मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

लखनऊ : 06 जून, 2023

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए :-
 
भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार खरीफ 2023 से रबी 2025-26 तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना तथा पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को प्रदेश में लागू करने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार खरीफ 2023 से रबी 2025-26 तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना तथा पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को प्रदेश में लागू करने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
प्राकृतिक आपदाओं, रोगों, कृमियों से फसल की क्षति की स्थिति में कृषकों को बीमा कवर के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से ग्राम पंचायत स्तर पर बीमित करते हुए प्रदेश के सभी जनपदों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को संचालित किया जाएगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से प्रदेश के समस्त जनपदों में कुल 18 फसलों यथा खरीफ मौसम में फसल धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, उर्द, मूंग, मूंगफली, तिल, सोयाबीन व अरहर (10 फसलें) तथा रबी मौसम में फसल गेहूं, जौ, चना, मटर, मसूर, अलसी, लाही-सरसों तथा आलू (08 फसलें) को ग्राम पंचायत स्तर पर बीमित किया जाएगा।
प्रतिकूल मौसमीय स्थितियों यथा कम व अधिक वर्षा, तापमान, तेज हवा, आर्द्रता आदि से सम्भावित क्षति की स्थिति में फसल के उत्पादक कृषकों को बीमा कवर के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु प्रदेश के चयनित 60 जनपदों के फसल बाहुल्य क्षेत्रों में पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को 07 औद्यानिकी फसलों पर लागू किया जाएगा। इसके अन्तर्गत फसल केला के 31 जनपद, फसल मिर्च के 22 जनपद, फसल पान के 07 जनपद, फसल हरी मटर के 19 जनपद, फसल टमाटर के 28 जनपद, फसल शिमला मिर्च के 08 जनपद तथा फसल आम के 20 जनपद के फसल बाहुल्य विकास खण्डों में, स्थापित मौसम केन्द्र पर, खरीफ 2023 से रबी 2025-26 तक बीमित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना तथा पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के बीमित कृषक को योजनाओं के अन्तर्गत समय से अनुमन्य लाभ प्राप्त न हो पाने की स्थिति में सम्बन्धित बीमा कम्पनी के विरुद्ध आर्थिक अर्थदण्ड लगाए जाने का प्राविधान किया गया है।  
फसल की बीमित धनराशि फसल की उत्पादन लागत के अनुरूप होगी। फसलों को वास्तविक प्रीमियम दर पर बीमित किया जाएगा। कृषकों द्वारा वहन किया जाने वाला प्रीमियम अंश खरीफ मौसम में बीमित राशि का 2.0 प्रतिशत तथा रबी मौसम में 1.5 प्रतिशत अथवा वास्तविक प्रीमियम दर, जो कम हो, तक सीमित रखा जाएगा। वार्षिक नकदी फसलों/वार्षिक औद्यानिकी फसलों हेतु कृषक द्वारा वहन किए जाने वाले प्रीमियम अंश को बीमित राशि का 5.0 प्रतिशत अथवा वास्तविक प्रीमियम दर, जो कम हो, तक सीमित रखा जाएगा।
कृषकों द्वारा वहन किए जाने वाले प्रीमियम अंश से अधिक एवं फसल के वास्तविक प्रीमियम दर के अन्तर की धनराशि को प्रीमियम पर अनुदान के रूप में केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा बराबर-बराबर वहन किया जाएगा। कृषकों द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में खरीफ मौसम में 31 जुलाई एवं रबी मौसम में 31 दिसम्बर की अन्तिम तिथि तक तथा पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना में जोखिम प्रारम्भ होने के एक दिन पूर्व तक बीमा कराया जा सकेगा।
भारत सरकार द्वारा पैनलबद्ध बीमा कम्पनियों से ई-निविदा से प्राप्त प्रीमियम दर के आधार पर नियमानुसार चयन करते हुए प्रदेश में क्रियान्वयन अभिकरण के रूप में अधिकृत किया जाएगा।
भारत सरकार द्वारा फसल बीमा योजनाओं के संचालन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश अभी जारी किए जाने हैं। अन्तिम दिशा-निर्देश में यदि कोई अन्य प्राविधान किए जाने की स्थिति में आवश्यक संशोधन के सम्बन्ध में निर्णय लेने हेतु मंत्रिपरिषद द्वारा मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।
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उ0प्र0 होटल एवं अन्य पूरक आवास (नियंत्रण) विनियम, 2023 अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश होटल एवं अन्य पूरक आवास (नियंत्रण) विनियम, 2023 को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि राज्य में होटल एवं अन्य पूरक आवास प्रदान करने वाले व अन्य समान व्यवसायों के संचालन को विनियमित करने के लिए तथा राज्य के नागरिकों के सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा, नैतिकता और शालीनता की रक्षा के लिए सराय अधिनियम, 1867 की धारा 13 के अन्तर्गत राज्य सरकार की विनियम बनाने की शक्ति का प्रयोग करते हुए यह विनियम प्रवर्तित करने का निर्णय लिया गया है।
इस विनियम के महत्वपूर्ण प्राविधानों के अन्तर्गत आवास इकाई के रजिस्ट्रीकरण हेतु पोर्टल विकसित करते हुए उसे निवेश मित्र पोर्टल के साथ एकीकृत किया जाएगा। इस पोर्टल की सहायता से आवास इकाई राज्य सरकार के साथ समस्त पेट्रॉनगण का विवरण (नाम, पहचान पत्र और चेक इन-चेक आउट, दिनांक के साथ,  पता) तथा समस्त कर्मचारियों का विवरण (नाम, आयु, लिंग, पहचान पत्र संख्या और पता) साझा करेगी।
रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त किए बिना कोई आवास इकाई संचालित नहीं होगी। पोर्टल पर (रजिस्ट्रीकरण हेतु) आवेदन के दिनांक से 45 दिनों के भीतर विहित प्राधिकारी ऐसी इकाई को रजिस्टर करेगा। 45 दिनों की इस अवधि के भीतर आवेदन पर विनिश्चय करने में विफलता को डीम्ड (मानित) रजिस्ट्रीकरण समझा जाएगा। व्यथित व्यक्ति अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष पुनरीक्षण दायर कर सकता है। अपीलीय प्राधिकारी का विनिश्चय अन्तिम होगा।
इस विनियम द्वारा कतिपय अनिवार्य आवश्यकताओं का प्राविधान किया गया है। इसके अनुसार प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पर विहित प्राधिकारी द्वारा जारी रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र प्रदर्शित करना होगा। किसी पेट्रॉन को फ्रण्ट डेस्क पर सुसंगत विवरण प्राप्त किए और अभिलेखों में प्रविष्ट किए बिना रहने की सुविधा का उपभोग करने की अनुज्ञा नहीं होगी। आवास इकाई को प्रवेश/निकास बिन्दुओं, फ्रण्ट डेस्क और पार्किंग क्षेत्रों में सी0सी0टी0वी0 कैमरे स्थापित कराना होगा और कम से कम 30 दिनों के लिए सी0सी0टी0वी0 फुटेज को बनाए रखना होगा। आवास इकाई प्रत्येक समय परिसर में एक पर्यवेक्षक/प्रबन्धक की उपस्थिति सुनिश्चित करेगी जब कोई पेट्रॉन प्रतिष्ठान का उपयोग कर रहा हो या यह जनसामान्य के लिए खुला हो।
इस विनियम में कतिपय मार्गदर्शन सिद्धान्त भी प्रतिपादित किए गए हैं। इनके तहत किसी पेट्रॉन/उनके अतिथि/आगन्तुक, जिनके विरुद्ध किसी आपराधिक गतिविधि में लिप्त होने का उचित सन्देह विद्यमान हो, की पहचान करने और विवरण की रिपोर्ट करने के लिए प्रणाली विकसित करना। यह सत्यापित करने के लिए समय निकालना कि चेक-इन के समय फोटो पहचान पत्र वास्तव में सम्बन्धित व्यक्ति का है। फ्रण्ट डेस्क पर आपातकालीन सम्पर्क फोन नम्बर यथा-महिला हेल्प लाइन फोन नम्बर, पुलिस आयुक्त/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक/जिला मजिस्ट्रेट/निकटतम पुलिस थाना/112 के सम्पर्क नम्बर की सूची प्रदर्शित करना। पेट्रॉन को उपलब्ध कराए जाने वाले परिसर और प्रसाधन सामग्री को स्वच्छ और स्वास्थ्यकर बनाए रखना। परिसर में उचित अग्निशमन और सुरक्षा सावधानियों को सुनिश्चित करना तथा पहुंच योग्य सड़क पर आवास इकाई स्थापित करना सम्मिलित है।
विनियमों का उल्लंघन करने पर कार्यवाही की जाएगी। इसके अन्तर्गत आवास इकाई को कारण बताओ नोटिस जारी और सुनवाई का अवसर। अनिवार्य औपचारिकताओं के जानबूझकर उल्लंघन पर सराय अधिनियम 1867 में उल्लिखित आर्थिक शास्ति उदग्रहीत करना होगा। इस विनियम में निर्धारित अनिवार्य औपचारिकताओं का तीसरी बार जानबूझकर उल्लंघन करने पर ऐसी इकाई के रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र को प्रतिसंहृत करना। आवास इकाई, विहित प्राधिकारी द्वारा पारित ऐसे समस्त आदेशों के विरुद्ध अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष एक पुनरीक्षण याचिका दायर कर सकती है। अपीलीय प्राधिकारी पुनरीक्षण याचिका की प्राप्ति से 45 दिनों की अवधि के भीतर आदेश पारित करेगा या अन्तिम विनिश्चय को विस्तारित करने का कारण अभिलिखित करेगा। अपीलीय प्राधिकारी का विनिश्चय अन्तिम होगा।
अधिनियम तथा इस विनियम के अधीन किसी कार्यवाही के नियमित पर्यवेक्षण एवं समीक्षा तथा उनसे सम्बन्धित मामलों के निस्तारण एवं प्रबन्धन के सम्बन्ध में जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में जिला स्तरीय पर्यवेक्षण समिति तथा प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय पर्यवेक्षण समिति गठित की जाएंगी।
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माध्यमिक शिक्षा विभाग में अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के जीर्णोद्धार, मरम्मत, पुनर्निर्माण, निर्माण एवं अवस्थापना सुविधाओं हेतु सहयोगी अनुदान के सम्बन्ध में संशोधित गाइडलाइन्स स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने माध्यमिक शिक्षा विभाग में अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के जीर्णोद्धार, मरम्मत, पुनर्निर्माण, निर्माण एवं अवस्थापना सुविधाओं हेतु सहयोगी अनुदान के सम्बन्ध में संशोधित गाइडलाइन्स को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद ने यह निर्णय भी लिया है कि राज्य सरकार की अनुदान राशि एवं विद्यालय प्रबन्धक/प्रधानाचार्य की मैचिंग राशि जमा कराये जाने हेतु किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में स्वतंत्र खाता खोलने हेतु, जिसका संचालन संस्था के प्रबन्धक, वित्त एवं लेखाधिकारी तथा सम्बन्धित जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा। मंत्रिपरिषद ने इन निर्णयों में किसी परिवर्तन/परिवर्धन हेतु मुख्यमंत्री को अधिकृत किया है।
अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय इण्टरमीडिएट अधिनियम-1921 से संचालित होते हैं। वर्ष 2021 में इण्टरमीडिएट शिक्षा अधिनियम के अन्तर्गत स्थापित ‘उ0प्र0 माध्यमिक शिक्षा परिषद’ के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के भवनों की मरम्मत, जीर्णोद्धार, रंगाई-पुताई एवं आवश्यक मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था हेतु नई मांग के माध्यम से वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रथम बार 200 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था की गयी थी। इन विद्यालयों की आवश्यकता के दृष्टिगत जर्जर भवनों का जीर्णोद्धार एवं मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराये जाने हेतु उपलब्ध सीमित बजट के दृष्टिगत वित्तीय वर्ष 2021-22 में कार्य योजना में प्रथम चरण में प्राचीनतम से नवीनतम के क्रम में 75 वर्ष से पूर्व के विद्यालयों को लिया जाना निर्धारित किया गया था एवं मंत्रिपरिषद के निर्णयोपरान्त इन कार्यों हेतु सहयोगी अनुदान योजना के सम्बन्ध में शासनादेश संख्या-10/15-8-2022-3035/2019 दिनांक 05 जनवरी, 2022 द्वारा गाइडलाइन्स निर्धारित की गयी थी, किन्तु सहयोगी अनुदान राशि 50-50 प्रतिशत के संबंध में प्रबन्धकों के साथ कई दौर की बैठकों एवं अथक प्रयासों के बावजूद प्रबन्धकगण द्वारा सहयोगी अनुदान की राशि 50 प्रतिशत देने में असमर्थता व्यक्त करने के कारण योजना का कार्यान्वयन सम्भव नहीं हो सका। ऐसी स्थिति में प्रबन्धकों एवं विभागीय अधिकारियों के साथ कई दौर की बैठकों के बाद उत्पन्न स्थितियों के दृष्टिगत सम्यक विचारोपरान्त पूर्व निर्गत 05 जनवरी, 2022 के शासनादेश में संशोधन प्रस्तावित किया गया, जिसे मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित कर दिया गया है।
इस प्रस्ताव के अनुसार अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय, जिनकी 01 अप्रैल, 2023 को 75 वर्ष (मान्यता की तिथि से) अवधि पूर्ण है तथा विद्यालय भवन जर्जर अवस्था में है, इस योजना से आच्छादित होंगे। विशेष परिस्थितियों में जिला स्तरीय समिति की संस्तुति पर शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) के अनुमोदनोपरान्त 75 वर्ष से कम अवधि के ऐसे विद्यालय, जिनके भवन अत्यधिक जर्जर अवस्था में हैं, को भी सम्मिलित किया जा सकेगा। शासन एवं संस्था के मध्य सहयोगी अनुदान राशि का अनुपात 75ः25 होगा। सहयोगी अनुदान की राशि तीन किश्तों 40ः40ः20 के अनुपात में दी जाएगी।
संस्था द्वारा अपेक्षित मैचिंग धनराशि 25 प्रतिशत को प्रबन्ध तंत्र स्वयं के अतिरिक्त सांसद निधि/विधायक निधि, सी0एस0आर0, पुराछात्रों से सहायता व क्षेत्र के गणमान्य/प्रतिष्ठित महानुभावों, जनप्रतिनिधियों अथवा किसी व्यक्ति या संस्था से भी प्राप्त कर सकता है।
300 से कम छात्र संख्या वाले विद्यालय योजना से आच्छादित नहीं होंगे। 300 से 500 पंजीकृत छात्र संख्या वाले विद्यालय को अनुमन्य अनुदान धनराशि की अधिकतम सीमा 25 लाख रुपये, 501 से 1000 तक 50 लाख रुपये, 1001 से 1500 तक 75 लाख रुपये, 1501 से 2000 तक 01 करोड़ रुपये तथा 2001 से ऊपर 01 करोड़ 25 लाख रुपये होगी।
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अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की सेवानिवृत्ति के पूर्व असामयिक मृत्यु की दशा में उनके परिजनों को ग्रेच्युटी के भुगतान के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय के ऐसे शिक्षक जिनके द्वारा सेवानिवृत्ति हेतु 58/60 वर्षीय विकल्प पत्र (वर्तमान में 60/62) का वरण नहीं किया गया है और उनकी मृत्यु 60 वर्ष के पूर्व हो गई हो, के आश्रितों तथा ऐसे शिक्षक जिन्होंने 62 वर्ष पर सेवानिवृत्ति का विकल्प भरा किन्तु विकल्प परिवर्तन के लिए निर्धारित अवधि के पूर्व मृत्यु हो गई हो, के परिजनों को ग्रेच्युटी का भुगतान किये जाने हेतु प्रस्तुत प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। मंत्रिपरिषद ने इसमें किसी भी परिवर्तन/परिवर्धन के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया है।
इस निर्णय से अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु से पूर्व विकल्प न दिए जाने अथवा विकल्प परिवर्तन की सुविधा लिए बिना मृत्यु होने की दशा में ग्रेच्युटी की सुविधा दिए जाने से अनेक विधिक विवाद समाप्त हो जाने के साथ-साथ मृतक शिक्षकों के परिवार को देय ग्रेच्युटी प्राप्त होने से उनकी आर्थिक मदद हो सकेगी।
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यूटिलिटी सर्विसेज को सुरक्षित रूप से स्थापित करने सम्बन्धी प्रस्ताव को स्वीकृति

मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में निर्मित होने वाले नए मार्गों के निर्माण तथा पूर्व निर्मित मार्गों के चौड़ीकरण, सुदृढ़ीकरण, पुनर्निर्माण आदि की स्थिति में सभी यूटिलिटी सर्विसेज को सुरक्षित रूप से स्थापित करने, सड़क सुरक्षा एवं जनसामान्य की सुविधा सम्बन्धी प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि सम्पूर्ण राज्य में सड़कों के किनारे/नीचे विभिन्न संस्थाओं द्वारा पब्लिक यूटिलिटी सर्विस जैसे-ड्रेन, सीवर लाइन, वॉटर सप्लाई पाइप लाइन, टेलीफोन/इण्टरनेट केबिल, विद्युत केबिल्स, गैस पाइप लाइन इत्यादि को डाला जाता है एवं समय-समय पर उनका निरीक्षण/मरम्मत का कार्य कराया जाता है।
यूटिलिटी सर्विसेज की स्थापना में विभिन्न संस्थाओं में आपस में सामंजस्य के अभाव में यूटिलिटी सर्विस लेईंग के पश्चात् मार्ग का समुचित रूप से रेस्टोरेशन नहीं हो पाता है, जिसके कारण मार्ग प्रायः क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इससे जनसामान्य को आवागमन में असुविधा का सामना करना पड़ता है तथा दुर्घटना की सम्भावना रहती है। प्रायः यह भी देखा गया है कि समग्र रूप से नियोजन के अभाव में मार्ग के नवनिर्माण/सुदृढ़ीकरण/नवीनीकरण के तुरन्त बाद ही यूटिलिटी सर्विस बिछाने हेतु मार्ग को काटा/खोदा जाता है, जिससे सुगम यातायात के आवागमन में व्यवधान उत्पन्न हो जाता है।
प्रस्तावित व्यवस्था में प्रत्येक जनपद में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी, जिसके संयोजक मार्ग से सम्बन्धित विभाग/संस्था के अधिशासी अभियन्ता से अन्यून अधिकारी होंगे। विभिन्न यूटिलिटीज से सम्बन्धित जिला स्तरीय अधिकारी समिति के सदस्य होंगे। जनपद में यूटिलिटी सर्विसेज से सम्बन्धित किसी भी विभाग द्वारा नए मार्गों/पूर्व निर्मित मार्गों पर यूटिलिटी सर्विसेज की नयी स्थापना, पूर्व में स्थापित सर्विसेज की मरम्मत/पुनःनिर्माण/क्षमता बढ़ाए जाने से पूर्व समिति के समक्ष प्रस्ताव प्रस्तुत करना होगा।
इस पर सम्यक विचारोपरान्त आई0आर0सी0ः 98-2011 गाइडलाइन्स ऑन एकोमोडेशन ऑफ यूटिलिटी सर्विसेज ऑन रोड्स इन अर्बन एरियाज़ के प्राविधानों के अनुरूप समिति द्वारा अनुमोदन प्रदान किया जाएगा। तद्नुसार ही विभाग द्वारा कार्य सम्पादित किया जाएगा। मार्ग के नीचे/किनारों पर बिछायी गई यूटिलिटी सर्विसेज का डिजिटल ले-आउट प्लान एवं डेटा बेस सम्बन्धित विभाग द्वारा तैयार किया जाएगा और इसे विभागीय पोर्टल के माध्यम से ए0पी0आई0 द्वारा अथवा सीधे प्रधानमंत्री गति शक्ति पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा, जिससे यूटिलिटी सर्विसेज की वर्तमान स्थिति से विभिन्न संस्थाएं अवगत रहें एवं इसका उपयोग आवश्यकतानुसार किया जा सके। यूटिलिटी डक्ट का निर्माण एवं रख-रखाव का दायित्व निर्माण करने वाली संस्था द्वारा ही वहन किया जाएगा। आई0आर0सी0ः 98-2011 में होने वाले संशोधन स्वतः लागू/अंगीकृत माने जाएंगे।
किसी यूटिलिटी की स्थापना/शिफ्टिंग की प्रक्रिया में यदि किसी अन्य यूटिलिटी अथवा यूटिलिटी डक्ट या मार्ग को कोई क्षति होती है, तो इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा आकलन करते हुए कार्यवाही/निराकरण किया जाएगा। किसी विवाद की स्थिति में जिलाधिकारी की समिति का निर्णय अन्तिम माना जाएगा।
यूटिलिटीज से सम्बन्धित प्रशासकीय विभाग द्वारा यदि यूटिलिटी की डक्ट में स्थापना/शिफ्टिंग हेतु कोई शुल्क अथवा यूटिलिटी के रख-रखाव हेतु कोई सर्विस चार्ज तय किया हुआ हो, तो उसकी वसूली की जिम्मेदारी सम्बन्धित विभाग की होगी। सामान्यतः उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन शासकीय विभागों से सम्बन्धित शासकीय यूटिलिटी हेतु, उस स्थिति में जबकि कोई शुल्क निर्धारित न हो, किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा। भारत सरकार के विभाग/अर्द्ध सरकारी विभाग तथा उत्तर प्रदेश सरकार के अर्द्ध सरकारी विभाग तथा सांविधिक प्राधिकारी के बारे में यदि कोई व्यवस्था निर्धारित न हो, तो यूटिलिटी डक्ट से सम्बन्धित जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा इस पर अपने स्तर से निर्णय लिया जा सकता है। किसी निजी संस्था द्वारा यदि यूटिलिटी की स्थापना/शिफ्टिंग की जानी प्रस्तावित हो, तो शुल्क से सम्बन्धित निर्णय प्रशासकीय विभाग द्वारा लिया जाएगा।
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उ0प्र0 राज्य सड़क परिवहन निगम के 23 बस स्टेशनों को पी0पी0पी0 पद्धति पर बस अड्डों को डिजाइन बिल्ड फाइनेन्स ऑपरेट एण्ड ट्रांसफर मॉडल पर विकसित किए जाने के अन्तर्गत कुल 05 बस स्टेशनों हेतु चयनित विकासकर्ताओं को लेटर ऑफ इण्टेण्ट दिए जाने तथा अवशेष 18 बस स्टेशनों हेतु पुनः निविदा आमंत्रित किए जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग द्वारा निर्गत निजी सार्वजनिक सहभागिता (पी0पी0पी0) गाइडलाइन्स-2016 द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अन्तर्गत सचिव स्तरीय समिति (सी0ओ0एस0) की संस्तुतियों के आलोक में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के 23 बस स्टेशनों के अन्तर्गत 05 बस स्टेशनों-कौशाम्बी (गाजियाबाद), विभूति खण्ड (लखनऊ), सिविल लाइन्स (प्रयागराज), पुराना गाजियाबाद (गाजियाबाद) तथा आगरा फोर्ट (आगरा) हेतु प्राप्त बिड्स को उपयुक्त पाते हुए, इन बस स्टेशनों हेतु चयनित बिडर्स (मेसर्स ओमैक्स लि0 तथा मेसर्स ए0जी0 इण्टरप्राइजेज) को लेटर ऑफ इण्टेण्ट (एल0ओ0आई0) जारी किए जाने तथा परिवहन निगम के 23 चिन्हित बस स्टेशनों में से अवशेष 18 बस स्टेशनों हेतु पुनः निविदा आमंत्रित किए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
वैश्वीकरण के परिप्रेक्ष्य में परिवहन निगम के बस स्टेशनों पर नवीनतम सुविधा युक्त व्यवस्थाएं, नवीन पहल के तहत निगम के 23 महत्वपूर्ण बस स्टेशनों को निजी सार्वजनिक सहभागिता (पी0पी0पी0) पद्धति पर विकसित किए जाने की महत्वाकांक्षी परियोजना प्रस्तावित की गयी।
निर्णय के अनुसार इन 05 बस स्टेशनों को लेटर ऑफ इण्टेण्ट जारी किए जाने की कार्यवाही की जाएगी, जिससे नवीनतम सुविधायुक्त बस स्टेशनों के निर्माण की कार्यवाही शीघ्रता से प्रारम्भ हो जाएगी तथा अन्य अवशेष 18 बस स्टेशनों हेतु पुनः निविदा आमंत्रित की जाएगी।
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उचित दर दुकानों में इलेक्ट्रॉनिक वेइंग मशीन सहित ई-पॉस मशीनों की स्थापना एवं संचालन के लिए सिस्टम इण्टीग्रेटर संस्थाओं के चयन हेतु तैयार किए गए आर0एफ0पी0 को अन्तिम रूप देने तथा ई-टेण्डर की कार्यवाही पूर्ण कराए जाने के लिए आर0एफ0पी0 के सुसंगत प्रस्तरों में कुल 22 संशोधन का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने उचित दर दुकानों में इलेक्ट्रॉनिक वेइंग मशीन सहित ई-पॉस मशीनों की स्थापना एवं संचालन के लिए सिस्टम इण्टीग्रेटर संस्थाओं के चयन हेतु तैयार किए गए आर0एफ0पी0 को अन्तिम रूप देने तथा ई-टेण्डर की कार्यवाही पूर्ण कराए जाने के लिए आर0एफ0पी0 के सुसंगत प्रस्तरों में कुल 22 संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश में समस्त उचित दर दुकानों में 05 वर्षों के लिए सिस्टम इण्टीग्रेटर पर आधारित बी0ओ0ओ0 (बिल्ड, ओन, ऑपरेट) मॉडल पर ई-पॉस मशीनों की स्थापना की गई थी, जिनकी अनुबन्ध अवधि मई, 2023 में समाप्त हो रही है। इलेक्ट्रॉनिक वेइंग मशीन सहित ई-पॉस मशीनों की स्थापना एवं संचालन के लिए सिस्टम इण्टीग्रेटर संस्थाओं के चयन हेतु ई-टेण्डर की कार्यवाही की जानी है।
इलेक्ट्रॉनिक वेइंग मशीन सहित ई-पॉस मशीनों की स्थापना एवं संचालन हेतु आर0एफ0पी0 तैयार करने तथा टेण्डर फ्लोट किए जाने के कार्य के लिए यू0पी0 डेस्को को कार्यदायी संस्था नामित किया गया है। संस्था द्वारा तैयार आर0एफ0पी0 पर प्री-बिड में प्राप्त सुझावों के क्रम में खाद्य आयुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा आर0एफ0पी0 में संशोधन प्रस्तावित किए गए, जिन्हें मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित कर दिया गया है। प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार आर0एफ0पी0 को अन्तिम रूप देते हुए, ई-टेण्डर की कार्यवाही की जाएगी।
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15 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके सरकारी विभागों के निष्प्रयोज्य वाहनों के मूल्यांकन एवं नीलामी प्रक्रिया’ के निर्धारण के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने 15 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके सरकारी विभागों के निष्प्रयोज्य वाहनों के मूल्यांकन एवं नीलामी प्रक्रिया’ के निर्धारण के सम्बन्ध में प्रस्तुत प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।  
उल्लेखनीय है कि मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन के आदेश संख्या-90/तीस-4-2023-30-4099/3/2023 दिनांक 23 जनवरी, 2023 द्वारा 15 वर्ष एवं इससे अधिक पुराने प्रदेश के सरकारी/अर्द्धसरकारी वाहनों को स्क्रैप कराये जाने हेतु समस्त सम्बन्धित अधिकारियों को अपने विभाग/निगम/निकाय आदि में संचालित 15 वर्ष एवं इससे अधिक पुराने सरकारी/अर्द्धसरकारी वाहनों की सूचना दिये जाने हेतु निर्देशित किया गया है।
इस प्रकार के वाहनों को स्क्रैप किये जाने की प्रक्रिया में गति लाये जाने के दृष्टिगत भारत सरकार के 23 जनवरी, 2023 के कार्यालय-ज्ञाप के प्राविधानानुसार प्रदेश में सरकारी गाड़ियों को निष्प्रयोज्य घोषित करने के मापदण्ड विषयक अद्यतन प्रभावी शासनादेश संख्या-2747/30-4-97-24केएम/76 दिनांक 04 अक्टूबर, 1997 में संशोधन किया गया है कि ‘15 वर्ष पुराने सरकारी वाहनों के रिजर्व प्राइस के निर्धारण तथा ऐसे वाहनों की नीलामी हेतु एम0एस0टी0सी0 (मेटल स्क्रैप ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन) द्वारा’ सर्विस चार्जेज़ वसूल किए जाने के सम्बन्ध में इस्पात मंत्रालय, भारत सरकार के कार्यालय ज्ञाप दिनांक 23 जनवरी, 2023 के सूत्र/प्राविधानों के अनुसार, 15 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके निष्प्रयोज्य सरकारी वाहनों का मूल्यांकन सम्बन्धित विभाग के विभागीय मूल्य निर्धारक (वैल्युअर) अथवा विभाग द्वारा नामित मूल्य निर्धारक अथवा एम0एस0टी0सी0 द्वारा सूचीबद्ध मूल्य निर्धारक के माध्यम से किया जाएगा। इसके अतिरिक्त 15 वर्ष से कम आयु पूर्ण करने वाले सरकारी वाहनों के मूल्यांकन के सम्बन्ध में पूर्व की भांति शासनादेश संख्या-2747/30-4-97-24के0एम0/76,दिनांक 04 अक्टूबर, 1997 के प्राविधान यथावत प्रभावी रहेंगे।
भारत सरकार के कार्यालय ज्ञाप दिनांक 17 दिसम्बर, 2022 के प्राविधानानुसार प्रदेश में अद्यतन प्रभावी ‘सरकारी गाड़ियों को निष्प्रयोज्य घोषित करने का मापदण्ड’ विषयक शासनादेश संख्या-1288(।।)/30-4-2002-24 के0एम0/76, दिनांक 11 जून, 2002 तथा सरकारी विभागों की निष्प्रयोज्य गाड़ियों की नीलामी विषयक शासनादेश संख्या-1914/30-4-2002-38/90, दिनांक 05 अगस्त, 2022 में संशोधन किया गया है कि ‘भारत सरकार के कार्यालय ज्ञाप दिनांक 17 दिसम्बर, 2022 में विहित प्राविधानों के अनुसार एम0एस0टी0सी0 के माध्यम से 15 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके निष्प्रयोज्य सरकारी वाहनों की नीलामी की कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।’ इसके अतिरिक्त 15 वर्ष से कम आयु पूर्ण करने वाले सरकारी वाहनों की नीलामी के सम्बन्ध में शासनादेश संख्या-1288(।।)/30-4-2002-24 के0एम0/76, दिनांक 11 जून, 2002 तथा शासनादेश संख्या-1914/30-4-2002-38/90, दिनांक 05 अगस्त, 2022 के प्राविधान यथावत प्रभावी रहेंगे।
इस निर्णय से वाहनों को स्क्रैप कराये जाने हेतु दिए गये निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित हो सकेगा। साथ ही, 15 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके शासकीय वाहन जो वायु प्रदूषण के भी कारक हैं, की व्हीकल स्क्रैपिंग नीति के अन्तर्गत स्क्रैप होने के फलस्वरूप स्वच्छ एवं वायु प्रदूषण मुक्त वातावरण का निर्माण होगा। इस निर्णय से पुराने एवं निष्प्रयोज्य सरकारी वाहनों की स्क्रैपिंग हेतु वाहन स्वामियों को प्रोत्साहन मिलेगा। इससे एक ओर जहां प्रदूषणकारी वाहन अस्तित्वहीन हो जाएंगे, वहीं दूसरी ओर स्क्रैपिंग के सापेक्ष नये वाहनों की मांग बढ़ने से रोजगार के नये अवसर उत्पन्न होंगे, जिससे जनता को रोजगार व स्वास्थ्य सम्बन्धी लाभ प्राप्त होंगे।
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उ0प्र0 में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत के0एम0 (कृष्ण मोहन) विश्वविद्यालय, मथुरा की स्थापना के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत के0एम0 (कृष्ण मोहन) विश्वविद्यालय, मथुरा, उत्तर प्रदेश की स्थापना किये जाने के सम्बन्ध में ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ में संशोधन किये जाने हेतु ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (चतुर्थ संशोधन) अध्यादेश, 2023’ को प्रख्यापित कराये जाने एवं तत्पश्चात संचालन प्राधिकार पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
    उत्तर प्रदेश राज्य में उच्च शिक्षा प्रदान करने हेतु नये निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना करने और विद्यमान निजी विश्वविद्यालयों को निगमित करने तथा उनके कृत्यों को विनियमित करने और उससे सम्बन्धित या आनुषंगिक विषयों की व्यवस्था करने के लिए ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या-12 सन् 2019) विधायी अनुभाग-01 की अधिसूचना दिनांक 06 अगस्त, 2019 द्वारा प्रख्यापित किया गया है। उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन की अधिसूचना दिनांक 30 अगस्त, 2019 द्वारा इस अधिनियम को दिनांक 01 सितम्बर, 2019 से प्रवर्तित किया गया है।
     प्रायोजक संस्था को निर्गत किये गये आशय-पत्र के सम्बन्ध में धारा-6 की उप धारा-2 में धारा-3 में विनिर्दिष्ट अपेक्षाओं और शर्तों को पूर्ण करने और राज्य सरकार को उसकी अनुपालन आख्या शपथ-पत्र के साथ आशय पत्र जारी किये जाने की दिनांक से अधिकतम 02 वर्ष की अवधि के भीतर प्रस्तुत किये जाने तथा उप धारा (3) में धारा 3 के उपबन्धों का अनुपालन करने में विफल रहने पर जारी किये गये आशय पत्र को वापस लेने की शक्ति राज्य सरकार में निहित की गयी है।
     उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा 7 की उप धारा (1) में नये विश्वविद्यालय की स्थापना अथवा निगमन के प्राविधान के अन्तर्गत गजट में प्रकाशित अधिसूचना द्वारा विश्वविद्यालय के संचालन की अनुजा दिये जाने तथा उप धारा-2 में अधिनियम के अधीन स्थापित किये जाने वाले नये विश्वविद्यालयों के नाम इस अधिनियम में संशोधन करके अनुसूची में सम्मिलित किये जाने का उल्लेख है। उप धारा-3 में अधिनियम के साथ संलग्न अनुसूची-2 में अंतिम विश्वविद्यालय के नीचे अगले क्रमांक पर नये विश्वविद्यालय का नाम रखे जाने का प्राविधान है।
प्रायोजक संस्था श्री मोहन सिंह शिक्षा संस्थान मथुरा द्वारा प्रस्तावित के0एम0 (कृष्ण मोहन) विश्वविद्यालय, मथुरा की स्थापना के सम्बन्ध में मुख्य सचिव, उ0प्र0 शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की बैठक दिनांक 17 मई, 2022 में की गयी संस्तुति के आधार पर मंत्रिपरिषद द्वारा दिनांक 19 जुलाई, 2022 को लिये गये निर्णय के क्रम में शासन के पत्र दिनांक 20 जुलाई, 2022 द्वारा आशय पत्र निर्गत किया गया।
उच्च स्तरीय समिति की इस बैठक में प्रायोजक संस्था द्वारा प्रस्तावित 16 गाटों (8.094 हे0 भूमि) पर विश्वविद्यालय की स्थापना के सम्बन्ध में संस्तुति की गयी। प्रायोजक संस्था द्वारा उपलब्ध करायी गयी अनुपालन आख्या तथा निरीक्षण एवं सत्यापन समिति की आख्या दिनांक 31 दिसम्बर, 2022 के अनुसार आशय पत्र में अंकित 16 गाटों के स्थान पर अब प्रायोजक संस्था द्वारा 12 अतिरिक्त गाटों (0.222 हे0 भूमि) सहित कुल 28 गाटे प्रस्तावित किए गए हैं, जो प्रस्तावित विश्वविद्यालय की स्थापना के निमित्त है।
तदनुसार श्री मोहन सिंह शिक्षा संस्थान मथुरा द्वारा प्रस्तावित के0एम0 (कृष्ण मोहन) विश्वविद्यालय, मथुरा की स्थापना के सम्बन्ध में प्रस्तर-6 (ख) व प्रस्तर 6(ग) की तालिका में उल्लिखित प्रस्तावित 12 अतिरिक्त गाटों (0.222 हे0 भूमि) सहित कुल 28 गाटों पर अनुमोदन/संस्तुति हेतु मुख्य सचिव, उ0प्र0 शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया तथा यह प्रस्ताव किया गया कि उच्च स्तरीय समिति के अनुमोदन/संस्तुति के उपरान्त 12.50 एकड़ से अधिक भूमि के सम्बन्ध में राजस्व विभाग की अनुमति प्राप्त होने पर निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए आशय पत्र पूर्ववर्ती प्रभाव से संशोधित करने हेतु संचालन प्राधिकार पत्र के लिये प्रस्तुत की जाने वाली मंत्रिपरिषद की टिप्पणी में इस बिन्दु का समावेश करते हुए मंत्रिपरिषद का आदेश प्राप्त कर आशय पत्र संशोधित किया जायेगा। उच्च स्तरीय समिति की दिनांक 02 फरवरी, 2023 को सम्पन्न बैठक में समिति द्वारा वर्चुअल बैठक में जुड़े सम्बन्धित अधिकारियों एवं प्रायोजक संस्था के साथ चर्चा के क्रम में उच्च स्तरीय समिति द्वारा प्रस्तावित के0एम0 (कृष्ण मोहन) विश्वविद्यालय, मथुरा की स्थापना के प्रस्ताव के सम्बन्ध में सम्यक विचार-विमर्श के उपरान्त प्रायोजक संस्था श्री मोहन सिंह शिक्षा संस्थान मथुरा द्वारा प्रस्तावित 12 अतिरिक्त गाटों (0.222 हे0 भूमि) सहित कुल 28 गाटों पर अनुमोदन/संस्तुति प्रदान की गयी। उपर्युक्त के आलोक में आशय पत्र पूर्ववर्ती प्रभाव (निर्गत किये गये आशय पत्र की दिनांक से) से संशोधित किये जाने का प्रस्ताव है।
प्रस्तावित विश्वविद्यालय की स्थापना के सम्बन्ध में सम्बन्धित प्रायोजक संस्था द्वारा उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा-3 में उल्लिखित शर्तों और वचनबद्धताओं की पूर्ति कर ली गयी है। के0एम0 (कृष्ण मोहन) विश्वविद्यालय, मथुरा, उत्तर प्रदेश का नाम उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा-7, उप धारा (2) के अन्तर्गत अधिनियम के संशोधन के माध्यम से उप धारा (3) में वर्णित अनुसूची-2 में उल्लिखित अंतिम विश्वविद्यालय के नीचे अगले क्रमांक पर रखने का प्रस्ताव है। तद्नुसार उ0प्र0 निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 में संशोधन हेतु उ0प्र0 निजी विश्वविद्यालय (चतुर्थ संशोधन) अध्यादेश, 2023 के प्रख्यापन के पश्चात उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा-7, उप धारा (1) के अन्तर्गत विश्वविद्यालय के संचालन हेतु संचालन प्राधिकार-पत्र को निर्गत किया जाएगा।
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उ0प्र0 में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत मेजर एस0डी0 सिंह यूनिवर्सिटी, फतेहगढ़, फर्रुखाबाद की स्थापना के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत मेजर एस0डी0 सिंह यूनिवर्सिटी, फतेहगढ़, फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश की स्थापना किये जाने के सम्बन्ध में ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ में संशोधन किये जाने हेतु ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (पांचवां संशोधन) अध्यादेश, 2023’ को प्रख्यापित कराये जाने एवं तत्पश्चात संचालन प्राधिकार पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
    उत्तर प्रदेश राज्य में उच्च शिक्षा प्रदान करने हेतु नये निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना करने और विद्यमान निजी विश्वविद्यालयों को निगमित करने तथा उनके कृत्यों को विनियमित करने और उससे सम्बन्धित या आनुषंगिक विषयों की व्यवस्था करने के लिए ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या-12 सन् 2019) विधायी अनुभाग-01 की अधिसूचना दिनांक 06 अगस्त, 2019 द्वारा प्रख्यापित किया गया है। उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन की अधिसूचना दिनांक 30 अगस्त, 2019 द्वारा इस अधिनियम को दिनांक 01 सितम्बर, 2019 से प्रवर्तित किया गया है।
     प्रायोजक संस्था को निर्गत किये गये आशय-पत्र के सम्बन्ध में धारा-6 की उप धारा-2 में धारा-3 में विनिर्दिष्ट अपेक्षाओं और शर्तों को पूर्ण करने और राज्य सरकार को उसकी अनुपालन आख्या शपथ-पत्र के साथ आशय पत्र जारी किये जाने की दिनांक से अधिकतम 02 वर्ष की अवधि के भीतर प्रस्तुत किये जाने तथा उप धारा (3) में धारा 3 के उपबन्धों का अनुपालन करने में विफल रहने पर जारी किये गये आशय पत्र को वापस लेने की शक्ति राज्य सरकार में निहित की गयी है।
     उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा 7 की उप धारा (1) में नये विश्वविद्यालय की स्थापना अथवा निगमन के प्राविधान के अन्तर्गत गजट में प्रकाशित अधिसूचना द्वारा विश्वविद्यालय के संचालन की अनुजा दिये जाने तथा उप धारा-2 में अधिनियम के अधीन स्थापित किये जाने वाले नये विश्वविद्यालयों के नाम इस अधिनियम में संशोधन करके अनुसूची में सम्मिलित किये जाने का उल्लेख है। उप धारा-3 में अधिनियम के साथ संलग्न अनुसूची-2 में अंतिम विश्वविद्यालय के नीचे अगले क्रमांक पर नये विश्वविद्यालय का नाम रखे जाने का प्राविधान है।
प्रस्तावित विश्वविद्यालय की स्थापना के सम्बन्ध में सम्बन्धित प्रायोजक संस्था द्वारा उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा-3 में उल्लिखित शर्तां एवं वचनबद्धताओं की पूर्ति कर ली गयी है। अतः मेजर एस0डी0 सिंह यूनिवर्सिटी, फतेहगढ़, फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश का नाम ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ की धारा-7, उप धारा (2) के अन्तर्गत अधिनियम के संशोधन के माध्यम से उप धारा (3) में वर्णित अनुसूची-2 में उल्लिखित अन्तिम विश्वविद्यालय के नीचे अगले क्रमांक पर रखने का प्रस्ताव है। तद्नुसार ‘उ0प्र0 निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ में संशोधन हेतु ‘उ0प्र0 निजी विश्वविद्यालय (पांचवां संशोधन) अध्यादेश 2023 के प्रख्यापन के पश्चात ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ की धारा-7, उप धारा (1) के अन्तर्गत विश्वविद्यालय के संचालन हेतु संचालन प्राधिकार पत्र निर्गत किया जाएगा।
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उ0प्र0 में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत अग्रवन हेरीटेज यूनिवर्सिटी, आगरा की स्थापना के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत अग्रवन हेरीटेज यूनिवर्सिटी, आगरा, उत्तर प्रदेश की स्थापना किये जाने के सम्बन्ध में ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ में संशोधन किये जाने हेतु ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश, 2023’ को प्रख्यापित कराये जाने एवं तत्पश्चात संचालन प्राधिकार पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
    उत्तर प्रदेश राज्य में उच्च शिक्षा प्रदान करने हेतु नये निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना करने और विद्यमान निजी विश्वविद्यालयों को निगमित करने तथा उनके कृत्यों को विनियमित करने और उससे सम्बन्धित या आनुषंगिक विषयों की व्यवस्था करने के लिए ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या-12 सन् 2019) विधायी अनुभाग-01 की अधिसूचना दिनांक 06 अगस्त, 2019 द्वारा प्रख्यापित किया गया है। उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन की अधिसूचना दिनांक 30 अगस्त, 2019 द्वारा इस अधिनियम को दिनांक 01 सितम्बर, 2019 से प्रवर्तित किया गया है।
     प्रायोजक संस्था को निर्गत किये गये आशय-पत्र के सम्बन्ध में धारा-6 की उप धारा-2 में धारा-3 में विनिर्दिष्ट अपेक्षाओं और शर्तों को पूर्ण करने और राज्य सरकार को उसकी अनुपालन आख्या शपथ-पत्र के साथ आशय पत्र जारी किये जाने की दिनांक से अधिकतम 02 वर्ष की अवधि के भीतर प्रस्तुत किये जाने तथा उप धारा (3) में धारा 3 के उपबन्धों का अनुपालन करने में विफल रहने पर जारी किये गये आशय पत्र को वापस लेने की शक्ति राज्य सरकार में निहित की गयी है।
     उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा 7 की उप धारा (1) में नये विश्वविद्यालय की स्थापना अथवा निगमन के प्राविधान के अन्तर्गत गजट में प्रकाशित अधिसूचना द्वारा विश्वविद्यालय के संचालन की अनुजा दिये जाने तथा उप धारा-2 में अधिनियम के अधीन स्थापित किये जाने वाले नये विश्वविद्यालयों के नाम इस अधिनियम में संशोधन करके अनुसूची में सम्मिलित किये जाने का उल्लेख है। उप धारा-3 में अधिनियम के साथ संलग्न अनुसूची-2 में अंतिम विश्वविद्यालय के नीचे अगले क्रमांक पर नये विश्वविद्यालय का नाम रखे जाने का प्राविधान है।
प्रस्तावित विश्वविद्यालय की स्थापना के सम्बन्ध में सम्बन्धित प्रायोजक संस्था द्वारा ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ की धारा-3 में उल्लिखित शर्तां और वचनबद्धताओं की पूर्ति कर ली गयी है। प्रस्तर-6 में उल्लिखित वचनबद्धता की पूर्ति प्रायोजक संस्था को करनी होगी, के शर्त के साथ अग्रवन हेरीटेज यूनिवर्सिटी, आगरा, उत्तर प्रदेश का नाम ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ की धारा-7, की उप धारा-2 के अन्तर्गत अधिनियम के संशोधन के माध्यम से उप धारा-3 में वर्णित अनुसूची-2 में उल्लिखित अन्तिम विश्वविद्यालय के नीचे अगले क्रमांक पर रखने का प्रस्ताव है। तद्नुसार उ0प्र0 निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 में संशोधन हेतु ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश, 2023’ के प्रख्यापन के पश्चात ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ की धारा-7, की उप धारा-1 के अन्तर्गत विश्वविद्यालय के संचालन हेतु संचालन प्राधिकार पत्र को निर्गत किया जाएगा।
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उ0प्र0 में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत एस0डी0जी0आई0 ग्लोबल विश्वविद्यालय, गाजियाबाद की स्थापना के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत एस0डी0जी0आई0 ग्लोबल विश्वविद्यालय, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश की स्थापना किये जाने के सम्बन्ध में ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ में संशोधन किये जाने हेतु ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (तृतीय संशोधन) अध्यादेश, 2023’ को प्रख्यापित कराये जाने एवं तत्पश्चात संचालन प्राधिकार पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
    उत्तर प्रदेश राज्य में उच्च शिक्षा प्रदान करने हेतु नये निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना करने और विद्यमान निजी विश्वविद्यालयों को निगमित करने तथा उनके कृत्यों को विनियमित करने और उससे सम्बन्धित या आनुषंगिक विषयों की व्यवस्था करने के लिए ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या-12 सन् 2019) विधायी अनुभाग-01 की अधिसूचना दिनांक 06 अगस्त, 2019 द्वारा प्रख्यापित किया गया है। उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन की अधिसूचना दिनांक 30 अगस्त, 2019 द्वारा इस अधिनियम को दिनांक 01 सितम्बर, 2019 से प्रवर्तित किया गया है।
     प्रायोजक संस्था को निर्गत किये गये आशय-पत्र के सम्बन्ध में धारा-6 की उप धारा-2 में धारा-3 में विनिर्दिष्ट अपेक्षाओं और शर्तों को पूर्ण करने और राज्य सरकार को उसकी अनुपालन आख्या शपथ-पत्र के साथ आशय पत्र जारी किये जाने की दिनांक से अधिकतम 02 वर्ष की अवधि के भीतर प्रस्तुत किये जाने तथा उप धारा (3) में धारा 3 के उपबन्धों का अनुपालन करने में विफल रहने पर जारी किये गये आशय पत्र को वापस लेने की शक्ति राज्य सरकार में निहित की गयी है।
     उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा 7 की उप धारा (1) में नये विश्वविद्यालय की स्थापना अथवा निगमन के प्राविधान के अन्तर्गत गजट में प्रकाशित अधिसूचना द्वारा विश्वविद्यालय के संचालन की अनुज्ञा दिये जाने तथा उप धारा-2 में अधिनियम के अधीन स्थापित किये जाने वाले नये विश्वविद्यालयों के नाम इस अधिनियम में संशोधन करके अनुसूची में सम्मिलित किये जाने का उल्लेख है। उप धारा-3 में अधिनियम के साथ संलग्न अनुसूची-2 में अंतिम विश्वविद्यालय के नीचे अगले क्रमांक पर नये विश्वविद्यालय का नाम रखे जाने का प्राविधान है।
प्रस्तावित विश्वविद्यालय की स्थापना के सम्बन्ध में सम्बन्धित प्रायोजक संस्था द्वारा ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ की धारा-3 में उल्लिखित शर्तां और वचनबद्धताओं की पूर्ति कर ली गयी है। अतः एस0डी0जी0आई0 ग्लोबल विश्वविद्यालय, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश का नाम ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ की धारा-7, उप धारा-2 के अन्तर्गत अधिनियम के संशोधन के माध्यम से उप धारा-3 में वर्णित अनुसूची-2 में उल्लिखित अन्तिम विश्वविद्यालय के नीचे अगले क्रमांक पर रखने का प्रस्ताव है। तद्नुसार ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ में संशोधन हेतु ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (तृतीय संशोधन) अध्यादेश, 2023’ के प्रख्यापन के पश्चात ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ की धारा-7, उप धारा-1 के अन्तर्गत विश्वविद्यालय के संचालन हेतु संचालन प्राधिकार पत्र को निर्गत किया जाएगा।
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निजी क्षेत्र में ‘विद्या विश्वविद्यालय, मेरठ, उ0प्र0’ की स्थापना हेतु आशय पत्र निर्गत किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत 

मंत्रिपरिषद ने ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ के अन्तर्गत निजी क्षेत्र में ‘विद्या विश्वविद्यालय, मेरठ, उत्तर प्रदेश’ की स्थापना हेतु आशय पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश राज्य में नये निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना करने और विद्यमान निजी विश्वविद्यालयों को निगमित करने तथा उनके कृत्यों को विनियमित करने के उद्देश्य से ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ प्रवर्तित किया गया है। इस अधिनियम की धारा-4 में नये विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने, धारा-5 में प्रस्ताव का मूल्यांकन किये जाने व धारा-6 में आशय पत्र निर्गत किये जाने विषयक प्राविधान विहित हैं।
उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या 12 सन् 2019) की धारा 58 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके राज्यपाल, उत्तर प्रदेश द्वारा राज्य में निजी विश्वविद्यालय स्थापित किये जाने की प्रक्रिया को विनियमित करने की दृष्टि से उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना) नियमावली 2021 का प्रख्यापन किया गया है। इस नियमावली के नियम-14 के अन्तर्गत उच्च शिक्षा विभाग द्वारा मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति के समक्ष मन्तव्य एवं संस्तुति सहित प्रस्तुत किये जाने का प्राविधान है।
उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन में प्राप्त प्रस्ताव के परीक्षण हेतु राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में गठित की गयी समिति द्वारा शासन को प्रस्तुत की गयी निरीक्षण आख्या पर विचारोपरान्त मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की बैठक 02 फरवरी, 2023 में की गयी संस्तुति के आधार पर विद्या विश्वविद्यालय, मेरठ (उ0प्र0) की प्रायोजक संस्था विद्या बाल मण्डली सोसाइटी, विद्या नॉलेज पार्क, बागपत रोड, मेरठ को आशय पत्र निर्गत किये जाने की संस्तुति की गयी है।
आशय पत्र निर्गत करने की संस्तुति मेरठ विकास प्राधिकरण, मेरठ की सशर्त अनापत्ति के दृष्टिगत प्रायोजक संस्था द्वारा प्रस्तावित विश्वविद्यालय हेतु स्वीकृत मानचित्र के विरुद्ध कोई निर्माण नहीं किये जाने तथा विश्वविद्यालय के परिसर में कोई नवीन निर्माण करने से पूर्व प्राधिकरण से मानचित्र स्वीकृत कराये जाने की सूचना अनुपालन आख्या के साथ उपलब्ध कराये जाने की शर्त के अधीन की गयी है।
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उ0प्र0 में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत महावीर विश्वविद्यालय, मेरठ की स्थापना के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत महावीर विश्वविद्यालय, मेरठ, उत्तर प्रदेश की स्थापना किये जाने के सम्बन्ध में ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ में संशोधन किये जाने हेतु ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश, 2023’ को प्रख्यापित कराये जाने एवं तत्पश्चात संचालन प्राधिकार पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
    उत्तर प्रदेश राज्य में उच्च शिक्षा प्रदान करने हेतु नये निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना करने और विद्यमान निजी विश्वविद्यालयों को निगमित करने तथा उनके कृत्यों को विनियमित करने और उससे सम्बन्धित या आनुषंगिक विषयों की व्यवस्था करने के लिए ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या-12 सन् 2019) विधायी अनुभाग-01 की अधिसूचना दिनांक 06 अगस्त, 2019 द्वारा प्रख्यापित किया गया है। उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन की अधिसूचना दिनांक 30 अगस्त, 2019 द्वारा इस अधिनियम को दिनांक 01 सितम्बर, 2019 से प्रवर्तित किया गया है।
     प्रायोजक संस्था को निर्गत किये गये आशय-पत्र के सम्बन्ध में धारा-6 की उप धारा-2 में धारा-3 में विनिर्दिष्ट अपेक्षाओं और शर्तों को पूर्ण करने और राज्य सरकार को उसकी अनुपालन आख्या शपथ-पत्र के साथ आशय पत्र जारी किये जाने की दिनांक से अधिकतम 02 वर्ष की अवधि के भीतर प्रस्तुत किये जाने तथा उप धारा (3) में धारा 3 के उपबन्धों का अनुपालन करने में विफल रहने पर जारी किये गये आशय पत्र को वापस लेने की शक्ति राज्य सरकार में निहित की गयी है।
     उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा 7 की उप धारा (1) में नये विश्वविद्यालय की स्थापना अथवा निगमन के प्राविधान के अन्तर्गत गजट में प्रकाशित अधिसूचना द्वारा विश्वविद्यालय के संचालन की अनुज्ञा दिये जाने तथा उप धारा-2 में अधिनियम के अधीन स्थापित किये जाने वाले नये विश्वविद्यालयों के नाम इस अधिनियम में संशोधन करके अनुसूची में सम्मिलित किये जाने का उल्लेख है। उप धारा-3 में अधिनियम के साथ संलग्न अनुसूची-2 में अंतिम विश्वविद्यालय के नीचे अगले क्रमांक पर नये विश्वविद्यालय का नाम रखे जाने का प्राविधान है।
प्रस्तावित विश्वविद्यालय की स्थापना के सम्बन्ध में सम्बन्धित प्रायोजक संस्था द्वारा ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ की धारा-3 में उल्लिखित शर्तां और वचनबद्धताओं की पूर्ति कर ली गयी है। अतः महावीर विश्वविद्यालय, मेरठ, उत्तर प्रदेश का नाम ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ की धारा-7 की उप धारा-2 के अन्तर्गत अधिनियम के संशोधन के माध्यम से उप धारा-3 में वर्णित अनुसूची-2 में उल्लिखित अन्तिम विश्वविद्यालय के नीचे अगले क्रमांक पर रखने का प्रस्ताव है। तद्नुसार ‘उ0प्र0 निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ में संशोधन हेतु ‘उ0प्र0 निजी विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश, 2023’ के प्रख्यापन के पश्चात ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ की धारा-7, उप धारा-1 के अन्तर्गत विश्वविद्यालय के संचालन हेतु संचालन प्राधिकार पत्र को निर्गत किया जाएगा।
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