*_जीवन संगिनी -धर्म पत्नी की अंतिम विदाई_* 
(कृपया बिना रोए पढ़ें) 🙂
अगर पत्नी है तो दुनिया में सब कुछ है। राजा की तरह जीने और आज दुनिया में अपना सिर ऊंचा रखने के लिए अपनी पत्नी का शुक्रिया।  आपका फला-फूला परिवार सब पत्नी की मेहरबानी हैं। आपकी सुविधा असुविधा आपके बिना कारण के क्रोध को संभालती है। तुम्हारे सुख से सुखी है और तुम्हारे दुःख से दुःखी है। आप रविवार को देर से बिस्तर पर रहते हैं लेकिन इसका कोई रविवार या त्यौहार नहीं होता है। चाय लाओ, पानी लाओ, खाना लाओ। मेरा चश्मा व मोबाईल लाओ। ये ऐसा है और वो ऐसा है। कब अक्कल आएगी तुम्हें ? ऐसे ताने मारते हो।  उसके पास बुद्धि है और केवल उसी के कारण तो आप जीवित है। समाज मे सिर ऊँचा, सीना तानकर चलते हों। वरना दुनिया में आपको कोई भी नहीं पूछेगा। अब जरा इस स्थिति की सिर्फ कल्पना करें :
एक दिन *पत्नी* अचानक रात को गुजर जाती है! सब तरफ सन्नाटा है|
घर में रोने की आवाज आ रही है। पत्नी का *अंतिम दर्शन* चल रहा था।
उस वक्त पत्नी की आत्मा जाते जाते जो कह रही है उसका वर्णन :
*मैं अब जा रही हूँ अब हम फिर कभी नहीं मिलेंगे*
तो पति देव मैं जा रही हूँ।
जिस दिन शादी के फेरे लिए थे उस वक्त साथ साथ जियेंगे ऐसा वचन दिया था। पर इस समय अचानक अकेले जाना पड़ेगा ये मुझे पता नहीं था।
*मुझे जाने दो।*
अपने आंगन में अपना शरीर छोड़ कर जा रही हूँ। आप अकेले पड़ जायेंगे।
बहुत दर्द हो रहा है मुझे।
लेकिन मैं मजबूर हूँ अब मैं जा रही हूँ। मेरा मन नही मान रहा पर अब मै कुछ नहीं कर सकती।
*मुझे जाने दो*
बेटा और बहु रो रहे है देखो। 
मैं ऐसा नहीं देख सकती। उनको दिलासा भी नही दे सकती हूँ। पोता दादी दादी दादी माँ कर रहा है, उसे शांत करो, बिल्कुल ध्यान नही दे रहे है। और हां आप भी मन मजबूत रखना और बिल्कुल ढीले न होना। आँखों से आँसू मत बहने देना।
*मुझे जाने दो*
अभी बेटी ससुराल से आएगी और मेरा मृत  शरीर देखकर बहुत रोएगी, तड़प-तड़प कर रोयेगी, बेहोश हो जायेगी। तब उसे संभालना और शांत करना। और आप भी बिल्कुल भी नही रोना। बस इतनी हिम्मत रखना।
*मुझे जाने दो*
जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है। जो भी इस दुनिया में आया है वो यहाँ से ऊपर गया है। यह प्रकृति का नीयम हैं। धीरे-धीरे मुझे भूल जाना, मुझे बहुत याद नही करना। और इस जीवन में फिर से काम मे डूब जाना। अब मेरे बिना जीवन जीने की आदत  जल्दी से डाल देना। गुमसुम न रहना |
*मुझे जाने दो*
आप ने इस जीवन में मेरा कहा कभी नही माना। अब जिद्द छोड़कर व्यवहार में विनम्र रहना। आपको अकेला छोड़ कर जाते मुझे बहुत चिंता हो रही है। लेकिन मैं मजबूर हूं। विधाता ने इतने दिन ही साथ रहने का लेख लिखा था।
*मुझे जाने दो*
आपको BP और डायबिटीज है। गलती से भी मीठा नही खाना, न ही कही कार्यक्रम में खाना खाने जाना, अन्यथा परेशानी होगी।  
सुबह उठते ही दवा लेना न भूलना। चाय अगर आपको देर से मिलती है तो बहु पर गुस्सा न करना। अब मैं नहीं हूं, यह समझ कर जीना सीख लेना।
*मुझे जाने दो*
बेटा और बहू कुछ बोले तो चुपचाप सब सुन लेना और सह लेना। कभी गुस्सा नही करना। हमेशा मुस्कुराते रहना कभी उदास नही होना, कि मैं अकेला हूँ |
*मुझे जाने दो*
अपने बेटे के बेटे के साथ खेलना। अपने दोस्तों  के साथ समय बिताना। अब थोड़ा धार्मिक जीवन जियें ताकि जीवन को संयमित किया जा सके। अगर मेरी याद आये तो चुपचाप रो लेना, लेकिन कभी कमजोर नही होना।
*मुझे जाने दो*
मेरा रूमाल कहां है, मेरी चाबी कहां है अब ऐसे चिल्लाना नही। सब कुछ चयन से रखना और याद रखने की आदत करना। सुबह और शाम नियमित रूप से दवा ले लेना। अगर बहु भूल जाय तो सामने से याद कर लेना। जो भी रूखा - सूखा खाने को मिले प्यार से खा लेना और गुस्सा नही करना।
मेरी अनुपस्थिति खलेगी पर कमजोर नहीं होना।
*मुझे जाने दो*
बुढ़ापे की छड़ी भूलना नही और धीरे-धीरे चलना।
यदि बीमार हो गए और बिस्तर में लेट गए तो किसी को भी सेवा करना पसंद नहीं आएगा।
तो आप चुपचाप अनाथ आश्रम चले जाना, बच्चे व बहू की बुराई मत करना ।
*मुझे जाने दो*
शाम को बिस्तर पर जाने से पहले एक लोटा पानी माँग लेना। प्यास लगे तो पानी पी लेना। एक पुरानी टार्च है, उसे ठीक करा लेना।
अगर आपको रात को उठना पड़े तो अंधेरे में कुछ लगे नही, उसका ध्यान रखना।
*मुझे जाने दो*
शादी के बाद हम बहुत प्यार से साथ रहे। परिवार में फूल जैसे बच्चे दिए। अब उस फूलों की सुगंध मुझे नही मिलेगी। आप बगीयन को मेरी जगह, प्यार से निहारते रहना।
*मुझे जाने दो*
उठो सुबह हो गई अब ऐसा कोई नहीं कहेगा। अब अपने आप उठने की आदत डाल लेना, किसी की प्रतीक्षा नही करना।
चाय-नाश्ता मिले न मिले तो ,
चुपचाप सह लेना।
*मुझे जाने दो*
और हाँ... एक बात तुमसे छिपाई है, मुझे माफ कर देना।
आपको बिना बताए बाजू की पोस्ट ऑफिस में बचत खाता खुलवाकर 10 लाख रुपये जमा किये हैं। बचत करना मेरी दादी ने सिखाया था। एक-एक रुपया जमा कर के कोने में रख दिया। इसमें से आठ लाख बहू-बेटियों को देना ,और अपने खाते में दो लाख रखना आपके लिए।
*मुझे जाने दो*
भगवान की भक्ति और पूजा सामयिक स्वाध्याय  करना भूलना नही। अब  फिर कभी नहीं मिलेंगे !!
मुझसे कोईभी गलती हुई हो तो मुझे माफ कर देना।
 *मुझे जाने दो*
 *मुझे जाने दो*
आपकी जीवन संगिनी

*आइए, हम वर्ष 2023में संकल्प करते हैं कि अपनी धर्म-पत्नी के साथ आजीवन सम्मानपूर्ण व्यवहार करते हुए उसे लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा स्वरूप समझेंगे।*
    • भारतीय नारी नर की खान है..
   यू कहो तो हिन्दुस्तान की शान हैं!
🙏🌹🙏.

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