जौनपुर। संस्कृति पर आधारित थी प्राचीन शिक्षा- मनोज कांत

जौनपुर। तिलकधारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, में समाजशास्त्र विभाग व प्रज्ञा प्रवाह द्वारा सयुक्त तत्वाधान में संगोष्ठी आयोजित की गई, जिसका शीर्षक स्वाधीनता से स्वतंत्रता की तरफ स्व का जागरण पर आधारित था। मुख्य वक्ता क्षेत्रीय सह प्रचार प्रमुख   मनोज कांत रहे, 
       
कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर प्रकाश सिंह ने किया। मुख्य वक्ता मनोज कांत ने कहा कि भारतीय संस्कृत वसुधैव कुटुंबकम की परंपरा पर संपूर्ण विश्व का मार्गदर्शन करने का सामर्थ्य रखती है, उन्होंने कहा कि हम स्वाधीन तो हुए परंतु शासन प्रशासन में स्वतंत्र का अभी भी अभाव है, समाज को दिशा देने वाली शिक्षा पर बोलते हुए उन्होंने कहा, कि वर्तमान शिक्षा प्रशासनिक तंत्र पर आधारित है और हमारी प्राचीन शिक्षा संस्कृति पर आधारित थी, इसलिए उसमें समर्पण था और आज तंत्र पर आधारित है इसलिए समर्पण की इसमें कमी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. प्रकाश सिंह ने कहा कि वर्तमान समाज के लोगों में स्वतंत्र रहते हुए अपने देश और संस्कृति के प्रति आत्मचिंतन एवं आत्मासात करने की जरूरत है तभी स्वाधीनता से स्वतंत्रता का स्वरूप परिलक्षित होगा। विषय प्रवर्तन करते हुए पूर्व प्राचार्य डॉ राधेश्याम सिंह ने कहा कि आज वर्तमान में भारत देश की जो संस्कृति विरासत के रूप में मिली है उसमें हमारे पूर्वजों का बहुत बड़ा योगदान है। आए हुए अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए प्रबंधक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि आज हमें अपनी संस्कृति एवं सभ्यता से सीख कर उस पर जीने की दृढ़ इच्छा जरूरी है। प्रबंधक ने आए हुए अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। आए हुए अतिथियों का स्वागत प्राचार्य प्रो. आलोक कुमार सिंह ने किया, सभी अभ्यागतो का परिचय कार्यक्रम के संयोजक डॉ. हरिओम त्रिपाठी ने किया। संपूर्ण कार्यक्रम समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. राजीव रतन सिंह के नेतृत्व में संपन्न हुआ।

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