राजकुमार गुप्ता
 मथुरा।।
वृन्दावन।छटीकरा रोड़ स्थित श्रीकपिल कुटीर सांख्य योग आश्रम में चल रहे ठाकुर श्रीराधिका बिहारी जू महाराज के 18वें त्रिदिवसीय पाटोत्सव एवं होली महोत्सव के समापन पर महामंडलेश्वर साध्वी राधिका साधिका पुरी (जटा वाली मां) ने भक्तों-श्रृद्धालुओं को प्रवचन देते हुए कहा कि कपिल कुटीर सांख्य योग आश्रम की परंपराएं अत्यंत प्राचीन व समृद्ध हैं।इसकी स्थापना आज से लगभग 90 वर्ष पूर्व ब्रह्मलीन साध्वी गोपी वाला मां के द्वारा की गई थी।वे सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार व प्रभु भक्ति में आजीवन लीन रहीं। साध्वी मां अत्यंत विलक्षण व चमत्कारिक संत थीं।वे अपने पास आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की समस्या का हरण अपने कमंडल का जल छिड़क कर तत्काल कर दिया करती थीं।उन जैसी विभूतियां अब इस संसार में नहीं हैं।
ब्रज साहित्य सेवा मंडल के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि श्रीकपिल कुटीर सांख्य योग आश्रम धर्म व अध्यात्म जगत का प्रमुख केंद्र है।इसकी प्रतिष्ठा समूचे देश में है।इस आश्रम के द्वारा श्रीकृष्ण भक्ति की लहर को समूचे देश में प्रवाहित किया गया है।
चिंतामणि कुंज के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. आदित्यानंद महाराज ने कहा कि श्रीकपिल कुटीर सांख्य योग आश्रम की अधिष्ठात्री ब्रह्मलीन साध्वी गोपी वाला मां, ब्रह्मलीन स्वामी गोकुलानंद महाराज व ब्रह्मलीन स्वामी कपिलानंद महाराज आदि जैसी विभूतियों से ही पृथ्वी पर धर्म व अध्यात्म का अस्तित्व है।
प्रमुख समाजसेवी देवीसिंह कुंतल व रामदेव सिंह भगौर ने कहा कि हमारी सदगुरुदेव महामंडलेश्वर साध्वी राधिका साधिका पुरी (जटा वाली मां) श्रीकपिल कुटीर सांख्य योग आश्रम की परम्पराओं का आज भी अत्यंत कुशलता के साथ निर्वाह व संवर्धन कर रही हैं।इस आश्रम के द्वारा लोक कल्याण के जो विभिन्न सेवा प्रकल्प संचालित किए जा रहे हैं, वे अति प्रशंसनीय हैं।
इसके साथ ही विश्व कल्याणार्थ चल रहे वृहद यज्ञ में तमाम संतों, विप्रों व भक्तों - श्रृद्धालुओं ने पूर्णाहुति दी।सायंकाल सरस भजन संध्या का आयोजन सम्पन्न हुआ।जिसमें अनेक ख्यतिनामा भजन गायकों ने श्रीराधा कृष्ण की महिमा एवं होली से सम्बन्धित भजनों, पदों व रसियों आदि का गायन कर सभी को भाव-विभोर कर दिया।इस अवसर पर रंग-गुलाल व फूलों की होली भी खेली गई।
महोत्सव में ब्रजभूमि कल्याण परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ युवा साहित्यकार डॉ राधाकांत शर्मा, भागवताचार्य साध्वी आशानंद शास्त्री,साध्वी पूर्णिमा साधिका, साध्वी नमिता साधिका, पवन गौतम, पप्पू सरदार, पुरुषोत्तम गौतम, राजकुमार शर्मा, राजू शर्मा, स्वामी भुवनानंद महाराज, स्वामी पूर्णानंद महाराज एवं स्वामी आत्मानंद महाराज आदि की उपस्थिति विशेष रही।संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।

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