मंगलवार की शाम को जहां एक तरफ होलिका दहन की तैयारियां शुरू हुईं वहीं दूसरी तरफ मुसलमानों ने शब-ए-बरात मनाया। शब-ए-बरात की इबादत करने के लिए ग्रामीण इलाकों सहित शहर भर में मस्जिदों और घरों में रात भर अल्लाह की इबादत कर गुनाहों की माफी मांगी। कब्रिस्तानों और मजारों पर लोगों ने अपने पूर्वजों की मगफिरत की दुआ मांगी।
*नफिल नमाजे पढ़ीं और पवित्र कुरान की तिलावत करते रहे*
शब-ए-बरात की रात अकीदत के साथ गुजरी। अकीदतमंदों ने सारी रात गुनाहों की माफी मांगी और मजारों पर फातिहा पढ़ी। मंगलवार को शब-ए-बरात पर शहर भर में महफिलों का दौर चल रहा था, वहीं दूसरी तरफ घर, पकवानों की खुशबू से महक रहे थे। घरों में मीठे पकवान पकाए गए। खास कर तरह तरह के हलवे बनाए गए। उस पर पुरखों की याद में नज्र कराई गई।
हर किसी के लब पर यही दुआ जारी रही कि या परवरदिगार हमारे गुनाहों को बख्श दे। हमारे ऊपर रहमत अता कर।
*शिया समुदाय के लोगों ने 12 वें इमाम मेहंदी के विलादत का जश्न मनाया*
शिया समुदाय ने इस शब को 12वें इमाम मेहंदी की विलादत का जश्न मनाया। फातिहा पढ़कर गरीबों में खाना और वस्त्र भी वितरित किया गया। सभी कब्रिस्तान पहुंचे और अपने पूर्वजों की याद में फातिहा पढ़ी। इस अवसर पर कई जगह महफिलें भी हुईं। शिया समुदाय के लोगों ने सुबह की नमाज पढ़ने के राप्ती नदी व मधुपुर नहर में अर्जी भी डाली।
जो लोग नदी नहीं पहुंच सके वे करबला व अपने घर के पास के ही तालाब में अपनी अर्जी डालकर परवरदिगार से रहमत, रोज़ी रोजगार, और खैर ओ बरकत की दुआएं मांगीं।
असगर अली
उतरौला
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