उतरौला(बलरामपुर) फलों के राजा आम व लीची में अबकी बार आए बौर को देखकर बाग मालिक फूले नही समाते थे।उम्मीद बनी थी कि हर व्यक्ति को आम व लीची का स्वाद चखने को जरूर मिलेगा।लेकिन गत दिनों आई तेज आंधी के साथ बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने अरमानों पर पानी फेर दिया।कुदरत के मार से आम व लीची के बौर काले हो गए हैं,आम के बौर में न तो टिकोरा दिख रहा है और न ही फल की कोई उम्मीद नजर आ रही है।ऐसे में बागवान मालिकों के माथे पर चिंता की लकीरें खिच गईं हैं।खासकर उन लोगों के दिन का चैन और रात का नींद हराम हो गई है जिन्होंने सरकारी व गैर सरकारी आम व लीची के बागानों की नीलामी ली है।अब वह इस नुकसान की भरपाई कैसे करेगें यह सोचकर उनको चिंता खाए जा रही है।क्षेत्र में तकरीबन हजारो हेक्टेयर आम व लीची का बगीचा है इनमें दशहरी,गौर जीत,कपूरी,लंगड़ा,दलमा सहित देशी प्रजातियों के पेड़ हैं।आम के शुरूआती सीजन में मौसम भी साथ था और बौर भी खूब आया बौर से आम व लीची की डालियां लद गई थी।इसे देखकर बागवान मालिकों ने चूना और दवा का छिड़काव भी करा दिया था लेकिन अचानक तेज आंधी के साथ बारिश ओलावृष्टि ने उनके सजोए सपनों को तार तार कर दिया।कुदरत की मार से उनकी फसल तबाह हो गई बौर पूरी तरह से काले हो गए हैं बागवानों की स्थिति इतनी खराब हो गई कि उसमें लगाई गई पूंजी निकालना मुश्किल हो गया है।
कृषि विशेषज्ञ डा०जुगुल किशोर बताते हैं कि यह कोई बीमारी नही है बल्कि बारिश व ओलावृष्टि का असर है बौर में दाने पड़ने के दौरान बारिश व ओला काफी खतरनाक होता है।उन्होंने बताया कि आम व लीची में जो दाने शेष हैं उसे बचाने के लिए मैकोजेब 75प्रतिशत डब्ल्यूपी एक ग्राम एक लीटर पानी में क्लोरो पायरीफास एक एम एल एक लीटर पानी कापर आक्सी क्लोराइड 50प्रतिशत डब्ल्यूपी एक ग्राम, पानी में घोल बनाकर आम व लीची के बौर पर छिड़काव करने से दाने सुरक्षित हो जाएगें और फंगस की बीमारी से भी निजात मिल जाएगी।
असगर अली
उतरौला
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know