जर्जर पड़े स्कूल भवनों के चलते कभी भी नौनिहालों के जीवन को खतरा हो सकता है। इन स्कूलों की नीलामी कर इन्हें ढहाए जाने की रुपरेखा तीन साल पहले बनी थी लेकिन इसे अमल में आज तक नहीं लाया गया। उतरौला विकास खंड मेंं ऐसे जर्जर स्कूल भवनों की संख्या आठ है। क्षेत्र के जर्जर स्कूल भवनों का चिन्हांकन विभाग ने बीडीओ, लेखाधिकारी व एबीएसए की तीन सदस्यीय समिति से कराया था। समिति ने प्राथमिक विद्यालय लाल नगर विरदा प्रथम, मसीहाबाद, सकड़रिया, रेन्डवलिया, कन्या विद्यालय उतरौला, बढ़या पकड़ी व उच्च प्राथमिक विद्यालय रमवापुर कला के आठ जर्जर भवनों के मलबे के मूल्यों का मूल्यांकन किया और उसकी रिपोर्ट बीएसए को भेज दिया। उस रिपोर्ट पर जर्जर भवन की नीलामी की तिथि तीन बार तय की। आखिरी बार जून 2022 में नीलामी तिथि निश्चित की गई। नीलामी तिथि को भी जर्जर भवन मलबे की नीलामी नहीं हो सकी। आरोप है कि गठित समिति ने जर्जर भवन के मलबे का मूल्यांकन काफी अधिक कर दिया। इससे कोई खरीददार जर्जर भवनों के मलबे की नीलामी नहीं ले सका। एबीएसए सतीश कुमार ने बताया कि जर्जर भवन के मलबे के नीलामी के लिए अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। उच्च अधिकारियों के निर्देश पर पुनः नीलामी के लिए तिथि निश्चित की जाएगी।
असगर अली
उतरौला
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