उतरौला(बलरामपुर) घूंघट की ओट से आने वाली जहां पर कह देती थी कि घर पर कोई नही है वही आज की दहेली लांघ कर दरवाजे अपने लिए तथा अपने पति के लिए वोटों को मांगती फिर रही हैं।जिस परिवार की बुजुर्ग महिलाएं बहुओं का चेहरा खुला देखकर तथा दरवाजे पर झांकने को बुरा भला कहकर मना करती थी,वही माताएं अब बहू को विजयी भव का आशीर्वाद देकर दूसरे के दरवाजे की चौखट चूमने को आशीष बचन दे रही हैं।
बताते चलें कि जो बहुएं जेठ,ससुर के सामने से निकलने में शरमाती थी वही बहुएं आज ससुर जेठ के साथ वोट मांगने के लिए हर मतदाता का चरण वंदन करना भी मजबूरी समझ रही हैं।निकाय चुनाव चिन्ह को लेकर वह मतदाताओं के दरवाजे दस्तक देकर उन्हें अपना चुनाव निशान बताकर वोट देने की अपील कर रही हैं।और दरवाजे की दहलीज से बाहर निकलकर दूसरों के दरवाजे अपने व अपने परिवार के लिए वोट मांगती घूम रही हैं।शिक्षित महिलाए अपनी आजादी का अधिकार बताते हुए अपने पक्ष में मतदान की बात कर रही हैं वे अपने संबोधन में चाचा,चाची,भाभी कहकर मान मनौव्वल करने का काम जारी है।
*मंदिर व मस्जिद आये याद,ससुर जेठ के साथ पहुंच रही मतदाताओं के द्वार*
नगर निकाय चुनाव में अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए अब प्रत्याशियों ने मतदाताओं के साथ साथ मंदिरों मस्जिदों की परिक्रमा शुरू कर दी है।वह मस्जिदों व मंदिरों में जाकर मत्था टेका, हाजियों व महंथों का आशीर्वाद लेने से भी नही चूक रहे हैं।नगर निकाय चुनाव में अपना भाग्य आजमा रहे भाजपा,सपा,बसपा,कांग्रेस सहित निर्दल प्रत्याशियों ने अपनी अपनी जीत को लेकर तथा मतदाताओं की चुप्पी को देखते हुए उन्होंने देवी देवताओं की परिक्रमा शुरू कर दी है।वह अपनी जीत को लेकर मंदिरों,मस्जिदों में भगवान से जिताने की गुहार लगा रहे हैं।मतदाताओं की दुविधा भरी बात को सुनकर उम्मीदवार किसी की जीत हार का आकलन नही कर पा रहे हैं मतदाताओं द्वारा साधी गई चुप्पी से परेशान प्रत्याशी अब अपनी जीत के लिए मंदिरों,मस्जिदों,तथा तांत्रिकों का सहारा लेने को दौड़ रहे हैं।अब देखना यह है कि ईश्वर पर किस प्रत्याशी की आस्था सफलता दिलाती है।
आगर अली
उतरौला
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