असामायिक वर्षा के कारण सभी फसलों को काफी क्षति पहुंची है: कृषि वैज्ञानिक




बहराइच ( ब्यूरो)बारिश के साथ चल रही तेज हवा से किसानों को काफ़ी नुकसान हुआ है । मौसम में आए इस बदलाव से किसान परेशान हैं। क्षेत्र में कहीं खेतों में तैयार खड़ी फसलें गिर गई तो कहीं खेतों में काटकर रखी गई फसल खराब हो गई है।साथ ही सब्जी वर्गीय फसलों में काफी समस्या देखने को मिल रही है। शाम की ठंड और दोपहर की कड़ी धूप से तापमान में उतार-चढ़ाव लगातार बना हुआ है साथ ही इसका असर सभी फसलों में दिख रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र नानपारा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. के. एम. सिंह ने बताया कि केंद्र के प्रक्षेत्र पर बोई गई दलहनी फसलों में असामायिक वर्षा के कारण फली में ही दाने का जमाव होने लगा है , सभी फसलों में भी काफी क्षति पहुंची है।  उन्होंने बताया कि फसलों में कीट और बीमारी लगने की संभावना उस समय सबसे ज्यादा होती है जब बारिश के बाद तेज धूप निकल आए और ऐसी स्थिति में पौधों में फंगल इंफेक्शन ( फफूँद जनित संक्रमण ) होने की संभावना बढ़ जाती है। केंद्र की पौध संरक्षण वैज्ञानिक डॉ हर्षिता ने  बताया कि कद्दू वर्गीय सब्जियों में डाउनी मिलड्यू (मृदरोमिल आसिता) रोग लगने की प्रबल संभावनाएं हैं जिसमें पत्तियाँ चितकबरी हो जाती हैं , उस पर पीले कुड़िए धब्बे बन जाते हैं ।जिसमें अधिक आद्रता होने पर पत्ती के निचले भाग पर कवक वृद्धि दिखाई देती है। इस रोग के नियंत्रण हेतु मेटलेक्सिल 8% + मैनकोज़ेब 64% डब्लू.पी. का 2.5 ग्राम प्रति ली. पानी में घोल बनाकर कर स्प्रे करें। इसके साथ ही इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस. एल. 1 मि.ली. प्रति ली. पानी के घोल के छिड़काव से रस चूसक कीटों का नियंत्रण कर विभिन्न विषाणु जनित रोगों के प्रसार को रोका जा सकता है। डॉ अरुण कुमार ने बताया कि अच्छी फलत के लिए घुलनशील एन पी के (0:52:34) 10 ग्राम एवं बोरान 0.750 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से उपरोक्त दवाओं के साथ स्प्रे करें।

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