जौनपुर। गौशाला पेसारा में लगा गायों की लाशों का ढेर
जौनपुर। केराकत तहसील क्षेत्र के पेसारा गांव में बने निराश्रित अस्थाई गौशाला में लगभग हर हफ्ते किसी न किसी पशु की मौत हो ही जाती है। आलम ये है कि मृत्यु पशुओं को गड्डे में डाल तो दिया जाता है पर उस पर मिट्टी नही डाली जाती है,जिस कारण दुर्गंध निकलती है। दुर्गंध निकलने से आने जाने वाले राहगीरों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
इस मामले जब मुफ्तीगंज बीडियो रवि कुमार ने बताया कि मामला संज्ञान में है ग्राम विकास अधिकारी को मौके पर भेज दिया गया है। वहीं ग्राम प्रधानपति जयहिंद रसीला ने कहा कि जब भी कोई कार्य करता हूं तो सचिव साफ साफ कहते हैं कि अपने मन का कोई काम मत किया करो। पशुओं के देखरेख में रखे केयर टेकर को सही समय पर उसका भुगतान कर दिया जाता है ताकि वह जिम्मेदारी के साथ अपना काम कर सके, केयर टेकर की वजय से कुछ खामियां हैं जिसे जल्द ही सुधार कर लिया जाएगा। कभी कभी मैं खुद अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए स्वय गौशाला पहुंच पशुओं को चारा खिलाता हूं। उन्होंने कहा कि गौशाला में बिजली की व्यवस्था नही है साथ ही गौशाला परिसर में लगी समरसेबुल को तीन बार अज्ञात लोगो ने चोरी कर ली जिसकी तहरीर थाने पर दी गई है। मगर आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है, उन्होंने कहा कि मैं जिलाधिकारी को अवगत कराना चाहता हूं कि गौशाला में बिजली व्यवस्था जल्द से जल्द करवा दिया जाए, ताकि पशुओं को पानी की समुचित व्यवस्था हो सके।उपजिलाधिकारी नेहा मिश्रा ने कहा कि मामला संज्ञान में है मुफ्तिगंज बीडियो को अवगत करा दिया गया है। गड्डे में पड़े शव पर मिट्टी न डालने को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह गलत है, अगर गड्डे में पशुओं के शव पड़े हैं तो उसपर मिट्टी डालकर पाट देना चाहिए।बता दें कि गायों के प्रति उनकी इस संवेदन शीलता का ही नतीजा है कि राज्य में सरकार बनने के बाद से ही गायों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और उनकी देखभाल के लिए कई फ़ैसले लिए गए, गौशालाएं बनवाने के निर्देश दिए गए और बजट में अलग से इसके लिए प्रावधान किया गया। लेकिन राज्य का शायद ही कोई ऐसा इलाक़ा हो जहां से आए दिन गायों-बछड़ों के मरने की ख़बर न आती हो, वो भी भूख से मरने की।
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