उतरौला(बलरामपुर) विकास खण्ड गैंडास बुजुर्ग के सबसे बड़े ग्राम पंचायत के 87 पुरवों में पेयजल आपूर्ति लगभग चार वर्षों से ठप पड़ी है। 
पेयजल आपूर्ति के लिए लगभग दस वर्ष पूर्व बनाई गई पानी की टंकी से ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति नहीं हो रही है। ग्राम प्रधान व जल निगम में कर्मचारियों की तैनाती को लेकर चल रहे विवाद से ग्रामीण शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं।
शासन ने ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए ग्राम पंचायत इट ई रामपुर में 19 करोड़ की लागत से दो पानी की टंकी का निर्माण कराया। इसमें गांव के गड़रहिया व राज बहादुर डीह में ट्यूबवेल बनाकर लगभग तीस हजार ग्रामीणों को शुद्ध जल आपूर्ति के लिए पानी आपूर्ति का कनेक्शन कर दिया। पानी का कनेक्शन गांवों में होने के बाद कुछ वर्ष तक जल निगम ने ट्यूबवेल चलवाकर ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की। विवाद उस समय शुरू हुआ जब शासन के आदेश पर पानी की टंकी से पेयजल आपूर्ति का दायित्व जल निगम से हटाकर ग्राम पंचायत को सौंप दी। उसपर ग्राम पंचायत ने पानी की टंकी पर कोई कर्मचारी की तैनाती न होने पर पेयजल आपूर्ति ठप हो गया। ग्राम प्रधान रमेश का कहना है कि सरकार ने दोनों पानी की टंकी पर लगे ट्यूबवेल को चलाने,बिजली मरम्मत के लिए इलेक्ट्रीशियन व प्लम्बर कर्मचारी की नियुक्ति नहीं की। कर्मचारी की तैनाती न होने से पानी का ट्यूबवेल बंद पड़ा होने से ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल आपूर्ति चार वर्षों से बंद पड़ा है। वहीं गांवों में जगह जगह पाइप लाइन टूटी है और लीकेज भी ज्यादा है। टकी की ऊपर की जाली टूटी है जिससे गन्दगी ज्यादा रहती है। अवर अभियंता जल निगम सिद्धार्थ पाण्डेय ने बताया कि शासन के आदेश से पानी की टंकी के संचालन का दायित्व ग्राम पंचायत को सौंपा जा चुका है। पानी की टंकी को चलाने के लिए विभाग ने किसी कर्मचारी की तैनाती नहीं की है। ग्राम पंचायत को पानी की टंकी को चलाने के लिए गांव के किसी व्यक्ति को दायित्व देकर चलवा सकता है।
 फिलहाल ग्राम प्रधान व जल निगम के बीच कर्मचारियों की तैनाती को लेकर विवाद होने से 87 पुरवों के लगभग तीस हजार आबादी के लोग चार वर्षों से शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं।
असगर अली 
उतरौला

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