पत्रकारिता के पेशे में आपराधिक छवि के लोगों की एंट्री के बाद समाज में पत्रकारों की छवि नकारात्मक बनती जा रही है। स्वच्छ छवि के पत्रकार अब अपनी पहचान छिपाकर अपना कर्तव्य निभा रहे हैं क्योंकि कलम के सच्चे सिपाही निष्पक्ष पत्रकारिता के जरिए सच्चाई को दुनिया के सामने दिखाने का काम करते हैं। अपराधियों को सजा दिलाने व भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारियों के कारनामों का बेखौफ होकर प्रकाशित करते हैं। ऐसे पत्रकारों के कारण ही पत्रकारिता को चौथा स्तंभ कहा गया है। अब इस पेशे में अपराधी प्रवृति के लोगों के इस पेशे में आने के बाद अधिकारियों की ब्लैकमेलिंग, निर्धन तबकों का उत्पीड़न करते रहते हैं। ऐसे लोगों ने तथाकथित पत्रकारिता की आड़ में पैसे कमाने का आसान तरीका ढूंढ लिया है। नियंताओं को हजार रुपये देकर आईडी कार्ड, माइक लेकर थाना,चौकी कोतवाली व पुलिस प्रशासन के लोगों से मिलकर अपना धंधा शुरू कर देते हैं उन्हें केवल पैसे कमाने से मतलब है कोई भी गरीब परिवार या निर्दोष होने के बावजूद भी पत्रकार उनके पर खबर चलाने से नहीं चूकते हैं। अधिकांश ऐसे तथाकथित पत्रकारों पर आपराधिक मामले भी दर्ज हैं लेकिन मीडिया की आड़ लेकर गैरकानूनी काम करने के साथ पेड़ों की कटान जैसे समाज विरोधी कृत्यों में निरंतर लिप्त रहते हैं।
असगर अली
उतरौला
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