राष्ट्रीय शिक्षा नीति सभी को अपनी योग्यता सिद्ध करने का
अवसर देने वाली है: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
सीएम योगी तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय के दीक्षांत
समारोह को किया संबोधित
मुख्यमंत्री योगी ने तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय के दीक्षांत
समारोह में विद्यार्थियों को दी उपाधि और मेडल
सीएम योगी ने कहा-सभी तीर्थंकरों ने समाज को दिशा देने के
लिए तप और त्याग का मार्ग अपनाया
बोले सीएम योगी- मेधावी अपनी प्रतिभा का उपयोग प्रदेश की
छवि को मजबूत बनाने और देश को गौरवान्वित करने के
लिए करें
17 मार्च, मुरादाबाद। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि
जब दुनिया कोराेना से दुनिया पस्त थी तब भारत नई शिक्षा
नीति दे रहा था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति सभी को अपनी योग्यता
सिद्ध करने का अवसर देने वाली है। उन्होंने कहा कि 'सत्यं
वद, धर्मं चर' सत्य बोलना के लिए कोई अवसर नहीं तलाशना
चाहिए बल्कि, जीवन का हिस्सा होने चाहिए। भारतीय ऋषि
परंपरा में कि सत्य की व्याख्या अलग-अलग हो सकती
लेकिन सत्य एक ही होगा। सभी तीर्थंकरों ने समाज को दिशा
देने, सत्य की ओर ले जाने के लिए तप और त्याग का मार्ग
अपनाया।
सीएम योगी शुक्रवार को तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय के
दीक्षांत समारोह में सम्मलित हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि
नाम दीक्षांत जरूर है लेकिन ऐसा नहीं है कि आगे शिक्षा
प्राप्त नहीं करनी है। इसका अर्थ है कि शिक्षा के आधार पर
महान बनने के लिए कार्य करना है, जीवन को उत्कृष्ट रूप
प्रदान करते हुए, सही दिशा का मार्ग पर प्रशस्त करना है।
उन्होंने कहा कि उपासना पद्धति व्यक्तिगत हो सकती है।
परंतु धर्म का अर्थ वह जो धारण किया जाए। भारतीय धर्म
शास्त्र में धर्म को पुरुषार्थ को माना गया है। धर्म के प्रति
आग्रह होना चाहिए।
सीएम योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में
देश का कोविड प्रबंधन का दुनिया में बेहतरीन उदाहरण बना,
जहां लोग संक्रमित हुए वहीं इलाज की व्यवस्था हुई। कोरोना
के खिलाफ युद्ध में पूरा देश एक साथ आगे आया और
अनुशासन का पालन किया। उस समय सभी ने मिलकर सेवा
की। तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय और मेडिकल कॉलेज भी
लोगों की जान बचाने आगे आए। उन्होंने कहा कि कोरोना
कालखंड में भारत दुनिया को फ्री वैक्सिन देने वाले पहला देश
बना। दुनिया के बड़े-बड़े शक्तिशाली देशों की बैंकों पर ताला
लटक गया। वहीं भारत पिछले तीन वर्षों से 80 करोड़ से
ज्यादा लोगों को निःशुल्क राशन दे रहा है।
सीएम योगी ने विद्यार्थियों को प्रधानमंत्री के पांच प्रण
विकसित भारत, गुलामी की हर सोच से मुक्ति, विरासत पर
गर्व, एकता-एकजुटता और नागरिकों के कर्तव्य की याद
दिलाई। उन्होंने कहा कि गुलामी की सोच ने कई विकृतियां
पैदा कर रखी है, इसलिए गुलामी की सोच से मुक्ति पानी ही
होगी। सीएम योगी ने राम मंदिर निर्माण, काशी विश्वनाथ
धाम, केदार नाथ, महाकाल धाम का पुनरुद्धार का जिक्र करते
हुए कहा कि यह भारत का स्वर्णिम काल है। उन्होंने
विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सभी मेधावी
छात्र-छात्राओं का भविष्य उज्जवल हो। मेधावी अपनी प्रतिभा
का उपयोग प्रदेश की छवि को मजबूत बनाने और देश को
गौरवान्वित करने के लिए करें।
कार्यक्रम में सीएम योगी के साथ वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री
सुरेश खन्ना और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी
शामिल रहे। इस दौरान सीएम योगी ने मेधावी विद्यार्थियों
को गोल्ड मेडल, उपाधि और डिग्री प्रदान कर उन्हें सम्मानित
किया। उन्होंने 2020-21- 22 के 5988 विद्यार्थियों को उपाधियां
वितरित की गई। इसमें 104 गोल्ड, 103 सिल्वर और 98
विद्यार्थियों को ब्रांज मेडल देकर सम्मानित किया गया।
दीक्षांत समारोह में 2020-21 के पीएचडी की चार, मास्टर्स की
477, लेक्चरर की 2482 और डिप्लोमा की 315, 2021-22 में
पीएचडी की 13, मास्टर्स की 454, बैचलर्स की 2069, डिप्लोमा
की 172 डिग्री समेत 5986 विद्यार्थियों को डिग्रियां वितरित
की गई।
चंदौसी के घायलों का हाल जानने अस्पताल पहुंचे सीएम
इसी बीच सीएम योगी संभल के चंदौसी इलाके में आलू कोल्ड
स्टोरेज की छत गिरने की घटना में घायल हुए लोगों को
देखने मुरादाबाद के अस्पताल पहुंचे, जहां उन्होंने हादसे में
घायल हुए लोगों का हाल-चाल जाना और मृतकों के परिवार
के प्रति संवेदना व्यक्त की। इस दौरान सीएम योगी ने कहा
कि "मृतक के परिजनों को 2-2 लाख रुपए और गंभीर रूप से
घायलों को 50-50 हजार रुपए दिए जाएंगे। इसके साथ ही
मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा योजना के अंतर्गत भी 5 लाख
रुपए दिए जाएंगे। बचाव कार्य चल रहा है। बचाव अभियान
पूरा होने के बाद दोषियों के खिलाफ जांच के बाद कड़ी
कार्रवाई की जाएगी।" उन्होंने कहा कि, "अब तक 11 लोगों को
बचाया जा चुका है जिसमें से 5 का इलाज चल रहा है और 6
लोगों को प्राथमिक उपचार देने के बाद उन्हें घर भेजा गया
है।" सीएम ने कहा की "अस्पताल में भर्ती 4 लोगों से मिला हूं
और एक को मेरठ रेफर किया गया है।"
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3.19 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करेंगे 1.44 लाख
परीक्षक
-बोर्ड परीक्षा को नकलविहीन संपन्न कराने के बाद अब योगी
सरकार ने त्रुटिरहित मूल्यांकन का रखा लक्ष्य
-शनिवार से एक अप्रैल तक प्रदेश भर के 258 केंद्रों में चलेगा
उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का कार्य
-परीक्षा केंद्रों और परीक्षकों की सुरक्षा के लिए सरकार की ओर
से किए गए चाक चौबंद इंतजाम
-पहली बार मूल्यांकन में लगाए गए परीक्षकों को ऑडियो-
वीडियो प्रेजेंटेशन के माध्यम से किया गया प्रशिक्षित
-सभी मूल्यांकन केंद्रों की वॉयस रिकॉर्डर से लैस सीसीटीवी
कैमरों के माध्यम से की जाएगी निगरानी
लखनऊ, 17 मार्च। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदेश में
नकलविहीन परीक्षा संपन्न कराने के बाद अब बिना किसी
बाधा के बोर्ड परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का
भी लक्ष्य रखा है। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद की
ओर से पुख्ता तैयारी की गई है। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट
परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन को त्रुटिरहित
निरपेक्ष मूल्यांकन के लिए प्रदेश भर में 258 मूल्यांकन केंद्र
बनाए गए हैं, जिनमें कुल 3.19 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं के
मूल्यांकन के लिए करीब 1.44 लाख परीक्षकों को नियुक्त
किया गया है। यही नहीं, परीक्षा केंद्रों और परीक्षकों की सुरक्षा
के लिए भी चाक चौबंद इंतजाम किए गए हैं। वहीं सीसीटीवी
के माध्यम से इसकी निगरानी की भी व्यवस्था की गई है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने हाल ही में रिकॉर्ड समय
में बिना किसी बाधा के बोर्ड परीक्षाओं को संपन्न कराने में
सफलता प्राप्त की है। 30 वर्षों में पहली बार कोई भी परीक्षा
प्रश्नपत्रों के लीक होने, वायरल होने या अन्य किसी वजह से
रद नहीं की गई। यही नहीं, सामूहिक नकल की भी कोई घटना
नहीं हुई।
258 केंद्रों पर होगा मूल्यांकन कार्य
माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने बताया
कि हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के
मूल्यांकन के लिए प्रदेश में कुल 258 मूल्यांकन केंद्र बनाए
गए हैं। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का कार्य एक अप्रैल
तक चलेगा। इस दौरान हाईस्कूल की लगभग 1.86 करोड़
उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया जाएगा, जिसके लिए
89,698 परीक्षकों को नियुक्त किया गया है। वहीं इंटरमीडिएट
की 1.33 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए 54,235
परीक्षक लगाए गए हैं। इस प्रकार कुल 3.19 करोड़ उत्तर
पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए कुल 1,43,933 परीक्षक
नियुक्त किए गए हैं।
परीक्षकों को किया गया प्रशिक्षित
उन्होंने बताया कि उत्तर पुस्तिकाओं का त्रुटिरहित निरपेक्ष
मूल्यांकन हो सके इसके लिए इस बार पहली बार मूल्यांकन
में लगाए गए जाने वाले परीक्षकों एवं उपप्रधान परीक्षकों के
प्रशिक्षण के लिए उनके उपनियंत्रकों का प्रशिक्षण क्षेत्रीय
कार्यालय स्तर पर ऑडियो-वीडियो प्रेजेंटेशन के माध्यम से
कराया गया है। क्षेत्रीय कार्यालय मेरठ में 12 मार्च को, बरेली
में 13 मार्च को, गोरखपुर में 14 मार्च को, प्रयागराज में 15
मार्च को और वाराणसी में 16 मार्च को प्रशिक्षण संपन्न हो
चुका है। मूल्यांकन केंद्रों के उपनियंत्रक या प्रधानाचार्य क्षेत्रीय
कार्यालय स्तर पर प्रशिक्षण लेने के बाद अपने-अपने
मूल्यांकन केंद्रों पर मूल्यांकन प्रारंभ होने से पहले उत्तर
पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए नियुक्त परीक्षकों एवं
उपप्रधान परीक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे।
सुरक्षा की भी पुख्ता व्यवस्था
सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने बताया कि मूल्यांकन केंद्रों पर
शुचितापूर्ण मूल्यांकन के लिए प्रत्येक मूल्यांकन केंद्र पर एक-
एक स्टेटिक मजिस्ट्रेट को लगाया गया है। साथ ही, प्रत्येक
जनपद में स्थित सभी मूल्यांकन केंद्रों के पर्यवेक्षण के लिए
प्रत्येक जिले के डायट प्राचार्य को पर्यवेक्षक नियुक्त किया
गया है। यही नहीं, मूल्यांकन केंद्रों की सुरक्षा व्यवस्था के भी
कड़े इंतजाम किए गए हैं। मूल्यांकन केंद्रों के चारों ओर 100
मीटर की परिधि में धारा 144 लगाई गई है। साथ ही
मूल्यांकन अवधि तक कम से कम चार सशस्त्र पुलिस गार्ड
की भी तैनाती कराए जाने तथा स्थानीय अभिसूचना
इकाइ/पुलिस कर्मियों की सादी वर्दी में तैनाती कराए जाने की
व्यवस्था की गई है।
सीसीटीवी कैमरों से होगी निगरानी
जिस तरह इस बार बोर्ड परीक्षाओं को वायस रिकॉर्डर वाले
सीसीटीवी कैमरों के अधीन कराया गया था, उसी तरह
मूल्यांकन कार्य की भी निगरानी किए जाने का प्रावधान किया
गया है। सचिव दिव्यकांत शुक्ल के अनुसार मूल्यांकन कार्य
अनिवार्य रूप से वायस रिकॉर्डर युक्त सीसीटीवी की निगरानी
में होगा। मूल्यांकन की समुचित निगरानी के लिए सभी केंद्रों
की जनपद और राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम से लगातार
मॉनीटरिंग कराए जाने की भी व्यवस्था की गई है।
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सीएम योगी की डिजिटल क्रांति से जुड़ रहे युवा आंत्रप्रेन्योर्स
- सीएम योगी के डिजिटल यूपी मिशन से जुड़े युवा, गांव-गांव
तक पहुंच रहा इंटरनेट
- सहारनपुर के एक युवा ने स्टार्टअप बनाकर ग्रामीण और
पिछड़े इलाकों में पहुंचाया 5जी नेटवर्क
- लोगों को वाईफाई की सुविधा का लाभ देने को डेवलप किया
ओपन पब्लिक वाईफाई नेटवर्क
17 मार्च, लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया
के विजन के अनुरूप सीएम योगी प्रदेश को डिजिटल यूपी
बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सीएम योगी की इस मंशा को
पूरा करने के लिए न सिर्फ प्रदेश का सरकारी तंत्र पूरे तन
मन के साथ लगा बल्कि कई निजी स्टार्ट अप कंपनियों ने भी
इसमें अपना योगदान दिया। खासतौर पर युवा आंत्रप्रेन्योर भी
आगे आए, जिन्होंने सीएम योगी के गांव-गांव तक इंटरनेट
पहुंचाने के सपने को साकार करने के लिए स्टार्टअप की
शुरुआत की। ऐसे ही एक स्टार्टअप ने प्रदेश के ग्रामीण और
पिछड़े इलाकों तक डिजिटल क्रांति को बढ़ावा देने के लिए एक
5जी वाईफाई नेटवर्क डेवलप किया है। इस वाईफाई नेटवर्क
की खास बात ये है कि लोगों को महीने में 60 जीबी और एक
दिन में दो जीबी तक इंटरनेट का यूज करने में कोई चार्ज
नहीं देना पड़ रहा है। वहीं इससे ज्यादा का यूज करने पर
उन्हे बहुत ही मिनिमम चार्ज देना होता है। इसकी मदद से
ग्रामीण भी इंटरनेट क्रांति से जुड़ रहे हैं।
ग्रामीण इलाकों के लिए डेवलप किया ओपन पब्लिक वाईफाई
नेटवर्क
सहारनपुर के कुमार सत्यम ने सहारनपुर के जिन ग्रामीण
इलाकों में इंटरनेट की सुविधा नहीं है वहां डिजिटल क्रांति को
बढ़ावा देने के लिए एक वाईफाई नेटवर्क डेवलप किया है।
उन्होंने पब्लिक के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के
जरिये ओपन पब्लिक वाईफाई नेटवर्क को डेवलप किया है,
जिसका प्रयोग कर लोग इंटरनेट के जरिये अपने कामों को
ऑनलाइन निपटा रहे हैं। लोगों को महीने में 60 जीबी और
एक दिन में दो जीबी तक इंटरनेट का यूज करने में कोई
चार्ज नहीं देना पड़ रहा है। वहीं इससे ज्यादा का यूज करने
पर उन्हे बहुत ही मिनिमम चार्ज देना होता है। सत्यम ने
बताया कि इस स्टार्टअप को पायलट प्रोजेक्ट के तहत
सहारनपुर के मां शाकम्भरी देवी मंदिर और उसके आस-पास
के इलाके से शुरुआत की गयी थी। उन्होंने बताया कि गांव
की स्ट्रीट लाइट और बिजली के खंभों पर एक विशेष प्रकार
की डिवाइस लगाई गई। इस डिवाइस से पूरे गांव में वाई-फाई
की सुविधा मिलने लगी। यह प्रणाली उन्होंने खुद विकसित की
है। इससे यहां पर ऑप्टिकल फाइबर केबल की जरूरत कम
हो गई।
बच्चों को ई एजुकेशन का भी मिल रहा फायदा
उन्होंने बताया कि नेटवर्क में एडवांस एआई के जरिये माइक्रो
एस डाटा को फीड किया गया है, जिसमें एनसीआरटी के
क्लास 1 से 12 तक के सिलेबस को फीड किया गया है। ऐसे
में बच्चे ई एजुकेशन का फायदा भी उठा रहे हैं। यही नहीं
लोग अपने मोबाइल से जन सुविधा केंद्र की सुविधा भी ले पा
रहे हैं। जन्म तथा मृत्यु सर्टिफिकेट भी खुद बनवा रहे हैं। मां
शाकम्भरी देवी मंदिर और उसके आस-पास के 4 हजार लोग
इसका लाभ उठा रहे हैं। इसकी सफलता के बाद सहारनपुर
शहर और उसके आस पास के 27 गांवों को ओपेन पब्लिक
नेटवर्क (वाईफाई) से कनेक्ट करने का काम तेज गति से चल
रहा है। फिलहाल सहारनपुर शहर और आस-पास के कुछ गांव
में इसका सुविधा का लाभ लोग उठा रहे हैं। उन्होंने बताया
कि आने वाले समय में इसका लाभ सहारनपुर के 7 हजार से
ज्यादा लोग उठाएंगे।
टेली एजुकेशन, ई लाइब्रेरी की भी दी जाएगी सुविधा
आंत्रप्रेन्योर कुमार सत्यम ने बताया कि सहारनपुर के
बलवंतपुर गांव में एक मॉडल पंचायत को विकसित किया जा
रहा है, जिसका उद्देश्य लोगों को विभिन्न तरह की डिजिटल
सेवाएं प्रदान करना है। इसके लिए विलेज इंटीग्रेटेड कमांड एंड
कंट्रोल सेंटर (वाई-आईसीसीसी) का उपयोग किया जाएगा। इस
केंद्र के जरिये एआई नेटवर्क, ई-शिक्षा, टेली परामर्श सेवाएं,
सीसीटीवी, ई-गवर्नेंस सेवाएं और ई-कॉमर्स का प्रशिक्षण दिया
जाएगा। उन्होंने बताया कि पंचायत कार्यालय में लाइब्रेरी को
विकसित किया जा रहा है। इसके साथ ही यहां ई लाइब्रेरी,
टेली परामर्श के लिए टू-वे कम्युनिकेशन सिस्टम के साथ
टेली-एजुकेशन और एजुकेशन के लिए फोन-आधारित
एप्लिकेशन तैयार किया जाएगा। इसके साथ ही बच्चों को
कोडिंग और माइक्रो क्लासेज की सुविधा दी जाएगी। उन्होंने
बताया कि बलवंतपुर गांव की पंचायत में इस मॉडल को
विकसित करने के बाद इसे अन्य गांवों में भी शुरू किया
जाएगा। कुमार सत्यम ने बताया कि स्टार्टअप को योगी
सरकार की मंशा के अनुसार प्रदेश के उन गांवों में भी शुरू
किया जाएगा जहां नेटवर्क की समस्या है। उन्होंने बताया कि
आने वाले समय में मुजफ्फरपुर, शामली, मेरठ, गाजियाबाद और
नोएडा में भी इसकी शुरुआत की जाएगी।
युवाओं को प्रोत्साहित कर रही योगी सरकार
उल्लेखीय है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश के गांव-
गांव को इंटरनेट कनेक्टिविटी से जोड़ने में जी-जान से जुटे
हुए हैं। प्रदेश के पग-पग पर हाई स्पीड इंटरनेट उपलब्ध
कराते हुए गांव-गांव में शासन से जुड़ी योजनाओं का लाभ
दिलाने के लिए सरकारी स्तर पर लगातार प्रयास हो रहे हैं।
यही नहीं, सरकार स्टार्टअप और युवाओं के इनोवेटिव आइडिया
को भी पूरा सपोर्ट दे रही है, ताकि प्रदेश के पिछड़े इलाकों तक
भी डिजिटल क्रांति को पूरी रफ्तार से अंजाम तक पहुंचाया जा
सके। डिजिटल क्रांति की अलग जगाने वाले इन युवा
स्टार्टअप आंत्रप्रेन्योर्स को लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए योगी
सरकार ने भी अपनी योजनाओं के माध्यम से पहल की है।
प्रदेश की नई पीढ़ी के हाथों में दो करोड़ स्मार्टफोन और
टेबलेट वितरण इसका जीता जागता उदाहरण है जो ग्रामीण
एवं पिछड़े क्षेत्रों में डिजिटल क्रांति की अलख जगा रहा है।
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अमृत 1.0 में योजनाओं को तेजी से पूर्ण कर रही योगी
सरकार
-13 मार्च तक कुल 262 प्रोजेक्ट्स को किया गया कंप्लीट
-वाटर और सीवरेज के 229 और एफएसटीपी के 33 प्रोजेक्ट
पूर्ण
-योगी सरकार ने 5257.09 करोड़ की धनराशि भी की है जारी
लखनऊ, 17 मार्च। उत्तर प्रदेश के प्रत्येक घर तक जल की
आपूर्ति और सीवरेज की सुविधा प्रदान करने के लिए शुरू
किए गए अमृत मिशन 1.0 के अंतर्गत योगी सरकार तेजी से
कार्यों को पूर्ण कर रही है। 13 मार्च 2023 तक योगी सरकार
ने कुल 262 प्रोजेक्ट्स को कंप्लीट कर लिया है। इन
प्रोजेक्ट्स की कुल कॉस्ट 5816.55 करोड़ थी, जिसके सापेक्ष
सरकार ने 5257.09 करोड़ रुपए का भुगतान भी कर दिया है।
इसके अंतर्गत वाटर और सीवरेज के 229 प्रोजेक्ट्स, जबकि
एफएसटीपी के 33 प्रोजेक्ट्स पूर्ण किए गए हैं। उल्लेखनीय है
कि मिशन के तहत कुल 331 प्रोजेक्ट्स चला जा रहे थे,
जिसमें 279 प्रोजेक्ट्स वाटर सप्लाई एवं सीवरेज से जुड़े हैं,
वहीं 52 एफएसटीपी से संबंधित हैं। इन सभी प्रोजेक्ट्स की
कुल टेंडर कॉस्ट जीएसटी समेत 10941 करोड़ है, जिसमें
8331.64 करोड़ की राशि जारी भी की जा चुकी है।
69 स्कीम्स पर जारी है कार्य
प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी कुल 69 स्कीम्स पर कार्य
चल रहा है। इनमें 50 स्कीम्स वाटर सप्लाई एवं सीवरेज से
संबंधित हैं जबकि 19 एफएसटीपी से संबंधित हैं। इनकी
जीएसटी समेत टोटल टेंडर कॉस्ट 5124.78 करोड़ रुपए है,
जबकि 3074.55 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। वाटर
सप्लाई और सीवरेज से जुड़े कंप्लीट प्रोजेक्ट की बात करें तो
सीवरेज से संबंधित 3263.87 करोड़ की 79 स्कीम्स पूर्ण की
गई हैं तो वहीं वाटर सप्लाई से संबंधित 2429.81 करोड़ की
150 स्कीम्स पर कार्य पूरा हो गया है।
गाजियाबाद में सबसे ज्यादा स्कीम्स पूरी
अगर वाटर सप्लाई और सीवरेज से संबंधित पूर्ण हुई स्कीम्स
को जोनवाइज देखें तो गाजियाबाद जोन में सबसे ज्यादा 61
स्कीम्स का काम पूरा हो चुका है। वहीं, लखनऊ जोन में 46,
प्रयागराज और आगरा में 36-36 जबकि गोरखपुर में 28 और
कानपुर में 22 स्कीम्स का कार्य पूरा हो चुका है। इस तरह
कुल 229 स्कीम्स का काम 100 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है तो
11 स्कीम्स ऐसी हैं जिनमें 90 प्रतिशत, 17 में 75-90 प्रतिशत,
13 में 50-75 प्रतिशत, 8 में 25 से 50 प्रतिशत काम हो चुका
है। महज एक स्कीम ही है जिसमें 0 से 25 प्रतिशत के बीच
काम हुआ है।
हाउसहोल्ड कनेक्शंस में भी तेजी
हाउसहोल्ड कनेक्शंस की बात करें तो वाटर सप्लाई के अंतर्गत
कुल 9.2 लाख का टारगेट था। इसके सापेक्ष 8.7 लाख
हाउसहोल्ड कनेक्शन कंप्लीट हो गए हैं, जबकि महज 50 हजार
कनेक्शन ही अभी पेंडिंग है। इसी तरह सीवरेज हाउसहोल्ड
कनेक्शन की बात करें तो 10.6 लाख के टारगेट के सापेक्ष 7.5
लाख कनेक्शन किए जा चुके हैं और 3.1 लाख अभी फिलहाल
पेंडिंग हैं जिन पर तेजी से काम किया जा रहा है।
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