राजकुमार गुप्ता
आगरा। जब -जब धर्म की हानि होती है, संसार में पाप अपनी चरम सीमा पर होता है, तब भगवान धर्म की पुनः स्थापना के लिए संसार में अवतरित होते है। इसी क्रम में मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्रीं राम का अवतार संसार में अधर्म के नाश के लिए हुआ था, जिसमें उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में एक आदर्श जीवन जीते हुए संसार में धर्म की पुनः स्थापना की और रावण सहित कई अधर्मियों और निशाचरों का वध किया तथा सभी को मर्यादा में रहकर एक आदर्श जीवन जीनें का पुरे संसार को पाठ पढ़ाया।यही कारण है कि भगवान् श्री राम से जुड़ा हर पर्व देश के हर कोने में पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। आइए हम सब मिलकर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जैसा चाहते थे वैसा एक बिना भेद भाव वाला उत्तम राम राज्य बनाएं।
सुप्रशिद्ध एवं लोकप्रिय वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी राजेश खुराना ने सभी देश बासियों को राम नवमी की शुभकामनाएं देते हुये बताया कि आइए हम सब मिलकर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जैसा चाहते थे वैसा एक बिना भेद भाव वाला उत्तम राम राज्य बनाएं। क्योंकि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के जीवन से प्रत्येक मनुष्य कुछ सीखता है, कुछ ग्रहण करता है, तो उसका जीवन सफल हो जाता है। क्योंकि वो हमारी संस्कृति की पहचान हैं। हम भारतीयों की अमिट पहचान हैं। भगवान श्री राम हमारे हृदय के बहुत करीब है। विशेष रूप से इनसे बहुत लगाव है, समस्त देवी-देवताओं के दर्शन इनमे होते है। श्री राम एक ऐसा पथ है, जिस पर राम ही चले सदा क्योंकि न उनके जैसा कोई हुआ है और न होगा। श्री राम निश्चित रूप से मर्यादा पुरुषोत्तम है। उन्होंने सदैव ही मर्यादा में रहकर हर कार्य किया और धर्म के पथ पर आजीवन चलते रहे। मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम का चरित्र एक आदर्श चरित्र है। मानव के रूप में आकर प्रभु ने मानव का कल्याण किया। भाई, पुत्र, पति और पिता हर नाते का सम्मान किया।
दुनिया को मर्यादा का पाठ पढ़ाया और फिर जग से प्रस्थान किया। आजकल के मुनष्य विशेष कर युवा पीढ़ी छोटी सी मुसीबत में ही हार मान जाती है। डिप्रेशन में आ जाती हैं, आत्महत्या जैसा गैरकानूनी अपराध करने को तत्पर हो जाती है। जब भी दुख या परेशानी अधिक हो जाती है, तो वे मदिरापान करने लगते है। लेकिन ऐसा करने से ना किसी को कुछ मिला हैं ना मिलेगा। मगर कठिन समय से गुजर रहे लोगों के लिए भगवान श्री राम का जीवन एक प्रेरणा स्त्रोत है। जिन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवन में सिर्फ कष्टों का ही सामना किया, परंतु कभी भी हिम्मत और साहस को नही छोड़ा। आप स्वयं विचार कीजिये किस प्रकार एक राजकुमार जिसका प्रातःकाल राज्याभिषेक होना था। उन्हें रातों रात बिना किसी अपराध के वनवास मिल जाता है और इतना ही नही इसके उपरांत उनकी पत्नी का हरण हो जाता और उनको देवी सीता के विरह में वन-वन भटकना पड़ता है। यदि वे चाहते तो रावण से युद्ध करने के लिए अयोध्या की सेना बुला लेते परंतु उन्होंने ऐसा नही किया। अकेले दम पर युद्ध किया और विजय हासिल की।
वर्तमान समय में मित्र - मित्र न होकर भीतरी शत्रु अधिक है। केलिन भगवान श्री राम ने मित्रता का उदहारण मानव जाति को दिया है। श्रीहनुमान जी से उनकी मित्रता उच्चकोटि की मित्रता का स्थान पाती है। इसके अतिरिक्त उन्होंने कभी भी जाति के नाम पर भेद-भाव नही किया वे सबको समान समझते थे। उनकी नज़र में कोई छोटा या बड़ा नही था। इसका उदहारण भी रामायण में प्राप्त होता है। भगवान श्री राम ने अपने मित्र निषाद राज का सम्मान किया। उन्हें अपने कंठ से लगाया। केवट की भक्ति पर तो वे बलिहारी है और जो तृप्ति उन्हें सबरी के बेर खा कर हुई। वो तृप्ति उन्हें अवध और मिथिला के छत्तीस व्यजनों में भी प्राप्त नही हई। श्री राम निश्चित रूप से मर्यादापुरुषोत्तम है। उन्होंने सदैव ही मर्यादा में रहकर हर कार्य किया और धर्म के पथ पर आजीवन चलते रहे। श्री राम और माता सीता अलग -अलग नही वे एक ही है।इसलिए तो आज के युग सदैव ही उनके नाम को एक साथ जोड़कर कहा जाता है जय जय सीताराम।
श्री खुराना ने आगे बताया कि पति के रूप में इनके चरित्र का वर्णन शब्दो द्वारा संभव नही है। श्री राम ने सदैव देवी सीता का सम्मान किया। उन्होंने देवी सीता को एक पत्नीव्रत का वचन दिया था और उस वचन का पालन भी किया। श्री राम के लिए माता सीता के अतिरिक्त विश्व की हर स्त्री पराई थी। वे विवाह का सम्मान करते थे। पति-पत्नी को विवाह के दो स्तम्भ मानते थे। उन्होंने सम्पूर्ण जगत को नारी का सम्मान करने की सीख प्रदान की है, साथ ही रावण का वध करके यह भी सिद्ध किया। जब -जब संसार में नारी का अपमान होगा ,उसका तिरस्कार होगा, तब -तब अधर्मियों और अनाचारियों का नाश होना निश्चित है। भगवान श्री राम के चरित्र का वर्णन करने में तो बड़े - बड़े विद्वान दांतों तले अंगुली दबा लेते है। उनका धरती पर राम रूप में अवतार प्रत्येक मनुष्य के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। रावण के अत्याचारों से जब समस्त संसार त्राहि-त्राहि करने लगा। तब श्री हरि विष्णु ने राम रूप धारण करके धरती पर प्रकट हुए। उनकी सदैव ही यह रीति रही है, प्राण जाए पर वचन न जाये।
जब श्री राम ने वनवास के लिए प्रस्थान किया तब उनके मष्तिस्क पर जरा भी शिकन नही थी। उन्होंने बिना कोई प्रश्न किये अपने पिता व माता की आज्ञा का पालन किया। अपने इस कार्य द्वारा उन्होंने समस्त मानव जाती को यह शिक्षा दी है कि माता पिता की आज्ञा का पालन सदैव करना चाहिए। जो मनुष्य अपने माता-पिता का अनादर करते है, वे मनुष्य कभी भी ईश्वर की कृपा नहीं पाते है। वनवास में श्री राम ने अनेक कठिनाईयों का सामना एक सामान्य पुरुष की भांति, जीवन के सभी संघर्षों को अपनाया। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम हमारी संस्कृति और हम भारतीयों की अमिट पहचान हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जीवन से प्रत्येक मनुष्य को दुःख की घडी में भी संयम से जीवन जीने की कला सीखनी चाहिए और मन की शांति के हर मर्यादा को ग्रहण करने का प्रयास करना चाहिए। इसीलिए हिंदुओं के आराध्य राम के जन्मोत्सव का पर्व देश में काफी धूम-धाम से मनाया जाता है।
संसार में धर्म की पुनः स्थापना के लिए मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्रीं राम का अवतार चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन ही हुआ था। जिसके कारण इस दिन को राम नवमी के रूप में मनाया जाता है और इसे धर्म की अधर्म पर जीत का आरंभ माना जाता है। रामनवमी के त्यौहार का महत्व सनातन धर्म में हमेशा ही महत्वपूर्ण रहा है। इस पर्व के साथ ही माँ दुर्गा के नवरात्री का समापन भी होता है। हिन्दू धर्म में रामनवमी के दिनव भगवान राम की अराधना होती है, वहीं नवरात्री का नौवें दिन होने के कारण इस दिन कई घरों में कन्या पूजन के रूप में आदि शक्ति दुर्गा की भी उपासना की जाती है। इस वार राम नवमी 30 मार्च की हैं। इस दिन हर श्रद्धालु राम की भक्ति में आस्था की डुबकियां लगाता है। राम नवमी के दिन चैत्र नवरात्री का समापन भी होता है। इसलिए यह दिन धार्मिक दृष्टि से खासा महत्वपूर्ण होता है। वहीं दक्षिण भारत में राम नवमी का पर्व भगवान राम और माता सीता के विवाह के रूप में मनाया जाता है, जिसे ‘कल्याणोत्सव’ कहा जाता है।
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