लोकतंत्र सेनानी चौधरी इरशाद अहमद गद्दी ने प्रधानमंत्री, गृहमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर राष्ट्रीय आपातकाल के विरुद्ध बंदी लोकतंत्र सेनानियों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा दिलाए जाने एवं आपातकाल का पाठ्यक्रम बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा के पाठ्य पुस्तकों में शामिल किए जाने की मांग की है।
पत्र में लिखा है कि 25 जून 1975 को संवैधानिक प्रावधानों का दुरुपयोग करते हुए, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की हत्या करने के उद्देश्य से एवं अपनी कुर्सी को बचाने के उद्देश्य से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा अनुच्छेद 352 का दुरुपयोग करते हुए राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की गई थी। आपातकालीन अवधि में व्यापक पैमाने पर आम जनमानस तथा अन्य पार्टियों के नेताओं को गिरफ्तार करते हुए कठोर यातनाएं दी गई जो एक निंदनीय कदम था। 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक सरकारी संस्थाओं को तत्कालीन प्रधानमंत्री के द्वारा मनमाने ढंग से उपयोग करते हुए हजारों नेताओं को जेल में बंद कर तानाशाही रवैया अपनाया गया था जो कि भारतीय लोकतंत्र का एक काला तथा क्रूर अवधि था।
आपातकालीन अवधि को बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा के पाठ्यक्रमों में सम्मिलित किया जाए ताकि भावी पीढ़ी भी भारतीय लोकतंत्र के काली अवधि से परिचित हो सकें। आपातकालीन अवधि में गिरफ्तार हुए नेताओं को लोकतंत्र सेनानी से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा देने, 25 जून को राष्ट्रीय काला दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा करने के साथ ही आपातकाल के शूरवीर लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान राशि देने की मांग की गई ।
असगर अली
उतरौला
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