रमजान के पाक महीने का तीसरा अशरा बुधवार शाम से शुरू हो गया है। तीसरे अशरे यानी रमजान माह के आखिरी 10 दिन में मुस्लिम समुदाय के लोग तमाम लोग एतकाफ (एकांतवास) में बैठ चुके हैं, और दुनियावी चीजों से खुद को अलग करके सिर्फ दिन-रात अल्लाह की इबादत कर रहे हैं। एतकाफ के लिए पुरुष मस्जिद या घर में पर्दा लगाकर बैठते हैं। जबकि महिलाएं घर के किसी कोने में पर्दा लगाकर बैठती है।
उलेमा बताते हैं कि हदीस पाक में है कि रमजान में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब भी एतकाफ में बैठ थे। इस्लामिक मान्यता के मुताबिक एतकाफ में बैठकर इबादत करने वालों के अल्लाह सभी गुनाह माफ कर देता है। उनकी हर जायज दुआ को पूरा करता है। उलेमाओं के अनुसार रमजान के आखिर में एतकाफ में बैठने वालों पर अल्लाह की रहमत बरसती है।
मुस्लिम समुदाय के लोग 20 वें रोजे को असिर-मगरिब की नमाज के बीच एतकाफ में बैठते हैं और आखिरी रोजे 29 या 30 को ईद का चांद दिखने पर निकलते हैं। एतकाफ के दौरान पुरुष, महिलाएं 10 दिन तक एक ही जगह पर खाते-पीते, उठते-बैठते और सोते-जागते हैं।
पूरे 10 दिन तक पाबंदी से रोजा रखते हैं। नमाज-कुरान पढ़कर अल्लाह की इबादत करते हैं। तारावीह पढ़ते हैं यानी खुद को हर चीज से दूर करके सिर्फ अल्लाह की इबादत करते हैं। हालांकि, एतकाफ में नित्य क्रिया व जरुरी हाजत की इजाजत होती है।
रमजान माह इस्लाम में सबसे पाक माना गया है।
कुरान पाक में यहां तक कहा गया है कि एतकाफ में जिस मस्जिद या घर में कोई बैठता है, तो उस घर के आसपास के रहने वाले तक के गुनाह अल्लाह ताला माफ करते हैं।
असगर अली
उतरौला
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