बौर लगते समय आम के बाग में सबसे अधिक ध्यान रखना चाहिए:- कृषि वैज्ञानिक
*आम के बाग में सबसे अधिक ध्यान बौर लगते समय रखना चाहिए*
बहराइच आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के कुलपति प्रो० बिजेंद्र सिंह एवं प्रसार निदेशक प्रो ए पी राव के कुशल नेतृत्व में नानपारा कृषि विज्ञान केंद्र,के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ के एम सिंह ने बताया कि आम के बाग में सबसे अधिक ध्यान बौर लगते समय रखना चाहिए l इन्हीं एक-दो महीने में बाग की देख-रेख करके किसान अच्छा उत्पादन पा सकते हैं। फरवरी व मार्च माह में मौसम परिवर्तन होने से कीट-रोग भी बढ़ने लगते हैं। डॉ के एम सिंह ने कहा की इस समय अधिक फूल से फल बनने के लिए एन.पी.के.(0:52:34) @ 10 ग्राम एवं बोरान @ 0.75 ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर स्प्रे करें। केंद्र की पौध संरक्षण वैज्ञानिक डॉ. हर्षिता ने कहा कि इस समय रोगों से बचाव के लिए उचित प्रबंध कराना अति आवश्यक है।
आम के बौर में लगने वाला भुनगा एक खतरनाक कीट होता है जो बौर एवं पत्तियों और फलों के मुलायम हिस्सों के रस का आस्वादन करते हैं l जिससे बौर कमजोर होकर गिरने लगता है।
भुनगा कीट से एक चिपचिपा द्रव्य निकालता है, जिस पर काली फफूंद लग जाती है। भुनगा कीट का फरवरी से अप्रैल महीने तक ज्यादा प्रकोप रहता है। इस कीट का प्रकोप दिखाई देते ही इमिडाक्लोप्रिड 1 मिली प्रति ली. पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
पाउडरी मिल्ड्यू की रोकथाम हेतु घुलनशील गंधक 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर या हेक्साकोनाजोल के 0.1 प्रतिशत घोल को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। यदि गुजिया कीट पत्तियों और बौर पर दिखायी दे, तो इनके प्रबंधन के लिए कार्बोसल्फान 25 ई.सी. का 2 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। उन्होंने बताया कि आम का पुष्प गुच्छ मिज सबसे ज्यादा नुकसान बौर और छोटे फलों को पहुंचाते हैं। इस कीट के लक्षण बौर के डंठल, पत्तियों के शिराओं या तने पर कत्थई या काले धब्बे के रूप में दिखायी देते हैं, जिसके मध्य में छोटा सा छेद होता। प्रभावित बौर व पत्तियों का आकार टेढ़ा-मेढ़ा हो जाता है। इस कीट के नियंत्रण के लिए डायमेथोएट (30 प्रतिशत सक्रिय तत्व) 2.0 मिली प्रति लीटर पानी की दर से स्टिकर (1 मिली प्रति लीटर पानी) के साथ छिड़काव करें।
झुलसा रोग का प्रकोप हवा में 80 प्रतिशत आर्द्रता या फिर बारिश होने से नमी बढ़ने के अधिक होता है। इसका लक्षण दिखाई देने पर मेन्कोजेब + कार्बेन्डाजिम के 0.2 % घोल (2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करना चाहिए।
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