राजकुमार गुप्ता
मथुरा।।भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में चारों तरफ होली की जबरदस्त धूम रही।अपने आराध्य का दर्शन करने के लिए दुनियाभर से श्रद्धालु पहुंचे।श्रद्धालुओं ने होली उत्सव का जमकर आनंद उठाया।इसके साथ ही बृषभान नंदनी के निज धाम बरसाना होली के धमार का समापन बुधवार को 'जो जीवैगो सो खेलेगौ, ढप धर दै यार गई अगले बरस की' पद के साथ हो गया। पद के अनुसार, समाज गायन में उपयोग आने वाली ढप का वर्णन है। इसमें यह भाव है कि ढप को अब सुरक्षित धर दें, जो अगली साल तक जीयेगा वो इस ढप को बजाएगा।इस दौरान राधारानी ने अपने गर्भगृह से बाहर निकलकर मंदिर परिसर में स्थित सफेद छतरी में विराजमान होकर अपने भक्तों पर कृपा का सागर उड़े़ला।
बता दें कि इस उत्सव की शुरुआत बंसत पंचमी के दिन से होती है और यह उत्सव चालीस दिनों तक चलता है। बरसाना में होने वाली प्रसिद्ध लड्डू व लठामार होली के साथ फाग महोत्सव का शुभारंभ बंसत के दिन लाडली जी मंदिर में ध्वजरूपी डाड़ा गाड़कर किया जाता है। चालीस दिवसीय इस होली महोत्सव के आनंद के रंग में श्रद्धालु बड़े भाव से राधाकृष्ण की इन लीलाओं का आनंद लेते हैं।गोस्वामी समाज के लोगों द्वारा मंदिर परिसर में फाग महोत्सव का अंतिम पद जीवेगो सो खेलेगो गाकर चलीस दिवसीय होली धमार का समापन कर दिया गया। इसके बाद ढप, मृदंग, झांझ आदि को अगले साल के लिए उठाकर रख दिया।शाम पांच बजे बृषभान नंदनी के डोला को सेवायत कंधों पर उठाकर मंदिर परिसर में बनी संगमरमर की सफेद छतरी में विराजमान किया। होली महोत्सव के अंतिम दिन राधाकृष्ण के युगल जोड़ी के दर्शनकर श्रद्धालु अपने आपको कृतार्थ मान रहे थे।
इस दौरान बृषभान नंदनी भी अपने भक्तों पर कृपा का सागर उडे़ल रही थी। शाम सात बजे लाडली जी के डोले को वापस मंदिर में ले जाया गया। इसके उपरांत गोस्वामी समाज की कन्याओं द्वारा आरती की गई। वहीं श्यामा प्यारी के नजदीक से दर्शन करने के लिए श्रद्धालु बेताब नजर आ रहे थे। पूरा मंदिर परिसर राधाकृष्ण के जयघोष से गुंजयमान हो रहा था।
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