जनपद-महराजगंज आनंदनगर, फरेंदा में आज पंजाबी बाबा के मज़ार पर, बहुत ही अदब के साथ शबे क़दर की रात में लोगों नें इबादत की और साथ ही साथ शिरनी असबाब लोगों में तकसीम की!
मज़हबे इस्लाम में धर्म के अनुसार जिस दिन 26वां रोजा होता है, उस तारीख़ को माहे-रमजान की 27वीं रात होती है।
इस रात को ही अमूमन शब-ए-कद्र (अल्लाह की फज़ले खास होती है बन्दों पर और यह एक खास रात होती है ) में शुमार किया जाता है।
हालांकि हदीसे-नबवी में जिक्र है कि शब-ए-कद्र को रमजान के आखिरी अशरे (अंतिम कालखंड) की ताक रातों (विषम संख्या वाली रातें) जैसे 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं, 29वीं रात में तलाश करो, लेकिन हजरत उमर और हजरत हुजैफा (रजियल्लाहु अन्हुम) और असहाबे-रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) में से बहुत से लोगों को यकीन था कि रमजान की 27वीं रात ही शब-ए-कद्र है।
सवाल यह उठता है कि शबे-कद्र (Shab-E-Qadr) क्या है?
शब के माने है रात, कद्र के माने है अदब (इज्जत)। शब-ए-कद्र यानी ऐसी शब (रात) जो कद्र (इज्जत, सम्मान) वाली है। माहे-रमजान के आखिरी अशरे में ही शब-ए-कद्र यानी इज्जत और अजमत वाली ये रात आती है।
अब दूसरा सवाल यह पेश आता है कि शबे-कद्र की ऐसी क्या ख़ासियत है कि इसे इतनी अहमियत हासिल है?
इसका जवाब यह कि,
जिस तरह नदियों में कोई नदी बहुत खास होती है, पहाड़ों में कोई पहाड़ बहुत खास होता है, परिंदों (पक्षियों) में कोई परिंदा बहुत खास होता है, दरख्तों (वृक्ष) में कोई दरख्त बहुत खास होता है, दिनों में कोई दिन बहुत खास होता है वैसे ही रातों में कोई रात बहुत खास होती है।
रमजान के माह में शब-ए-कद्र ऐसी ही खास और मुकद्दस (पवित्र) रात है जिसमें अल्लाह ने हजरत मोहम्मद (सल्ल.) के जरिए से कुरआने-पाक की सौग़ात दी।
मजहबे-इस्लाम की पाकीजा किताब-कुरआने-पाक दरअसल तमाम दुनिया और इंसानियत के लिए रहनुमाई, रौनक और रहमत की रोशनी तो है ही, समाजी जिंदगी का पाकीजा आईन (विधान) भी है।
कुरआने-पाक के तीसवें पारे (अध्याय-30) की सूरह 'कद्र' की पहली आयत में जिक्र है 'इन्ना अन्जल्नाहु फ़ी लैलतिल कद्र' यानी 'यकीनन हमने इसे (कुरआन को) शब-ए-कद्र में नाजिल किया।
शब-ए-कद्र में सच्चे दिल से इबादत करने से मिलती है अल्लाह की रहमत और इनायत। शब-ए-कद्र हजार महीनों से ज्यादा बेहतर है।
*हाफ़िज़ मोहम्मद शफी*
एडवोकेट शामसाद अहमद, (दीवानी फरेंदा) मोहम्मद मुस्तक़ीम (मोअज़्ज़ीन जामा मस्जिद)
डॉ रईस अहमद खान (मेट्रो हेल्थ क्लिनिक)
शाकिर अली (चुन्नू)
एडवोकेट नदीम अहमद खान, युसूफ अली, गादर भाई,इद्रीस,
निसार अहमद, राजू भाई,
नज़र मोहम्मद (उर्फ़ सिकन्दर)इस्तखार भाई, हैदर भाई,मोहम्मद जमील, राजू भाई,
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