भारतीय प्रबन्ध संस्थान, लखनऊ की निदेशक डाॅ0 अर्चना शुक्ला एवं संस्थान के वरिष्ठ प्रोफेसरों ने विधान सभा के अध्यक्ष, श्री सतीश महाना जी, से भेंट की। अध्यक्ष महोदय की पहल पर भारतीय प्रबन्ध संस्थान की निदेशक एवं उनके सहयोगी शिक्षकों से विधायिका के संचालन एवं प्रशासन के विषय में प्रबन्धन की गुणवत्ता बढ़ाए जाने के विषय में चर्चा की गई। अध्यक्ष, विधान सभा के स्तर से यह विचार किया गया कि भारतीय प्रबन्ध संस्थान की दक्षता का प्रयोग विधायिका के संचालन एवं सम्पादन में भी किए जाने हेतु ‘इनीशिएटिव’ लिया जाना चाहिए। इसी क्रम में अध्यक्ष, विधान सभा एवं भारतीय प्रबन्ध संस्थान की निदेशक एवं वरिष्ठ शिक्षकों के बीच विस्तृत विचार-विमर्श हुआ।
अध्यक्ष, विधान सभा ने भारतीय प्रबन्ध संस्थान की निदेशक एवं उनके सहयोगियों से यह अपेक्षा की कि विधायिका की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन के विषय में जो परिवर्तन विचाराधीन हैं, उसमें प्रबन्ध संस्थान की ओर से ‘इनपुट’ दिया जा सकता है, जिससे प्रक्रिया एवं कार्य संचालन को बेहतर किया जा सके। इसके अतिरिक्त विधान सभा मंे मा0 सदस्यों के कार्य व्यवहार, विधायिका के मीडिया के साथ परस्पर संबंध, विधायिका एवं ब्यूरोक्रैसी के परस्पर समन्वय के संदर्भ में प्रबन्ध संस्थान की ओर से क्या विचार दिए जा सकते हैं, इस विषय पर आगे भी बैठकें की जाएंगी। संस्थान की निदेशक एवं उनके सहयोगियों द्वारा उक्त विषयों पर विमर्श के पश्चात् यह आश्वासन दिया गया कि वह इस संदर्भ में प्रबन्ध संस्थान के स्तर पर अपेक्षित शोध एवं चर्चा के पश्चात् योगदान प्रस्तुत करेंगे।
भारत में विधायिका एवं भारतीय प्रबन्ध संस्थान के मध्य इस प्रकार के संवाद का यह पहला प्रयोग है। स्वतंत्रता के बाद अभी तक विधायिका एवं उसकी प्रक्रिया के संदर्भ में प्रबन्ध संस्थान के साथ इस प्रकार का कोई विमर्श नहीं हुआ है, जिससे प्रक्रिया को सरलीकृत किया जा सके एवं उसकी गुणवत्ता बढ़ाई जा सके। अध्यक्ष, विधान सभा की यह एक नई सोच है, जिसके संबंध में आज की यह महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न हुई। यदि भारतीय प्रबन्ध संस्थान एवं विधायिका के बीच इस प्रकार के संवाद एवं विमर्श से विधायिकाओं के संचालन में सहायता मिलती है तो इससे देश की अन्य विधान सभाएं भी, तद्नुसार, यह कार्रवाई कर सकेंगी।
अध्यक्ष, विधान सभा द्वारा प्रबन्ध संस्थान की निदेशक एवं उनके सहयोगियों को विधान सभा में किए गए विभिन्न परिवर्तनों से भी अवगत कराया गया। अध्यक्ष, विधान सभा द्वारा उन्हें यह भी बताया गया कि विधान सभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली में विस्तृत परिवर्तन एवं संशोधन विचाराधीन है। इसके अतिरिक्त अवस्थापना के क्षेत्र में जो अन्य परिवर्तन विधान सभा में किए गए हैं, उनसे भी प्रबन्ध संस्थान के प्रतिनिधियों को अवगत कराया गया।
इस मौके पर संस्थान की निदेशक अर्चना शुक्ला ने कहा कि यहां आने पर उन्हें काफी अचरज हुआ। उ0प्र0 विधान सभा के बारे में उन्होंने अभी तक सुना ही था, पहले टी0वी0 पर ही सब कुछ देखा था, पर विधान सभा को आधुनिक सुविधाओं और तकनीक से सुसज्जित देखकर बहुत अच्छा लगा। इस तरह के बदलाव और प्रयोगों से नई संस्कृति पैदा होगी, जिसका पूरा लाभ विधान सभा और आम जनता को अवश्य मिलेगा। इससे प्रदेश को एक नई दिशा और गति मिलेगी।
भारतीय प्रबन्ध संस्थान की निदेशक ने विधान सभा अध्यक्ष द्वारा प्रारम्भ किए गए नवाचार की सराहना की एवं विधायिका की संचालन प्रक्रिया पर एक विस्तृत शोध पत्र तैयार करने का आश्वासन भी दिया। विधान सभा सदस्यों को लीडरशिप एवं व्यवहार प्रबन्धन की दक्षता हेतु प्रेरित किए जाने की भी कार्ययोजना तैयार किए जाने का निश्चय किया गया।
विधान सभा अध्यक्ष द्वारा विधान सभा में अपने एक वर्ष के कार्यकाल में विधायिका के प्रबन्धन में जो नवीन आयाम स्थापित किए गए हैं, उस संबंध में प्रबन्धन के अधिकारियों से विचार-विमर्श किया गया। इन नवाचारों में समूह बैठकों के माध्यम से संबंध स्थापित करना, नियमों का सरलीकरण करना, महिला विधायकों एवं युवाओं को सदन में बोलने के लिए अधिक अवसर प्रदान करना तथा महिला सदस्यों के लिए विशेष सत्र आयोजित करना आदि शामिल है।
उक्त बैठक में भारतीय प्रबन्ध संस्थान की निदेशक प्रो0 अर्चना शुक्ला, प्रो0 अजय गर्ग, प्रो0 सुरेश जाखड़ के अतिरिक्त विधान सभा के प्रमुख सचिव श्री प्रदीप कुमार दुबे व अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
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