मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

लखनऊ: 12 मई, 2023

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-
 
‘निःशुल्क तिलहन बीज मिनी किट वितरण एवं
प्रसार कार्यक्रम’ के संचालन का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने नवीन योजना ‘निःशुल्क तिलहन बीज मिनी किट वितरण एवं प्रसार कार्यक्रम’ संचालित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। प्रदेश में तिलहनी फसलांे आच्छादन, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि, तिलहनी फसलों की खेती को बढ़ावा देने, नई प्रजातियों के प्रचार-प्रसार तथा तकनीक की जानकारी देने के उददेश्य से यह योजना वर्ष 2023-24 से वर्ष 2026-27 तक संचालित की जाएगी। ‘निःशुल्क तिलहन बीज मिनी किट वितरण एवं प्रसार कार्यक्रम’ के क्रियान्वयन पर 11457.60 लाख रुपये का व्यय अनुमानित है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश को खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनाने के लिए तिलहनी फसलों के आच्छादन, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि किया जाना अपरिहार्य है। कार्यक्रम की रणनीति के तहत कृषकों को तिलहनी फसलों के गुणवत्तायुक्त मिनी किट बीजों का निःशुल्क वितरण कर अधिकाधिक क्षेत्रफल को आच्छादित किया जाएगा। 20 या 20 हेक्टेयर से अधिक तिलहन क्षेत्र आच्छादन वाली चयनित ग्राम पंचायतों का फसलवार चयन करते हुए उनमें तिलहनी फसलों की उन्नति खेती के सम्बन्ध में किसान पाठशाला का आयोजन एवं प्रदर्शन किया जाएगा।
संकर सरसों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए चयनित ग्राम पंचायतों में प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे। सभी जिला कृषि अधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा कि किसानों को दिए जा रहे निःशुल्क मिनी किट की बुवाई सुनिश्चित कराते हुए उसका भौतिक सत्यापन अवश्य कराए, जिससे अतिरिक्त रूप से तिल, राई/सरसो, अलसी तथा मूंगफली के क्षेत्र आच्छादन में वृद्धि प्रदर्शित हो सके।
योजना के अन्तर्गत प्रदेश के समस्त 75 जनपदों में मूंगफली-20 किलोग्राम प्रति पैकेट, तिल-02 किलोग्राम प्रति पैकेट, राई/सरसांे-02 किलोग्राम प्रति पैकेट तथा अलसी-02 किलोग्राम प्रति पैकेट के रूप में बीज मिनी किट कृषकों को निःशुल्क वितरित किए जाएंगे। योजना के क्रियान्वयन से वर्ष 2023-24 से वर्ष 2026-27 तक कुल 26.66 लाख कृषक बीज मिनी किट से लाभान्वित होंगे। किसान पाठशाला के आयोजन से एक वर्ष में 11.90 लाख तथा चार वर्षों में कुल 47.62 लाख कृषक लाभान्वित होंगे। संकर सरसों के प्रदर्शन से 7,563 कृषक प्रति वर्ष तथा चार वर्षों में 30,252 कृषक लाभान्वित होंगे।
बीज मिनी किट के वितरण में सीमान्त एवं लघु कृषकों को प्राथमिकता दी जाएगी। वर्ष में 01 कृषक को एक बीज मिनी किट वितरित किया जाएगा। कृषकों का चयन कृषि विभाग के पोर्टल पर पंजीकृत अथवा भारत सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से आच्छादित कृषकों में से किया जाएगा। चयनित कृषकों में 25 प्रतिशत अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति के कृषकों को लाभान्वित किया जाएगा। महिला कृषकों को विशेष वरीयता प्रदान की जाएगी।
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‘निःशुल्क दलहन बीज मिनी किट वितरण एवं प्रसार
कार्यक्रम’ संचालित करने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने नवीन योजना ‘निःशुल्क दलहन बीज मिनीकिट वितरण एवं प्रसार कार्यक्रम’ संचालित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह योजना वर्ष 2023-24 से वर्ष 2026-27 तक संचालित की जाएगी। प्रदेश में दलहनी फसलों के आच्छादन, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि, दलहनी फसलों की खेती को बढ़ावा देना, नई प्रजातियों का प्रसार कर दालों का उपभोग बढ़ाना, तकनीक की जानकारी देने के लिए दलहन उत्पादन वाली ग्राम पंचायतों में फसल प्रदर्शन, कृषक प्रशिक्षण तथा किसान पाठशाला का आयोजन योजना के माध्यम से किया जाएगा।
योजना के अन्तर्गत प्रदेश में समस्त 75 जनपदों में जायद एवं खरीफ में उर्द के 04 किलोग्राम, मूंग के 04 किलोग्राम, खरीफ में अरहर के 03 किलोग्राम, रबी में चना के 16 किलोग्राम, मटर के 20 किलोग्राम एवं मसूर के 08 किलोग्राम के बीज मिनीकिट कृषकों को निःशुल्क वितरित किए जायेंगे।
योजना के क्रियान्वयन से वर्ष 2023-24 से वर्ष 2026-27 तक कुल 8.36 लाख कृषक बीज मिनीकिट से लाभान्वित होंगे। किसान पाठशाला के आयोजन से एक वर्ष में 14.29 लाख एवं चार वर्षों में कुल 57.17 लाख कृषक लाभान्वित होंगे। साथ ही, दलहन के प्रदर्शनों में 14,293 कृषक प्रतिवर्ष एवं चार वर्षों में 57,172 कृषक लाभान्वित होंगे। वर्ष 2023-24 से वर्ष 2026-27 तक प्रदेश में ‘निःशुल्क दलहन बीज मिनीकिट वितरण एवं प्रसार कार्यक्रम’ के क्रियान्वयन पर 12098.70 लाख रुपये का अनुमानित व्यय किया जाएगा।
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महर्षि महेश योगी रामायण विश्वविद्यालय, अयोध्या, उ0प्र0 की स्थापना हेतु
उसकी प्रायोजक संस्था को आशय-पत्र निर्गत किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने महर्षि महेश योगी रामायण विश्वविद्यालय, अयोध्या, उ0प्र0 की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट, दिल्ली को उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा-6 के प्राविधानों के अन्तर्गत आशय-पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को कतिपय शर्तों के अधीन स्वीकृति प्रदान कर दी है।
उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन में प्राप्त प्रस्ताव के परीक्षण हेतु राज्य विश्वविद्यालय की कुलपति की अध्यक्षता में गठित की गई समिति द्वारा शासन को प्रस्तुत की गई निरीक्षण आख्या पर विचारोपरान्त मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की 02 फरवरी, 2023 की बैठक में की गई संस्तुति के आधार पर यह स्वीकृति प्रदान की गई है।
आशय पत्र निर्गत किए जाने की संस्तुति (1) प्रायोजक संस्था द्वारा 12.5 एकड़ से अधिक क्रय की गई भूमि के सम्बन्ध में सक्षम प्राधिकारी से अनुमति प्राप्त किए जाने का विवरण अथवा राजस्व विभाग के 26 अक्टूबर, 2021 के आदेश के अन्तर्गत कृत कार्यवाही का विवरण प्रस्तुत किए जाने (2) नगर निगम अयोध्या की अनापत्ति के दृष्टिगत प्रायोजक संस्था द्वारा प्रश्नगत विश्वविद्यालय के निर्माण से नाले के बहाव एवं उसके अस्तित्व तथा भविष्य में उसकी सफाई में कोई व्यवधान न हो, का शपथ पत्र प्रस्तुत किए जाने तथा (3) अयोध्या विकास प्राधिकरण की अनापत्ति के दृष्टिगत प्रायोजक संस्था द्वारा विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु प्रस्तावित स्थल पर निर्माण करने से पूर्व प्राधिकरण से मानचित्र स्वीकृत कराए जाने की अनिवार्यता की शर्तों के अधीन प्रदान की गई है।
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महर्षि महेश योगी इन्टरनेशनल एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय, बिल्हौर,
कानपुर नगर उ0प्र0 की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था
को आशय पत्र निर्गत किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने महर्षि महेश योगी इन्टरनेशनल एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय, बिल्हौर, कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था स्वामी ब्रम्हानंद सरस्वती चैरिटेबल ट्रस्ट, दिल्ली को उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा 6 के प्राविधानों के अन्तर्गत आशय पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन में प्राप्त प्रस्ताव के परीक्षण हेतु राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में गठित की गयी समिति द्वारा शासन को प्रस्तुत की गयी निरीक्षण आख्या पर विचारोपरान्त मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की 02 फरवरी, 2023 की बैठक में की गयी संस्तुति के आधार पर यह स्वीकृति प्रदान की गई है।
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शारदा विश्वविद्यालय, आगरा, उ0प्र0 की स्थापना हेतु
उसकी प्रायोजक संस्था को आशय-पत्र निर्गत किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने शारदा विश्वविद्यालय, आगरा, उ0प्र0 की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था श्री आनन्दस्वरूप एजुकेशनल ट्रस्ट, आगरा को उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा-6 के प्राविधानों के अन्तर्गत आशय-पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को शर्त के अधीन स्वीकृति प्रदान कर दी है।
उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन में प्राप्त प्रस्ताव के परीक्षण हेतु राज्य विश्वविद्यालय की कुलपति की अध्यक्षता में गठित की गई समिति द्वारा शासन को प्रस्तुत की गई निरीक्षण आख्या पर विचारोपरान्त मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की 02 फरवरी, 2023 की बैठक में की गई संस्तुति के आधार पर यह स्वीकृति प्रदान की गई है।
आशय पत्र निर्गत किए जाने की संस्तुति प्रायोजक संस्था द्वारा 12.5 एकड़ से अधिक क्रय की भूमि के सम्बन्ध में सक्षम प्राधिकारी से अनुमति प्राप्त किए जाने का विवरण अथवा राजस्व विभाग के 26 अक्टूबर, 2021 के आदेश के अन्तर्गत कृत कार्यवाही का विवरण अनुपालन आख्या के साथ प्रस्तुत किए जाने की शर्त के अधीन प्रदान की गई है।
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फ्यूचर विश्वविद्यालय, बरेली, उ0प्र0 की स्थापना हेतु
उसकी प्रायोजक संस्था को आशय-पत्र निर्गत किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने फ्यूचर विश्वविद्यालय, बरेली, उ0प्र0 की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था श्री राजेन्द्र कुमार गुप्ता मेमोरियल ट्रस्ट, बरेली को उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा-6 के प्राविधानों के अन्तर्गत आशय-पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को शर्त के अधीन स्वीकृति प्रदान कर दी है।
उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन में प्राप्त प्रस्ताव के परीक्षण हेतु राज्य विश्वविद्यालय की कुलपति की अध्यक्षता में गठित की गई समिति द्वारा शासन को प्रस्तुत की गई निरीक्षण आख्या पर विचारोपरान्त मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की 02 फरवरी, 2023 की बैठक में की गई संस्तुति के आधार पर यह स्वीकृति प्रदान की गई है।
आशय पत्र निर्गत किए जाने की संस्तुति प्रायोजक संस्था को 12.5 एकड़ से अधिक भूमि क्रय किए जाने की दशा में सक्षम अधिकारी से अनुमति प्राप्त करके उसकी सूचना अनुपालन आख्या के साथ उपलब्ध कराए जाने की शर्त के अधीन प्रदान की गई है।
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जी0एस0 विश्वविद्यालय, हापुड़, उ0प्र0 की स्थापना हेतु
उसकी प्रायोजक संस्था को आशय-पत्र निर्गत किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने जी0एस0 विश्वविद्यालय, हापुड़, उ0प्र0 की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था श्री जयपाल सिंह शर्मा ट्रस्ट, गाजियाबाद को उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा-6 के प्राविधानों के अन्तर्गत आशय-पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को शर्त के अधीन स्वीकृति प्रदान कर दी है।
उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन में प्राप्त प्रस्ताव के परीक्षण हेतु राज्य विश्वविद्यालय की कुलपति की अध्यक्षता में गठित की गई समिति द्वारा शासन को प्रस्तुत की गई निरीक्षण आख्या पर विचारोपरान्त मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की 02 फरवरी, 2023 की बैठक में की गई संस्तुति के आधार पर यह स्वीकृति प्रदान की गई है।
आशय पत्र निर्गत किए जाने की शर्त के अनुसार प्रस्तावित भूमि में सरकारी भूमि सम्मिलित होने की स्थिति में प्रयोजक संस्था द्वारा नियमानुसार विनिमय की सूचना अनुपालन आख्या के साथ उपलब्ध करायी जाएगी।
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मथुरा-वृन्दावन में पर्यटन विभाग के पर्यटन विकास कार्यों के क्रियान्वयन
हेतु मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकारण 10 करोड़ रु0 से अधिक लागत
की परियोजनाओं हेतु कार्यदायी संस्था नामित

पर्यटन विभाग के अधीन 10 करोड़ रुपये तक की लागत के पर्यटन विकास कार्यों को कराए जाने हेतु उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम लि0 को कार्यदायी संस्था नामित किए जाने के दृष्टिगत मंत्रिपरिषद ने पर्यटन केन्द्र मथुरा-वृन्दावन में पर्यटन विभाग के पर्यटन विकास कार्यों के क्रियान्वयन हेतु मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकारण को भी 10 करोड़ रुपये से अधिक लागत की परियोजनाओं हेतु कार्यदायी संस्था नामित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकारण द्वारा अपने कार्यक्षेत्र में ही पर्यटन विकास सम्बन्धी कार्य किया जाएगा।
मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकारण को वित्त (लेखा) अनुभाग-2 के 11 नवम्बर, 2014 के शासनादेश के अनुसार सेन्टेज की दर अधिकतम 6.875 प्रतिशत अथवा पर्यटन विभाग के साथ किए गए निगोशिएशन एवं प्राप्त सहमति के क्रम में प्राप्त दर जो न्यूनतम हो, देय होगी। मंत्रिपरिषद द्वारा प्रकरण में अग्रतर निर्णय लिए जाने हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।
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मुख्यमंत्री पर्यटन विकास सहभागिता योजना की नीति निर्धारण के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने मुख्यमंत्री पर्यटन विकास सहभागिता योजना की नीति निर्धारण के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मुख्यमंत्री पर्यटन विकास सहभागिता योजना का प्रमुख उद्देश्य प्रदेश के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थल का चयन तथा पर्यटन सम्भावनाओं से परिपूर्ण अल्पज्ञात पर्यटक स्थलों को चिन्हित कर उसे उच्च स्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना है।
चिन्हित अल्पज्ञात पर्यटक स्थलों पर पर्यटन सेवा प्रदाताओं को आकर्षित करना, चयनित पर्यटक स्थलों पर पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना, पर्यटन स्थलों के संवर्धन से स्थानीय उद्यमियों को प्रोत्साहन एवं पर्यटन सेवा के क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाना, पर्यटन स्थलों के विकास से प्रदेश में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष निवेश को आकर्षित करना, प्रदेश के स्थानीय/राष्ट्रीय/अन्तर्राष्ट्रीय महत्व के स्थलों को चयनित पर्यटन स्थल के साथ परस्पर जोड़ना और सहभागिता आधारित इस योजना के अन्तर्गत न्यूनतम 25 लाख रुपये व अधिकतम 05 करोड़ रुपये तक के प्रस्तावों पर विचार किया जाना भी मुख्यमंत्री पर्यटन विकास सहभागिता योजना के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं।
योजना के अन्तर्गत 50 प्रतिशत अंशदान की सहभागिता हेतु जनप्रतिनिधिगण के अतिरिक्त कोई भी प्रतिष्ठित व सक्षम व्यक्ति अथवा सरकारी/अर्धसरकारी/गैर सरकारी संस्था/संगठन प्रस्तावक हो सकेंगे। सांसद (लोकसभा/राज्यसभा) द्वारा सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना, विधानसभा/विधान परिषद क्षेत्र के विधायक (विधानसभा/विधान परिषद) द्वारा विधायक निधि के अन्तर्गत उनकी गाइड लाइन्स/मार्गदर्शीय सिद्धान्त के अनुसार आच्छादित कार्यों हेतु परियोजना लागत की 50 प्रतिशत धनराशि का कन्वर्जेन्स प्रस्ताव दिया जा सकेगा।
इसके अलावा, नगर निकायों तथा ग्राम पंचायतों द्वारा अपनी निधियों के अन्तर्गत एवं पौराणिक, आध्यात्मिक व धार्मिक स्थलों की प्रबन्धन समिति/ट्रस्ट, ख्याति प्राप्त स्वयंसेवी संगठनों के फण्ड, काॅर्पाेरेट फर्मों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों अथवा निजी क्षेत्र की कम्पनियों के सी0एस0आर0 द्वारा भी प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा सकता है।
पर्यटन विकास हेतु प्रदेश के विधानसभा क्षेत्र को इकाई मानकर एक या पर्यटन स्थलों की महत्ता एवं आर्थिक उपादेयता के आधार पर एक से अधिक पर्यटन स्थलों का चयन सम्बन्धित प्रस्तावक द्वारा किया जा सकेगा। विकास हेतु चयनित पर्यटन स्थल धार्मिक, सांस्कृतिक, नैसर्गिक, पौराणिक या ऐतिहासिक अथवा पर्यटन के दृष्टिकोण से सार्वजनिक उपयोग के लिए महत्वपूर्ण होना चाहिए।
चयनित पर्यटन स्थल का आगणन जिलाधिकारी द्वारा पर्यटन विभाग के सूचीबद्ध आर्किटेक्ट से तैयार कराकर जिला पर्यटन एवं संस्कृति परिषद की संस्तुति सहित महानिदेशक पर्यटन को प्रेषित किया जाएगा। उनके स्तर से यह प्रस्ताव प्रशासकीय वित्तीय स्वीकृति के लिए पर्यटन विभाग उ0प्र0 शासन को प्रेषित किया जाएगा। पर्यटन विकास हेतु निर्विवादित स्थल का चयन किया जाएगा, जहां कोई न्यायिक स्थगन, भूमि विवाद अथवा अन्य कोई सीमा व स्वामित्व सम्बन्धी विवाद न हो।
मुख्यमंत्री पर्यटन विकास सहभागिता योजना के अन्तर्गत जनसुविधाओं का विकास, पर्यटन परिसर की लैण्डस्केपिंग, सौन्दर्यीकरण, पार्किंग, गेट, प्रकाश व्यवस्था, पेयजल व्यवस्था हेतु इण्डिया मार्का हैण्डपम्प, एस0टी0पी0, अण्डरग्राउण्ड विद्युतीकरण, सबमर्सिबल पम्प, ओवर हेड टैंक, फायर सेफ्टी उपकरण, स्वच्छता मशीनरी व उपकरण, सोलर लाइट्स, प्रसाधन सुविधाएं, जलाशय/नदी/कुण्ड के घाट एवं परिसर से सटे पार्किंग के कार्य पर्यटन स्थल के विकास में यथावस्यक वृक्षारोपण, रेनवाटर हार्वेस्टिंग के कार्य कराए जा सकेंगे। विशेष परिस्थितियों में औचित्य होने पर सूची से इतर कार्य भी कराए जा सकेंगे।
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उ0प्र0 औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017
के तहत वित्तीय सुविधाएं वितरित किए जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 की क्रियान्वयन सम्बन्धी नियमावली के क्रम में मेसर्स जे0के0 सीमेन्ट लिमिटेड, अलीगढ़ को 34.39 करोड़ रुपये की वित्तीय सुविधाएं वितरित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। ज्ञातव्य है कि इस नीति की क्रियान्वयन सम्बन्धी नियमावली में मेगा परियोजनाओं को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से कई विशेष सुविधाओं एवं रियायतों का केस-टू-केस के आधार पर प्राविधान है।
नीति के अन्तर्गत मंत्रिपरिषद के अनुमोदनोपरान्त औद्योगिक इकाइयों को वित्तीय सुविधाएं प्रदान करने हेतु लेटर आॅफ कम्फर्ट निर्गत किए गए। लेटर आॅफ कम्फर्ट की शर्तों के अनुसार निर्धारित निवेश एवं वाणिज्यिक उत्पादन के उपरान्त मेसर्स जे0के0 सीमेन्ट लिमिटेड, अलीगढ़ को 34.39 करोड़ रुपये की वित्तीय सुविधाएं वितरित करने का निर्णय लिया गया।
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उ0प्र0 अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति-2012 के अन्तर्गत
06 मेगा परियोजनाओं को 111.67 करोड़ रु0 की वित्तीय सुविधाएं
वितरित करने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति-2012 के अन्तर्गत 06 मेगा परियोजनाओं को 111.67 करोड़ रुपये की वित्तीय सुविधाएं वितरित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। ज्ञातव्य है कि इस नीति में मेगा परियोजनाओं को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से कई विशेष सुविधाओं एवं रियायतों का केस-टू-केस के आधार पर प्राविधान है। नीति के अन्तर्गत मंत्रिपरिषद के अनुमोदनोपरान्त औद्योगिक इकाइयांे को वित्तीय सुविधाएं प्रदान करने के लिए लेटर आॅफ कम्फर्ट निर्गत किए गए। लेटर आॅफ कम्फर्ट की शर्तों के अनुसार निर्धारित निवेश एवं वाणिज्यिक उत्पादन के उपरान्त मेसर्स पसवारा पेपर्स लि0, मेरठ, को
12.66 करोड़ रुपये, मेसर्स वरुण बेवरेजज लिमिटेड, सण्डीला, हरदोई को 8.53 करोड़ रुपये, मेसर्स गैलेन्ट इस्पात लि0, गोरखपुर को 15.97 करोड़ रुपये, मेसर्स स्पर्श इण्डस्ट्रीज प्रा0लि0, कानपुर देहात को 3.66 करोड़ रुपये, मेसर्स आर0सी0सी0पी0एल0 प्रा0लि0, रायबरेली को 46.56 करोड़ रुपये, मेसर्स श्री सीमेंट लि0, बुलन्दशहर को
24.29 करोड़ रुपये कुल धनराशि 111.67 करोड़ रुपये की राशि की वित्तीय सुविधायें वितरित करने का निर्णय लिया गया है।
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एन0एच0-31 गाजीपुर से बलिया-मांझीघाट ग्रीन फील्ड परियोजना
के निर्माण हेतु संरेखण में प्रभावित 38.8465 हे0 ग्रामसभा भूमि
एन0एच0ए0आई0 को निःशुल्क उपलब्ध कराने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने एन0एच0-31 गाजीपुर से बलिया-मांझीघाट ग्रीन फील्ड परियोजना के निर्माण हेतु संरेखण में प्रभावित 38.8465 हेक्टेयर ग्रामसभा भूमि एन0एच0ए0आई0 को निःशुल्क उपलब्ध कराए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि यूपीडा द्वारा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य सम्पादित कराकर टोल कलेक्शन का कार्य चल रहा है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा प्रस्तावित एन0एच0-31 गाजीपुर से बलिया-मांझीघाट ग्रीन फील्ड परियोजना के संरेखण में जनपद गाजीपुर के 86 ग्रामों में 20.2644 हेक्टेयर तथा जनपद बलिया के 98 ग्रामों में 18.5821 हेक्टेयर, कुल 38.8465 हेक्टेयर ग्रामसभा की प्रभावित भूमि एन0एच0ए0आई0 को निःशुल्क उपलब्ध करा देने से परियोजना का निर्माण कार्य सुगमता से सम्पादित हो सकेगा। इस परियोजना के पूर्ण हो जाने के फलस्वरूप विकास/निवेश/रोजगार के नये अवसर सृजित होंगे। ट्रैफिक में वृद्धि होने से यूपीडा की टोल से प्राप्त होने वाली आय में वृद्धि में होगी। गाजीपुर एवं बलिया क्षेत्र के लिए लखनऊ, दिल्ली, बिहार राज्य एवं अन्य राज्यों में आवागमन की सुविधा बढ़ेगी।
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रबी विपणन वर्ष 2023-24 में गेहूं की खरीद में भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देश दिनांक 13 अप्रैल, 2023 के अनुसार किसानों से गेहूं क्रय किये जाने पर आने वाले अतिरिक्त व्यय की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा किये जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने किसानों के व्यापक हित के दृष्टिगत भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देश दिनांक 13 अप्रैल, 2023 तथा 20 अप्रैल, 2023 के अनुपालन में किसानों से गेहूं क्रय किये जाने पर अधिकतम कटौती 37.18 रुपये प्रति कुन्तल की दर से आने वाले अतिरिक्त व्यय की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा वहन किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
मूल्य समर्थन योजना के अन्तर्गत किसानों को उनकी उपज का अधिकाधिक लाभ पहुंचाया जाना राज्य सरकार का मुख्य उद्देश्य है। गेहूं क्रय नीति में रबी विपणन वर्ष 2023-24 में गेहूं का सम्भावित क्रय लक्ष्य 60 लाख मीट्रिक टन निर्धारित किया गया है। गेहूं की खरीद 01 अप्रैल, 2023 से प्रारम्भ है, जो 15 जून, 2023 तक होगी। निर्धारित अवधि तक सम्भावित लक्ष्य के सापेक्ष वास्तविक क्रय की स्थिति का आकलन किया जाना अभी सम्भव नहीं है। इन तथ्यों तथा किसानों के व्यापक हित के दृष्टिगत यह निर्णय लिया गया है।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा जारी 13 अप्रैल, 2023 के दिशा-निर्देश के अनुसार यू0आर0एस0 (अण्डर रिड्यूस्ड स्पेसिफिकेशन) कैटेगरी का गेहूं क्रय किये जाने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अधिकतम 37.18 रुपये प्रति कुन्तल की दर से कटौती होगी।
प्रदेश के अधिकांश भागों में असमय वर्षा, ओलावृष्टि एवं आंधी, तूफान के कारण गेहूं की फसल गुणवत्ता एवं उत्पादन प्रभावित होने से किसानों का गेहूं भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देश के क्रम में कटौती के साथ क्रय किये जाने पर हो रही आर्थिक क्षति की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा किये जाने से किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य 2125 रुपये प्रति कुन्तल का पूर्ण भुगतान प्राप्त होगा।
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निर्माण परियोजनाओं में सेन्टेज चार्जेज, निर्माण लागत,
वित्तीय स्वीकृति से सम्बन्धित वित्तीय प्रबन्धन में सुधार किये जाने
के उद्देश्य से विद्यमान व्यवस्थाओं में संशोधन के प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने निर्माण परियोजनाओं में सेन्टेज चार्जेज, निर्माण लागत, वित्तीय स्वीकृति से सम्बन्धित वित्तीय प्रबन्धन में सुधार किये जाने के उद्देश्य से विद्यमान व्यवस्थाओं में संशोधन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
सेन्टेज चार्जेज, निर्माण लागत, वित्तीय स्वीकृति आदि से सम्बन्धित वित्तीय प्रबन्धन में सुधार किये जाने के उद्देश्य से कतिपय सुधारात्मक संशोधन द्वारा कार्यदायी संस्थाओं के अधिष्ठान व्यय निश्चित होने के कारण सेन्टेज दरें परियोजना की लागत बढ़ने के साथ कम किया जाना औचित्यपूर्ण है। केन्द्र पुरोनिधानित परियोजनाओं में केन्द्रांश में सेन्टेज चार्जेज की व्यवस्था न होने के कारण सेन्टेज चार्जेज पूर्ण रूप से राज्य सरकार को वहन करने होते हैं।
वर्तमान में सेन्टेज की धनराशि पर भी 18 प्रतिशत की दर से जी0एस0टी0 अधिरोपित की जा रही है, जिससे राज्य सरकार पर वित्तीय भार पड़ रहा है। इसके दृष्टिगत निम्नलिखित संशोधन प्रस्तावित किये गये हैं -
सेन्टेज चार्जेज
वर्तमान में विभागीय निर्माण विभागों तथा निगम आधारित कार्यदायी संस्थाओं में लागू सेन्टेज दरों की एक समान दर (12.5 प्रतिशत) को समाप्त कर दिया जाए। लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग आदि के विभागीय कार्यों पर सेन्टेज (6.875 प्रतिशत) को परियोजना की लागत पर जोड़ने की व्यवस्था समाप्त कर दी जाए। निगम आधारित कार्यदायी संस्थाओं हेतु सेन्टेज की स्लैब दर 25 करोड़ रुपये तक के कार्य की लागत के लिए 10 प्रतिशत, 25 करोड़ रुपये से अधिक एवं 50 करोड़ रुपये तक के लिए 08 प्रतिशत, 50 करोड़ रुपये से अधिक एवं 100 करोड़ रुपये तक के लिए 07 प्रतिशत, 100 करोड़ रुपये से अधिक के कार्य की लागत के लिए 05 प्रतिशत की जाए।
वित्तीय स्वीकृति
वित्तीय स्वीकृति के सम्बन्ध में यह निर्णय लिया गया है कि प्रारम्भ में किसी परियोजना की वित्तीय स्वीकृति व प्रथम किश्त मूल्यांकित लागत पर जारी की जाय, किन्तु द्वितीय किश्त जारी करने से पूर्व परियोजना को टेंडर की लागत के आधार पर पुनरीक्षित करा लिया जाए। अनुवर्ती किश्तें पुनरीक्षित लागत के आधार पर ही जारी की जाए ताकि कार्यदायी संस्थाओं को कार्य की वास्तविक लागत से अधिक धनराशि अवमुक्त न हो। परियोजना के अन्तर्गत पुनरीक्षण होने की स्थिति में कार्यों का मूल्यांकन टेंडर कास्ट का संज्ञान लेते हुए किया जाए, जिसके कारण अतिरिक्त कैश आउट फ्लो की स्थिति न बने। परियोजनाओं के डी0पी0आर0 गठन सहित प्रत्येक चरण हेतु समय-सीमा निर्धारित करते हुए उसका अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।
गौरतलब है कि वर्तमान में निर्माण कार्याें की परियोजनाओं का अप्रेजल वित्त व्यय समिति (ई0पी0सी0) तथा प्रोजेक्ट फार्मुलेशन एण्ड अप्रेजल डिविजन (पी0एफ0ए0डी0) द्वारा परियोजना के विभागीय एस0ओ0आर0 के आधार पर किया जाता है। तत्पश्चात वित्तीय स्वीकृतियां मूल्यांकित लागत पर निर्गत की जाती हैं, जबकि टेण्डर में कार्य की लागत परियोजना की लागत से सामान्यतः 08 से 10 प्रतिशत तक कम होती है। यह देखने में आया है कि मूल्यांकित लागत के आधार पर जारी वित्तीय स्वीकृतियां (टेण्डर काॅस्ट) के आधार पर पुनरीक्षित नहीं की जातीं, जिससे राज्य सरकार पर अतिरिक्त कैश आउट फ्लो की स्थिति उत्पन्न होती है। यह अतिरिक्त कैश आउट फ्लो निगम आधारित कार्यदायी संस्थाओं के पास बचत के रूप में रहता है। शासकीय कार्यदायी संस्थाओं के प्रकरण में इस अतिरिक्त कैश आउट फ्लो से डी0पी0आर0 का अतिरिक्त कार्य करा लिया जाता है। टेण्डर के बाद कार्यदायी संस्था द्वारा संशोधित परियोजना लागत की जानकारी प्रशासकीय विभाग तथा वित्त विभाग को नहीं दी जाती है।
ब्याज वापसी
निगम आधारित कार्यदायी संस्थाओं द्वारा अनिवार्य रूप से ब्याज की धनराशि राजकोष (राज्य की समेकित निधि) में जमा की जाए तथा इसका उल्लेख बैलेंस शीट में अनिवार्य रूप से किया जाए। इस कार्यवाही की निगम आधारित कार्यदायी संस्थाओं द्वारा सूचना नियोजन विभाग, प्रशासकीय विभाग तथा वित्त विभाग को भी दी जाए। उल्लेखनीय है कि महालेखाकार द्वारा यह आपत्ति की जाती है कि निगम आधारित कार्यदायी संस्थाओं द्वारा उनको अवमुक्त की गयी धनराशि बैंक खातों में रखकर ब्याज अर्जित किया जाता है, जिसे उनके द्वारा राज्य की समेकित निधि में प्रतिवर्ष जमा किया जाना चाहिए।
वित्तीय क्लोजर
निगम आधारित कार्यदायी संस्थाओं द्वारा परियोजना के पूर्ण होने पर उनका वित्तीय क्लोजर किया जाएगा तथा अपने कार्याें में परियोजना हेतु प्राप्त धनराशि, व्यय की धनराशि, अवशेष धनराशि तथा अर्जित ब्याज की धनराशि को स्पष्ट रूप से दर्शाया जाएगा। वार्षिक रिपोर्ट (फाइनेंशियल स्टेटमेंट/बैलेंस शीट/प्राॅफिट एण्ड लाॅस एकाउण्ट) प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अन्त में नियोजन विभाग, प्रशासकीय विभाग तथा वित्त विभाग को उपलब्ध करायी जाएगी।
इन संशोधनों को लागू करने से लगभग 5500 करोड़ रुपये की वार्षिक बचत होने की सम्भावना है।
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अशासकीय सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों एवं
राजकीय संस्कृत विद्यालयों में शैक्षिक सत्र 2023-24 एवं 2024-25
 
(ग्रीष्मावकाश की अवधि को छोड़कर) अथवा नियमित चयनित शिक्षक के आने तक, जो भी पहले हो, मानदेय पर शिक्षकों की व्यवस्था किये जाने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने अशासकीय सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों एवं राजकीय संस्कृत विद्यालयों में शैक्षिक सत्र-2021-22 एवं 2022-23 (ग्रीष्मावकाश की अवधि को छोड़कर) अथवा नियमित चयनित शिक्षक के आने तक, जो भी पहले हो नितान्त अस्थायी रूप से मानदेय पर नियुक्त एवं अद्यतन कार्यरत शिक्षकों का कार्यकाल पूर्व निर्धारित शर्ताें एवं प्रतिबन्धों के अधीन शैक्षिक सत्र-2023-24 एवं 2024-25 (ग्रीष्मावकाश की अवधि को छोड़कर) तक बढ़ाये जाने, अन्य रिक्त पदों पर मानदेय पर शिक्षकों की नियुक्ति किये जाने एवं अन्य बिन्दुओं पर निर्णय लिए जाने के सम्बन्ध में प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। प्रस्तावित प्रकरण में भविष्य में किसी संशोधन की आवश्यकता हो तो, उसके लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।
प्रस्ताव में व्यवस्था है कि शासनादेश संख्या-794/पन्द्रह-9-21- 2001(01)/2020 दिनांक 24.07.2021 द्वारा अशासकीय सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में शैक्षिक सत्र 2021-22 एवं 2022-23 (ग्रीष्मावकाश की अवधि को छोड़कर) अथवा नियमित चयनित शिक्षक के आने तक, जो भी पहले हो, नितान्त अस्थायी रूप से मानदेय पर नियुक्त एवं अद्यतन कार्यरत शिक्षकों का कार्यकाल पूर्व निर्धारित शर्तों एवं प्रतिबन्धों के अधीन शैक्षिक सत्र 2023-24 एवं 2024-25 तक बढ़ा दिया जाए।
अशासकीय सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों/राजकीय संस्कृत विद्यालयों में उक्त के अतिरिक्त अन्य रिक्त पदों पर उक्त शासनादेश दिनांक 24 जुलाई, 2021 के क्रम में मानदेय शिक्षकों की नियुक्ति कर दी जाए।
उक्त शासनादेश दिनांक 24 जुलाई, 2021 के क्रम में उन्हीं अभ्यर्थियों की नियुक्ति मानदेय पर की जा सकेगी, जिनकी अर्हता उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद् (संस्थाओं के प्रधान अध्यापकों एवं संस्थाओं के अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति तथा सेवा शर्तें) विनियमावली, 2009 के परिशिष्ट-क में वर्णित शैक्षिक अर्हता के अनुसार होगी।
परन्तु शासनादेश दिनांक 24 जुलाई, 2021 के प्रस्तर-10 के उप प्रस्तर 2 (क) एवं (ख) निर्धारित क्रमशः पूर्व मध्यमा स्तर (कक्षा 9 से कक्षा 10 तक) व उत्तर मध्यमा स्तर (कक्षा 11 से कक्षा 12 तक) में अतिरिक्त शैक्षिक अर्हता के लिए अतिरिक्त अंक देय नहीं होगा। मानदेय पर अस्थायी शिक्षकों की नियुक्ति हेतु वही शैक्षिक अर्हता लागू होगी, जो विनियमावली, 2009 के परिशिष्ट-क में निर्धारित की गयी है।
प्रदेश में संचालित राजकीय संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों के सभी रिक्त पदों पर शासनादेश दिनांक 24 जुलाई, 2021 के क्रम में चयन प्रक्रिया पूर्ण कराये जाने के सम्बन्ध में जनपद स्तर पर गठित समिति के अध्यक्ष के रूप में सम्बन्धित जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षक (पदेन) को नामित कर दिया जाए।
प्रदेश में संचालित अशासकीय सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालय, जहाँ पर किन्हीं कारणों से वैध प्रबन्धक/प्रबन्ध समिति अस्तित्व में नहीं है अथवा प्रबन्ध समिति के विवाद मा0 उच्च न्यायालय अथवा सक्षम न्यायालय में लम्बित है अथवा प्रबन्ध समिति कालातीत हो गयी है, उन अशासकीय सहायता प्राप्त
संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में शासनादेश दिनांक 24.07.2021 के क्रम में वैकल्पिक व्यवस्था हेतु चयन प्रक्रिया पूर्ण कराये जाने के सम्बन्ध में जनपद स्तर पर गठित समिति के अध्यक्ष के रूप में सम्बन्धित जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षक (पदेन) को नामित कर दिया जाए।
मंत्रिपरिषद के इस निर्णय से संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों की उपलब्धता एवं गुणवत्तापूर्ण संस्कृत शिक्षा की उपलब्धता होगी। साथ ही, प्रदेश में रोजगार की उपलब्धता भी बढ़ेगी।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश शासन द्वारा 13 मार्च, 2018 को प्रख्यापित उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद (संस्थाओं के प्रधानों, अध्यापकों एवं संस्थाओं के अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति तथा सेवा शर्ते) (द्वितीय संशोधन) विनियमावली-2018 द्वारा यह व्यवस्था की गई है कि अशासकीय सहायता प्राप्त
संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों के प्रथमा, पूर्व मध्यमा एवं उत्तर मध्यमा स्तर तक के लिये प्रधानाध्यापकों और अध्यापकों के रिक्त पदों का अधियाचन उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को प्रेषित किया जायेगा। वर्तमान में संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति प्रस्तावित शिक्षा सेवा आयोग से कराया जाना विचारणीय है, जिसमें समय लगना सम्भावित है।
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पावरलूम बुनकर हेतु फ्लैट रेट की व्यवस्था को दिनांक 01 अगस्त, 2020
से 31 मार्च, 2023 तक के लिये लागू रखे जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने पावरलूम बुनकर हेतु फ्लैट रेट की व्यवस्था को दिनांक 01 अगस्त, 2020 से 31 मार्च, 2023 तक के लिये लागू रखे जाने के सम्बन्ध में प्रस्तुत प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। ज्ञातव्य है कि मंत्रिपरिषद के निर्णयोपरान्त वित्तीय वर्ष 2023-24 में 01 अप्रैल 2023 से आर्थिक रूप से कमजोर पावरलूम बुनकरों हेतु अटल बिहारी वाजपेई पावरलूम बुनकर विद्युत फ्लैट रेट योजना लागू की गई है।
वर्ष 2006 में उर्जा विभाग के शासनादेश संख्या-1969/24पी-3-2006 दिनांक 14.06.2006 के द्वारा पावरलूम बुनकरों को फ्लैट रेट पर विद्युत आपूर्ति उपलब्ध कराये जाने हेतु योजना शुरू की गयी थी। शासनादेश दिनांक 04.12.2019 के अनुसार पावरलूम बुनकरों को 01 हाॅर्स पावर के पावरलूम पर प्रतिमाह 240 यूनिट तक तथा
0.5 हार्स पावर के पावरलूम पर प्रतिमाह 120 यूनिट तक 3.50 रुपये की दर से सब्सिडी प्रदान किये जाने का प्राविधान किया गया था। कोरोना महामारी तथा लाकडाउन के कारण कच्चे माल की आपूर्ति में बाधा होने, वर्क आॅर्डर न मिल पाने एवं वस्त्र उद्योग के कारोबार में कमी आने के कारण बुनकरों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गयी।
दिनांक 31 जुलाई, 2020 तक शासनादेश दिनांक 14.06.2006 की योजना यथावत लागू रहने पर मा0 मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया था। वित्त विभाग द्वारा संगत वित्तीय वर्षों में आवंटित धनराशि ऊर्जा विभाग को हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग द्वारा उपलब्ध करा दी गई।
दिनांक 01 अगस्त, 2020 से 31 मार्च, 2023 तक की अवधि के लिए पावरलूम बुनकरों के विद्युत बिल का भुगतान शासनादेश संख्या- 1969/24पी-3-2006 दिनांक 14 जून, 2006 में प्राविधानित फ्लैट रेट की व्यवस्था लागू किया जाना है, जिससे कि इस छूटी हुई अवधि का समायोजन किया जा सके। वित्त विभाग द्वारा संगत वित्तीय वर्ष में आवंटित बजट के आधार पर ऊर्जा विभाग को हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग द्वारा धनराशि उपलब्ध करायी गयी है।
हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग के बजट में पावर लूम बुनकरों के विद्युत बिल पर अनुदान देने हेतु प्राविधानित धनराशि क्रमशः वर्ष 2020-21 में 150 करोड़ रुपये, वर्ष 2021-22 में 250 करोड़ रुपये, वर्ष 2022-23 में 250 करोड़ रुपये का भुगतान विद्युत विभाग को किया जा चुका है। दिनांक 01 अगस्त, 2020 से 31 मार्च, 2023 तक की अवधि के लिये ऊर्जा विभाग के द्वारा वास्तविक बिल के आधार पर अन्तर सूचित करने पर वांछित धनराशि का बजटीय व्यवस्था/अनुपूरक बजट/पुनर्विनियोग के माध्यम से ऊर्जा विभाग को उपलब्ध कराया जाएगा।
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मा0 जांच आयोग द्वारा की गयी जांच व उनके द्वारा निकाले
गये निष्कर्षाें को दृष्टिगत रखते हुए कमीशन आॅफ इंक्वायरी
एक्ट-1952 की धारा-3(4) के प्राविधानों के अनुसार जनहित में
मा0 आयोग की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने दिनांक 13 अगस्त, 1980 को ईद-उल-फितर की नमाज पढ़ने के समय मुरादाबाद में ईदगाह तथा अन्य स्थानों पर हुए दंगों की जांच हेतु तत्कालीन न्यायाधीश मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद न्यायमूर्ति श्री एम0पी0 सक्सेना की अध्यक्षता में गठित एक सदस्यीय मा0 जांच आयोग द्वारा की गयी जांच व उनके द्वारा निकाले गये निष्कर्षाें को दृष्टिगत रखते हुए कमीशन आॅफ इंक्वायरी एक्ट-1952 की धारा-3(4) के प्राविधानों के अनुसार जनहित में मा0 आयोग की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
जांच आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट शासन को 20 नवम्बर, 1983 को प्रस्तुत की गयी। जांच रिपोर्ट मंत्रिपरिषद एवं सदन के पटल पर रखने की अनुमति पूर्व सरकारों द्वारा प्रदान नहीं की गयी है। वर्तमान सरकार द्वारा यह जांच रिपोर्ट मंत्रिपरिषद के समक्ष प्रस्तुत करने की अनुमति प्रदान की गयी है। जांच आयोग की रिपोर्ट है, जिसे अभी सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
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यूपी-112 परियोजना के द्वितीय चरण हेतु सेलेक्शन आॅफ मास्टर
सिस्टम इण्टीग्रेटर (एम0एस0आई0) की आर0एफ0पी0 को तीन भागों में
विकेन्द्रीकृत (डिसेन्ट्रलाइज) कर अलग-अलग बिड कराये जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने यूपी-112 परियोजना के द्वितीय चरण हेतु सेलेक्शन आॅफ मास्टर सिस्टम इण्टीग्रेटर (एम0एस0आई0) की आर0एफ0पी0 को तीन भागों में विकेन्द्रीकृत (डिसेन्ट्रलाइज) कर अलग-अलग बिड कराये जाने के सम्बन्ध में प्रस्ताव को स्वीकृत प्रदान कर दी है। परियोजना के सुचारु क्रियान्वयन हेतु भविष्य में यदि कोई संशोधन वांछित होगा, तो ऐसे संशोधन हेतु मंत्रिपरिषद ने मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।
इस सम्बन्ध में आर0एफ0पी0 को तीन भागों क्रमशः टेक्नोलॉजी आर0एफ0पी0, कॉल सेंटर मैनपावर आर0एफ0पी0, ट्रेनिंग आर0एफ0पी0 में विकेन्द्रीकृत (डीसेण्ट्रलाईज्ड) कर अलग-अलग बिड कराये जाने का निर्णय लिया गया। विकेन्द्रीकरण से निम्न लाभ होंगे:-
बड़ी कम्पनियों/सेवा प्रदाता (वेण्डर) का एकाधिकार (मोनोपोली) समाप्त हो सकेगा। बिड का मूल्य (बिड वैल्यू) कम होने के कारण पर्याप्त संख्या में फर्म/सेवा प्रदाता (वेण्डर) प्रतिभाग कर पाएंगे। मध्यम एवं लघु कम्पनी/सेवा प्रदाता (वेण्डर) को बिड में प्रतिभाग करने का अवसर प्राप्त हो सकेगा। स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की सम्भावना प्रबल होगी, जिससे न्यूनतम मूल्य पर प्रतिस्पर्धात्मक बिड प्राप्त होगा। बिड में तीन अलग-अलग लाइन ऑफ बिजनेस (टेक्नोलाॅजी, काल सेन्टर मैन पावर एवं ट्रेनिंग) होने से व्यवसायिक रूप से दक्ष कम्पनियां/सेवा प्रदाता (वेण्डर) प्रतिभाग कर सकेंगी। योजना के विकेन्द्रीकरण से अपेक्षाकृत कम समय में बिड की प्रक्रिया पूर्ण होने की सम्भावना रहेगी।
इस सम्बन्ध में शासन के दिनांक 26 दिसम्बर, 2022 द्वारा अनुमोदित आर0एफ0पी0 को स्थगित कर परियोजना को 03 वर्षीय विकेन्द्रीकृत किये जाने हेतु तीनों आर0एफ0पी0, जिनका कुल व्यय भार 6,49,85,57,082 रुपये (रुपये छः अरब उन्चास करोड़ पच्चासी लाख सत्तावन हजार बयासी मात्र) (टैक्स सहित) है, पर एवं जेम के माध्यम से टेण्डर किये जाने की प्रशासनिक अनुमति/स्वीकृति मंत्रिपरिषद द्वारा प्रदान की गयी है।
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मा0 सर्वाेच्च न्यायालय में योजित विशेष अनुज्ञा याचिका (क्रिमिनल)
संख्या-3543/2020 परमवीर सैनी बनाम बलजीत सिंह एवं अन्य में पारित आदेशों
के अनुपालन में प्रदेश के 1586 जनपदीय थानों पर सी0सी0टी0वी0 कैमरों के अधिष्ठापन/व्यवस्थापन कराये जाने के सम्बन्ध में संशोधित प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने मा0 सर्वाेच्च न्यायालय में योजित विशेष अनुज्ञा याचिका (क्रिमिनल) संख्या-3543/2020 परमवीर सैनी बनाम बलजीत सिंह एवं अन्य में पारित आदेशों के अनुपालन में प्रदेश के 1586 जनपदीय थानों पर सी0सी0टी0वी0 कैमरों के अधिष्ठापन/व्यवस्थापन कराये जाने के सम्बन्ध में संशोधित प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। मंत्रिपरिषद ने प्रायोजना में किसी एक प्रकार के परिमार्जन/संशोधन एवं लागत को अनुमोदित किये जाने का अधिकार विभागीय मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री जी को प्रदान किया गया है।
संशोधित प्रस्ताव में प्रायोजना की लागत 359.77 करोड़ रुपये से घटकर 144.90 करोड़ रुपये हो गयी है। संशोधित प्रस्ताव में पी0एस0यू0 के माध्यम से क्रय की बाध्यता को समाप्त करते हुए प्रायोजना को विकेन्द्रीकृत कर 08 जोनल मुख्यालय तथा 07 पुलिस कमिश्नरेट स्तर पर अधिष्ठापन की कार्यवाही कराये जाने का प्रस्ताव है।
उल्लेखनीय है कि मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेशों के क्रम में प्रदेश के समस्त थानों पर सी0सी0टी0वी0 कैमरों के अधिष्ठापन/व्यवस्थापन कराये जाने पर मंत्रिपरिषद की दिनांक 02 दिसम्बर, 2021 की बैठक में अनुमोदन प्रदान किया गया था। प्रदेश के 1586 जनपदीय थानों पर सी0सी0टी0वी0 कैमरों के अधिष्ठापन/व्यवस्थापन कराये जाने हेतु मंत्रिपरिषद के अनुमोदन हेतु संशोधित प्रस्ताव निवेदित किया गया।

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