उतरौला(बलरामपुर) होली पर घर घर व्यंजन बनते हैं क्षेत्र के शहरी व ग्रामीण बाजारों में भी तरह तरह की गुझिया व मिठाइयां बनने का कार्य हफ्तों पहले से शुरू हो जाता है।इसी में मिलावटखोर भी सक्रिय रहते हैं।
ऐसे में खरीदारी के समय होशियार रहें,कहीं ऐसा न हो कि यह चमकदार गुझिया और मिठाई आपकी सेहत खराब कर दे।क्योंकि इस समय बाजार में होली पर मोटी कमाई के लिए आलू,शकरकंद,व सस्ते चावल से भी मिलावटी खोवा तैयार किया जा रहा है।इस खोवे से बनने वाली मिठाई ग्रामीण व शहरी इलाकों में सस्ते भाव से बेची जाती है।
ग्रामीण अंचल में सस्ती मिठाई खपाने वाले मिलावटखोर जमकर अंधेरगर्दी कर रहे हैं।खोवे से बनी बर्फी व अन्य मिठाइयों पर चांदी का वर्क लगाकर सस्ती मिठाई बेच रहे हैं।होली का मुख्य पकवान गुझिया होता है अधिकतर लोग बाजार से खोवा खरीदकर घर में गुझिया बनाते हैं।होली के मौके पर खोवे की मांग बढ़ने की वजह से मिलावटी खोवा जमकर बेचा जाता है बाजार में अगर खोवा 200से 250किलो तक बेचा जा रहा है तो इसका मतलब खोवे में मिलावट है। हलवाइयों की माने तो 5से6लीटर असली दूध से करीब एक किलो खोवा मिलता है।इस तरह से अगर 200से 250 रूपए किलो खोवा आपको बिकता मिले तो समझिए की खोवा मिलावटी हो सकता है।
असगर अली
उतरौला
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