राजकुमार गुप्ता
आगरा।। भारतीय सविधान के रचयिता, भारतरत्न, असहायों के भाग्यविधाता,ओजस्वी लेखक, पत्रकार, सम्पादक,अर्थशास्त्री एवं अद्वितीय प्रतिभा के धनी, राजनीतिज्ञ, समाजसेवी, समाज सुधारक, देश के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री,भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माता, दलित शोषित पीड़ित वर्ग एवं वंचितो के मसीहा, सामाजिक न्याय के प्रणेता, देश को नई दिशा देने वाले, शोषित, वंचित, गरीब, दलितों के ग्रेट लीडर, द नॉलेज ऑफ सिंबल, भारत रत्न बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी राष्ट्र की तरक़्क़ी हेतु हमें डॉ बाबा साहब के विचारों की बहुत आवश्यकता हैं, उनकी सोच सबके प्रति समान हैं। उन्होंने अंतिम सांस तक समाज में हर वर्ग को समानता दिलाने के लिए जीवन भर कठिन संघर्ष किया।
आज हमें सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ना चाहिए। आज आप सब की जिम्मेदारी है कि हम एक दूसरे की मदद करें और देश को उन्नति एवं विकास के पथ पर आगे बढ़ाएं। बाबा साहेब ने घरेलू व आर्थिक परेशानियों के बाद भी अपना सम्पूर्ण जीवन शिक्षा, ज्ञान और असहाय लोगो को अर्पित किया। विदेशों में अंग्रेज बाबा साहेब को सिम्बल ऑफ़ नॉलेज के नाम से भी जाने जाते हैं, और उनकी जन्म जयंती को ज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। सामाजिक समता और सामाजिक न्याय जैसे सामाजिक परिवर्तन के मुद्दों को प्रमुखता से स्वर देने और परिणाम तक लाने वाले प्रमुख लोगों में डॉ भीमराव आंबेडकर जी का नाम अग्रणी है। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन ऊंच-नीच, भेदभाव, छुआछूत के उन्मूलन जैसे कार्यो के लिए समर्पित कर दिया। एक पार्टी ने बाबा साहेब को जीवित रहते वह सम्मान नहीं दिया, जो उन्हें मिलना चाहिए था। उनकी मृत्यु के 4 दशक बाद उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया, लेकिन भाजपा सरकार उनके प्रस्तावों को एक वास्तविकता बनाने के लिए प्रयास कर रही है। बाबा साहेब डॉक्टर भीम राव अंबेडकर की जन्म जयंती पर, हम भारत के लोगों की तरफ से अपनी सामूहिक शक्ति का ये प्रदर्शन, ये संकल्प, उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। मैं बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर को कोटी-कोटी नमन करते हुए उन्हें बारम्बार श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। अंबेडकर जी के ही प्रयासों का प्ररिणाम है न केवल भारत में बल्कि पूरे दुनिया में सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठी। आज देश के करोड़ो दलितों, आदिवासियों, पिछड़ो और दूसरे उपेक्षित वर्गों के मसीहा और संविधान के निमार्ता डॉ बीआर अंबेडकर जी की 132वी जयंती इस साल 14 अप्रैल को आने वाली है। सिम्बल ऑफ नॉलेज ने वर्षों पूर्व में कहा था कि महान आदमी एक आम आदमी से इस तरह से अलग है कि वह समाज का सेवक बनने को तैयार रहता है। ऐसे महान विचारों के धनी थे बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर जी, जिन्होंने समाज मे फैली जातपात छुआछूत के ख़िलाफ़ जीवन भर संघष किया और दलित पिछड़े आदिवाशी व असहायों के हितों को ध्यान में रखते हुए ग्रेजुएट बनों संगठित रहो, संघर्ष करो का नारा दिया। बाबा साहब के चिंतन और विचारों में देश सबसे ऊपर हैं। एक दूसरे के साथ भाईचारे से रहे तभी देश की तरक्की हो सकती है। शिक्षा हर व्यक्ति के जीवन का महत्वपूर्ण आधार होना चाहिए। बाबा साहेब का संघर्ष सम्पूर्ण विश्व के लोगों के लिए एक मिसाल हैं। बाबा साहब के चिंतन और विचारों में देश सबसे ऊपर हैं। हम कभी भी बाबा साहब के त्याग और बलिदान को भुला नहीं सकते। हम सब भी उनके विचारों को अपनाकर बाबा साहब की तरह विश्व मे महान बन सकते हैं।
बाबा साहब मूर्तियों में नहीं क़िताबों में हैं, उन्हें पूजने की नहीं, ध्यान से पढ़ने की ज़रूरत हैं। राष्ट्र की तरक़्क़ी हेतु हमें डॉ बाबा साहब के विचारों की बहुत आवश्यकता हैं, उनकी सोच सबके प्रति समान हैं। बाबा साहब ने अपना पूरा जीवन गरीबों, कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए न्योछावर कर दिया। बाबा साहब ने समाज में हर वर्ग को समानता दिलाने के लिए जीवन भर कठिन संघर्ष किया। खैर, भटक गये लोग भूल गए बाबा साहब का सन्देश, शिक्षित बनो नेक बनो फिर बनो एक और एक दूसरे के साथ भाईचारे से रहे, तभी देश की तरक्की हो सकती है। शिक्षा हर व्यक्ति के जीवन का महत्वपूर्ण आधार होना चाहिए। क्योंकि बाबा साहेब का संघर्ष सम्पूर्ण विश्व के लोगों के लिए एक मिसाल हैं। बाबा साहब के चिंतन और विचारों में देश सबसे ऊपर हैं। हम कभी भी बाबा साहब के त्याग और बलिदान को भुला नहीं सकते। हमारा संविधान जीवन का माध्यम है, कागज़ों का पुलिंदा नहीं है। देश के विकास के लिए हम सब भारतीय हैं और हमें मिलजुल कर देश को बढ़ाने के लिए प्रयास करना चाहिए। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने अपने विचारों से लोगों को सशक्त बनाया। बुद्धि का विकास मानव के लिए सशक्त अस्त्र होना चाहिए। देश के विकास से पहले अपनी बुद्धि के विकास की आवश्यकता है। उन्होंने पुरुष के साथ महिलाओं के भी विकास की आवश्यकता पर भी बल दिया। हमें आज डॉ अंबेडकर जी के विचारों की बहुत आवश्यकता है। बाबा साहब की जो सोच थी, वह सबके प्रति समान थी। उनके संविधान में सभी को समानता प्रदान की है। बाबा साहब ने विश्व के अच्छे से अच्छे विचारों को अपने संविधान में रखा हैं। बाबा साहब बुद्ध से प्रेरित थे। वे मानते थे कि आज समाज में एकता तभी आ सकती है, जब सभी के प्रति प्रेम और बंधुत्व का भाव रखा जाए और कमजोरों की सहायता की जाए। अंबेडकर जी के विचारों के अनुरूप हम लोग समाज सेवा का व्रत लें और समाज को अंबेडकर जी की सोच के अनुरूप बनाएं। बाबा साहब का पढ़ाई के प्रति बहुत रुझान था। वे सभी को पढ़ने के लिए सदैव प्रेरित करते थे। हम सब भी उनके विचारों को अपनाकर बाबा साहब की तरह बड़े बन सकते हैं। मानव जाति के सभी लोग तर्क कर सकते हैं प्रश्न कर सकते हैं। बाबा साहब में संविधान और प्रकृति में समानता हैं,आज सकारात्मकता का समय है।
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