन दिया जाए जब तक चयन आयोग द्वारा चयनित अभ्यर्थी ना आ जाए परंतु डीआईओएस जिस आदेश का उदाहरण देते है और गलत व्याख्या करते है 818/2021 का जनपदों पर जिला विद्यालय निरीक्षक उदाहरण देते हैं जिसमें आप सभी को वेतन देने का निर्देश प्रबंध तंत्र को दिया है या 818 /2021 का आर्डर उन अवैतनिक अल्पकालिक शिक्षकों के लिए है जो 16 E( 11) के तहत नियुक्त हैं जबकि विभिन्न जनपदों से शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी समय-समय पर 16 E (11) के तहत नियुक्त शिक्षकों का जिलेवार ब्यौरा तलब किया है जौनपुर जनपद में प्राप्त हुआ है जबकि अन्य जनपदों में nil दिखाया गया ऐसी स्थिति में जबकि स्पष्ट रूप से विद्वान न्यायाधीश माननीय इरसाद अली साहब व माथुर साहब की बेंच ने अपने आदेश में यह कहा है कि आयोग द्वारा चयनित अभ्यर्थी आने तक इन शिक्षकों को वेतन दिया जाना चाहिए यानी कि( till bi salected condidate) ऐसी स्थिति में वर्षों से हम सभी तदर्थ शिक्षक भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं भारतीय जनता पार्टी के विभिन्न पदाधिकारी प्रदेश अध्यक्ष संगठन मंत्री पूर्व के संगठन मंत्री आदरणीय सुनील बंसल जी प्रदेश के मुख्यमंत्री दोनों उप मुख्यमंत्री प्रदेश के शिक्षा मंत्री सहित वरिष्ठ मंत्रियों से लगातार हम लोगों ने अनुनय विनय प्रार्थना की और शिक्षा विभाग के सभी साक्षम अधिकारी एसीएस (मा )डीजी (माध्यमिक )निदेशक माध्यमिक सभी से दर्जनों बार हम लोगों ने संपर्क कर अनुनय विनय करते आ रहे हैं परंतु आज तक हम सभी का अभी तक वेतन नहीं निर्गत हुआ जबकि हम सभी तदर्थ शिक्षक पूर्ण मनोयोग से अध्यापन कार्य लगातार करते आ रहे हैं इसमें जो भी महत्वपूर्ण कार्य है जैसे बोर्ड परीक्षा ड्यूटी मूल्यांकन कार्य और चुनाव में ड्यूटी या जो भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां समय-समय पर हम सभी को जो भी मिलती रहे उसका पूर्ण मनोयोग से हम सभी लोगों ने पालन किया आज हमसे काम भी लिया जा रहा है परंतु वेतन नहीं दिया जा रहा है ऐसी स्थिति हम सभी तदर्थ शिक्षक घोर निराशा और अपने भविष्य बच्चो और परिवार के प्रति बहुत चिंतित हैं क्योंकि पुन जुलाई का सत्र शुरू होने वाला है और अभी तक वेतन की उम्मीद ना के बराबर है ऐसी स्थिति में हम सभी लोगों ने निदेशालय पार्क रोड लखनऊ पर सभी जनपदों से तदर्थ शिक्षक इकट्ठा होकर अपनी वेदना को प्रकट करने के लिए हम सभी लोगों ने यह निर्णय लिया है जब तक हम सभी का वेतन निर्गत नहीं हो जाता तब तक निदेशालय पर हम शांतिपूर्वक बैठकर अनुनय विनय प्रार्थना करते रहेगे ।
प्रदेश भर के माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत इन शिक्षको का विगत 20 जून 23 सुबह 10:00 बजे से शिविर कार्यालय निदेशालय माध्यमिक शिक्षा पार्क रोड लखनऊ पर याचना आंदोलन जारी है जिसमे वेतन नहीं मिलने से व्यथित शिक्षक रामाधुन करते हुए अपने लिए मांग कर रहे हैं।
उमेश चंद्र तिवारी
9129813351
हिंदी संवाद न्यूज
उत्तर प्रदेश
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