जौनपुर। सेमिनार में डाक्टरों ने किया अत्याधुनिक इलाज पर चर्चा

जौनपुर। मेदांता हॉस्पिटल, लखनऊ के वरिष्ठ डाक्टरों ने रविवार को एक संगोष्ठी का आयोजन किया। जिसमें शहर के 55 वरिष्ठ डाक्टरों ने भाग लिया। मेदांता से आए डाक्टरों ने अत्याधुनिक इलाज की नई तकनीकों के बारे में चर्चा की।
        
संगोष्ठी में मेदांता से आए मेदांता के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. गणेश सेठ ने बताया यदि परिवार माता- पिता, भाई, चाचा या दादा- दादी, को अगर 60 वर्ष की आयु से पहले दिल की बीमारी हुई है, तो आपको भी इस बीमारी से जल्दी पीडित होने की आशंका लगभग 10 गुना अधिक होती है। पुरुष के लिए 45 वर्ष से ज्यादा, और महिलाओं के लिए 55 वर्ष से अधिक उम्र होने पर दिल का दौरा पड़ने की संभावना अधिक होती है। व्यस्त जीवन शैली के कारण अनियमित आहार, जंक फूड खाना, या अधिक मसालेदार भोजन दिल के दौरे का कारण बनता है। डा0 गणेश ने उच्च रक्तचाप के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान समय में जंक फूड और अनियंत्रित खान-खान के चलते रक्तचाप के मरीजों की तादाद बढ़ रही है, अगर इसे गंभीरता से न लिया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है। रक्तचाप को स्थिर रखने के लिए समय-समय पर जांच करवानी चाहिए, खान-पान में नमक का उपयोग भी कम करना चाहिए। कई मामलों में रक्तचाप को स्थिर रखने की दवा भी निरंतर लेनी चाहिए। डा.सेठ ने बताया कि रक्तचाप का बढ़ना व घटना दोनों ही खतरनाक होते हैं। इसके बढ़ने व घटने का संबंध कई बीमारियों से होता है। इसलिए जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की परेशानी रहती है, उन्हें इसे गंभीरता से लेना चाहिए। मेदांता के लीवर रोग विशेषज्ञ डॉ. विवेक गुप्ता ने फैटी लिवर के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि लिवर में अतिरिक्त चिकनाई का बनना फैटी लिवर की बीमारी है। फैटी लिवर की बीमारी शराब के अत्यधिक सेवन से हो सकती है और यदि व्यक्ति अतिरिक्त शराब पीना जारी रखे तो उससे लिवर को गंभीर क्षति हो सकती है। पिछले 30 वर्षों में, डॉक्टरों को यह अहसास हुआ है कि बड़ी संख्या में ऐसे रोगी हैं जो बहुत कम शराब पीते हैं या शराब नहीं पीते हैं, लेकिन फिर भी उनके लिवर में अतिरिक्त चर्बी है। इस विकार को नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के रूप में जाना जाता है। इस प्रकार के फैटी लिवर से लिवर में सूजन (सूजन), लिवर स्कारिंग (सिरोसिस), लिवर कैंसर, लिवर की विफलता और मृत्यु भी हो सकती है। ऐसी स्तिथि में लिवर प्रत्यारोपण ही एक मात्र उपचार बचता है। डॉ गुप्ता ने बताया कि लखनऊ मेदांता में लिवर प्रत्यारोपण बहुत ही अत्याधुनिक मशीनों से वरिष्ठ डाक्टरों की टीम के द्वारा किया जाता है जिससे रोगी एक बार फिर सामान्य जीवन जीने लगता है।डा.वी.एस.उपाध्याय ने  कहा भविष्य में भी ऐसी संगोष्ठी का आयोजन किया जाना चाहिए। डा. मनमोहन श्रीवास्तव व डा.अरुण कुमार मिश्रा ने मेदांता से आए सभी डाक्टरों को स्मृति चिन्ह व अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया।

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