उतरौला(बलरामपुर) हर क्षेत्र में विकास को रफ्तार मिली,पर हर साल करोड़ो की संपति स्वाहा कर सैकड़ों को बेघर कर देने वाले अग्निकांड रोकने वाले उपाय नहीं बढ़ाए।लगभग पांच लाख की आबादी वाला क्षेत्र मात्र एक फायर स्टेशन व
25 कर्मचारियों के सहारे है।इस विभाग की सुध न क्षेत्रीय नेताओं को है और न जनप्रतिनिधियों को।आग लगने पर सबसे पहले किसी का नाम जुबान पर आता है तो वह है फायर ब्रिगेड का।लेकिन जब क्षेत्र का फायर स्टेशन ही तमाम खामियों का शिकार हो जाए तो फिर ये आग बुझेगी कैसे।
जी हां उतरौला तहसील क्षेत्र का अग्निशमन केंद्र बदलपुर तमाम खामियों का दूसरा नाम बन चुका है।एक तरफ जहां संसाधनों की कमी है वही स्टाफ की कमी का सामना करना पड़ रहा है।ऐसे में गांवों में आग लगने पर फायर ब्रिगेड की गाड़ियां किसी तरह पहुंच जाती हैं तो भी मोर्चा ग्रामीणों को ही संभालना पड़ता है।हालाकि बदलपुर फायर ब्रिगेड सर्विस स्टेशन में उप निरीक्षक,हेड कांस्टेबल फायर मैन समेत 25 कर्मचारी तैनात किए गए हैं। एक बड़ी गाड़ी फायर स्टेशन पर है एक चालक के सहारे गाड़ियां संचालित हो रही हैं फायर ब्रिगेड की स्थापना होने के बाद प्रभारी के रूप में सत्येंद्र कुमार सिंह ही कमान संभाले हुए हैं।एक पखवारे में दर्जन से अधिक मकान व कई बीघा गेंहूं जलकर राख होने की घटना सर्किल क्षेत्र में हुई है।इस मौसम में आगजनी की घटनाएं अधिक हो रही हैं।अग्निशमन प्रभारी बदलपुर सत्येंद्र कुमार सिंह से जानकारी ली गई कि आपके पास मात्र एक ही वाहन आग बुझाने के लिए हैं यदि ऐसी दशा में क्षेत्र में 4स्थानों पर आग लग जाए तो आग पर काबू पाने के लिए क्या करते हैं तो उनका जवाब था घटना स्थल के लिए जिला मुख्यालय से अग्निशमन केंद्र की यूनिट को बुलाया जाता है
क्षेत्र काफी बड़ा है।उन्होंने बताया कि मार्च माह से अब तक एक रेस्क्यू व 11स्थानों पर आग बुझाया गया है।प्रभारी ने अग्निशमन केंद्र पर एक और वाहन, दो चालक के सापेक्ष एक चालक एक स्वीपर तथा एक कुक की आवश्यकता बताया।
असगर अली
उतरौला
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