उतरौला(बलरामपुर) राजकीय अनुसूचित जाति छात्रावास उतरौला के निर्माण के अट्ठारह वर्ष बीतने के बाद इसके सृजित पद पर शासन ने आज तक तैनाती नहीं की है। सृजित पद पर तैनाती न होने से छात्रावास में रहने वाले छात्रों को बेसिक सुविधाएं नहीं मिल पा रही है।
शासन ने दलित छात्रों को शिक्षण कार्य में आवश्यक सुविधाएं देने के लिए उतरौला तहसील मुख्यालय पर करीब पचासों लाख रुपए की लागत से 17 कमरों का दलित छात्रावास का निर्माण 2005 में कराया। छात्रावास के निर्माण के बाद इसमें अधीक्षक, स्वीपर/चौकीदार व चपरासी के पद सृजित किए गए। उसके बाद छात्रावास का संचालन शुरू कर दिया गया। समाज कल्याण विभाग से संचालित इस छात्रावास में लगभग चौंतीस छात्रों के आवास, रसोईघर, शौचालय निर्मित कराया गया। समाज कल्याण विभाग छात्रों को छात्रावास में प्रवेश के लिए प्रतिवर्ष शैक्षिक सत्र के शुरुआती समय में तहसील उतरौला के सभी विघालय को पत्र भेजता है। उतरौला तहसील क्षेत्र में एक मात्र दलित छात्रावास होने से विघालय के दलित छात्र इसमें प्रवेश लेते हैं। छात्रावास में प्रतिवर्ष छात्रों के प्रवेश लेने पर उन्हें आवश्यक सुविधाएं नहीं मिलती है। सरकार के छात्रावास के निर्माण के बाद पदों के सृजन के अटठारह वर्ष बीतने पर अभी तक इसके पदों पर सरकार ने अधिकारियों की तैनाती नहीं की है। सरकार के इस छात्रावास के उपेक्षा के कारण इसके संचालन के लिए बजट तक नहीं देती है। हालत यह है कि इस छात्रावास के बिजली की वायरिंग काफी खराब हो गई है। छात्रावास के पानी का समुचित निकास न होने से इसके शौचालय का टैंक प्रतिवर्ष भर जाता है। भवन की रंगाई पुताई वर्षों से नहीं कराई गई है। छात्रावास के रखवाली के लिए विभाग निजी गार्ड का सहारा लेता है। जिला समाज कल्याण अधिकारी एम पी सिंह ने बताया कि छात्रावास के निर्माण होने के बाद से इसके सृजित पद पर अधिकारियों की तैनाती शासन ने नहीं की है। इसके संचालन का कार्य विभाग में कार्यरत एक कनिष्ठ लिपिक को सौंप रखा गया है। शौचालय के टैंक के भर जाने पर प्रतिबर्ष सफाई निजी पैसे खर्च कर करा दी जाती है।
सरकार से छात्रावास के लिए बजट न मिलने से इसके मरम्मत समेत तमाम कार्य नहीं हो पाते हैं।
असगर अली
उतरौला
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