औरैया // ग्रामीणों लोगों को आय, जाति या अन्य प्रमाणपत्र बनवाने के लिए तहसील या जिला मुख्यालय का चक्कर न लगाना पड़े, इसके लिए शासन ने हर ग्राम पंचायत में पंचायत भवन का निर्माण कराया है प्रति पंचायत भवन पर 10 से 12 लाख रुपये खर्च किए गए हैं पंचायत सहायक भी नियुक्त किए गए हैं लेकिन इसका लाभ आम लोगों को नहीं मिल रहा है हालत यह है कि अधिकतर पंचायत भवनों पर ताले लटक रहे हैं ग्राम प्रधान अपने साथ झोले में मुहर और अन्य कागजात रखते हैं और जरूरत पड़ने पर किसी प्रमाणपत्र जारी कर देते हैं सरकार की मंशा पंचायत भवन को मिनी सचिवालय के रूप में विकसित करना है, जहां ग्रामीणों की फरियाद सुनकर उनकी समस्याएं दूर की जा सकें ग्राम पंचायत के कार्यों को आसान बनाने के लिए कुछ पंचायतों को छोड़कर सभी ग्राम पंचायतों में सहायकों की नियुक्ति भी हो गयी गई है इसके बाद भी पंचायत भवनों की स्थिति यथावत ही है बुधवार को जिले के विभिन्न ग्राम पंचायतों की पड़ताल की तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई जहां से विकास विभाग की योजनाएं चलती हैं वहीं के पंचायत भवनों में ताला लटकते मिले सरांय प्रथम ग्राम पंचायत का सचिवालय शोपीस साबित हो रहा है यहाँ से सितंबर माह में चोरों ने ताला तोड़कर एक लाख 75 हजार रुपया के लगे कंप्यूटर, एलईडी, सीसी कैमरा, बैटरी आदि चोरी कर ले गए थे चोरी होने के बाद से आज तक सचिवालय खुला नहीं है गांव के लोग किसी भी काम के लिए बिधूना ब्लॉक व तहसील के चक्कर लगा रहे हैं ग्राम प्रधान पिंकी देवी से जानकारी चाही गई तो वह सचिवालय के संचालन को लेकर गोलमोल जवाब देती दिखी वहीं पंचायत पसुआ में पंचायत भवन वर्ष 2005 में बना था जो अब जर्जर हालात में है सचिवालय को पुनः चालू करने के लिए निर्माण व मरम्मत के लिए सचिव ने एक वर्ष पहले टेंडर कराया था, मगर आज तक काम चालू नहीं हो सका वहीं सहार ब्लाक की ग्राम पंचायत पिपरौली शिव के ग्रामीणों ने भी बताया कि पंचायत सचिवालय जब कभी खुलता है और यहाँ तैनात सचिव कभी भी काम के समय यहाँ नहीं आता और न ही किसी ग्रामीण का कार्य समय से करता है वहीं ग्राम प्रधान विमलेश कुमारी से न आने के बारे में जब पूंछा गया तो वो जबाव देने से कतराती दिखी इसी कारण यहाँ के ग्रामीणों को आयुष्मान कार्ड, वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, दिव्यांग पेंशन, मृत्यु प्रमाणपत्र आदि का लाभ समय से नहीं मिल पा रहा है।
औरैया :- ग्राम सचिवालयों में लटके ताले झोले में आई ग्राम की छोटी सरकारें।
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