जौनपुर। तहसील व थाना दिवस पर कईअर्जियों के बाद भी बृद्ध को नहीं मिला न्याय
महज खानापूर्ति बनकर रह गया तहसील व समाधान दिवस
खुटहन ( जौनपुर। शासन की मंशा के अनुरूप अधिकारियों और कर्मचारियों का सहयोग न मिलने के कारण तहसील व थाना दिवस महज खानापूर्ति बनकर रह गया है। फरियादी जब अपना शिकायती पत्र देता है तो उसे तहसील से थाना, वहां से कांस्टेबल व लेखपाल के पास पहुंचते पहुंचते वह रद्दी कागज का ढेर बनकर रह जाता है।
जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण शनिवार को आदिनाथपुर गांव में एक बृद्ध के साथ देखा गया। वह थाने पर आयोजित समाधान दिवस पर शिकायत लेकर आया था। उसका आरोप था कि पट्टीदार से बीस वर्षों पूर्व हुए समझौते के तहत बंटवारा की गई आबादी की भूमि पर दूसरे पक्ष ने छह माह पहले अवैध रूप से जबरन कब्जा जमा लिया। आरोप है कि उसने यह शिकायत तहसील व थाना पर दर्जन से अधिक बार किया। लेकिन उसे न्याय नहीं मिला। इस बार भी समाधान दिवस पर उसे न्याय नहीं मिल सका। थक हार मायूस होकर पीड़ित घर को लौट गया। गांव निवासी निरमोही यादव और उनके पट्टीदारों के बीच वर्ष 2003 में ग्रामीणों के द्वारा पंचायत कर आपसी सहमति से भूमि, मकान व अन्य चल अचल संपत्तियो का बंटवारा किया गया था। पंचों का निर्णय बकायदा सुलहनामा बनाकर स्टांप पेपर पर लिख दिया गया था। पीड़ित निरमोही का आरोप है कि समझौता के बीस वर्ष बीत जाने के बाद लगभग छह माह पूर्व पट्टीदारों के द्वारा पहले उसके मकान को कब्जाया गया। वह बगल छप्पर बनाकर गुजारा करने लगा। कुछ दिनों बाद जन बल में मजबूत पट्टीदारों ने उसके हिस्से की भूमि के छप्पर में गिट्टी बालू व अन्य सामान रख अवैध कब्जा जमा लिया। आरोप है कि वह जब भी छप्पर खाली करने को कहता है तो उसे मारने को दौड़ा लेते हैं। न्याय की आस लेकर लगातार तहसील व समाधान दिवस पर प्रार्थना पत्र दे रहा हूं। अब उम्र अधिक होने से पैर थक जाते हैं। आते जाते सांसें भी फूलने लगती है। प्रतीत होता है कि जीते जी न्याय ही नहीं मिल सकेगा। प्रभारी निरीक्षक इंस्पेक्टर राजेश यादव ने बताया कि भूमि विवाद का मामला होने के चलते पुलिस भी विवश हो जाती है।
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