उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज जनपद गोरखपुर में योगीराज बाबा गम्भीरनाथ प्रेक्षागृह एवं सांस्कृतिक केन्द्र में रेशम कृषि मेला-2023 का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर उन्होंने 11.38 करोड़ रुपये की लागत से 18 चाकी कीटपालन भवनों, 36 सामुदायिक भवनों और 09 धागाकरण मशीन शेड का लोकार्पण व शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री जी ने 10 लाभार्थियों को रेशम कीटपालन गृह के लिए अनुदान राशि का वितरण भी किया।
शुभारम्भ कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज रामनवमी का पावन पर्व है। बासंतिक नवरात्रि में 09 दिनां तक जगत जननी माँ भगवती के 09 रूपों की पूजा अनुष्ठान के साथ सम्पन्न हुई। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के पावन जन्म उत्सव के साथ हम सबको जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ है। यह पर्व आपके जीवन में सदैव उत्साह, उमंग पैदा कर सके।
विकास के लिए सम्भावनाओं के अनुरूप योजना तैयार करने की आवश्यकता है। सम्भावनाओं के परिदृश्य में भारत में सबसे बड़ी आबादी के राज्य उत्तर प्रदेश की अपनी विशिष्टता है। उत्तर प्रदेश, देश का सबसे बड़ा खाद्यान्न उत्पादक राज्य है। कुल कृषि योग्य भूमि का 11 से 12 फीसदी प्रदेश में होने के बावजूद देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में राज्य की हिस्सेदारी 20 फीसदी से अधिक है। यह प्रदेश के सामर्थ्य और कृषि की उर्वरता को प्रदर्शित करता है, प्रदेश के पर्याप्त जल संसाधन को प्रस्तुत करता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी का मानना है कि अन्नदाता किसान की आमदनी को बढ़ाये बगैर हम भारत को समृद्धशाली नहीं बना सकते। अन्नदाता की आय बढ़ाने के लिए हमें प्रति व्यक्ति आय पर फोकस करना होगा। नए तरीके अपनाने होंगे। प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने की दिशा में प्रयास करेंगे, तो उसके परिणाम भी हम सबके सामने आयेंगे।
परम्परागत खेती हमारी पहचान है। हम लोग नेचुरल फार्मिंग द्वारा फर्टिलाइजर, केमिकल, पेस्टीसाइड रहित विषमुक्त खेती की तरफ बढ़ रहे हैं। खेती अतिरिक्त आमदनी का भी एक माध्यम बने, इसके लिये किसान खेत की मेड़ का बेहतर उपयोग कर सकते हैं। किसान अपने खेत की मेड़ पर शहतूत के पौधे लगाने का कार्य करते हुए उसकी देखभाल करे, तो रेशम उत्पादन में उनकी बड़ी भूमिका हो सकती है। रेशम कीटपालन से वे अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं। प्रति एकड़ 80 हजार से लेकर सवा लाख रुपये प्रतिवर्ष अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।
प्रदेश की आवश्यकता 3,000 टन रेशम की है, लेकिन उत्पादन होता है 350 टन। रेशम उत्पादन करने वालों के लिए प्रदेश एक बहुत बड़ा बाजार है। इस बाजार के लिए रेशम उत्पादन करना प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भरता के संकल्प के साथ जुड़ना है। प्रदेश में 09 क्लाइमेटिक जोन हैं, जिनमें अलग-अलग फसलें अलग-अलग समय में लहलहाती हैं। यह फसलें अन्नदाता किसानों की आमदनी को कई गुना बढ़ाती हैं। जलवायु जोन के अनुरूप ही हमें रेशम उत्पादन के क्षेत्रों को चिन्हित करना पड़ेगा। इस दिशा में सरकार ने प्रयास किये हैं। तराई क्षेत्र की भूमि रेशम उत्पादन के लिए सबसे उपयुक्त पायी गई है। 60 टन रेशम उत्पादन गोरखपुर मण्डल में होता है। इसे बढ़ाकर 600 टन रेशम उत्पादन किया जा सकता है।
प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट योजना’ प्रारम्भ की है। इस योजना को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाकर किसानां की आमदनी को कई गुना बढ़ाना सरकार का लक्ष्य है। इसके माध्यम से प्रदेश को समृद्धशाली बनाकर अर्थव्यवस्था की दृष्टि से देश का अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में सरकार अग्रसर है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वाराणसी रेशम के लिए विश्वविख्यात है। प्रदेश में इस प्रकार के कई कलस्टर पहले से ही उपलब्ध हैं। आजमगढ़ में मुबारकपुर, मऊ, गोरखपुर, खलीलाबाद, अम्बेडकरनगर, लखनऊ, मेरठ भी क्लस्टर के रूप में हैं। यह सब मार्केट रेशम उत्पादन से जुड़े किसानों के लिए हैं। अन्य जगह पर भी आपके लिये मार्केट पहले से तैयार है। भदोही में कारपेट का कार्य हो रहा है, उसमें भी रेशम का उपयोग होता है। रेशम का उत्पादन बढ़ाकर हम दुनिया, खासतौर पर चीन से आने वाले रेशम को रोक सकते हैं।
प्रधानमंत्री जी द्वारा प्रदेश के लिए पी0एम0 मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क स्वीकृत किया गया है। 1100 से 1200 एकड़ भूमि में स्थापित होने वाले मेगा टेक्सटाइल पार्क का लाभ सभी को मिलेगा। किसी भी संवेदनशील सरकार का दायित्व बनता है कि वह बिना भेदभाव के शासन की योजनाआें का लाभ समाज के प्रत्येक तबके को उपलब्ध कराये, जिससे समाज की प्रगति की गति को तेज किया जा सके।
मुख्यमंत्री जी ने रेशम विभाग के स्टॉलों का अवलोकन कर तीनों प्रकार के रेशम शहतूती (गोरखपुर), एरी (कानपुर) व टसर (सोनभद्र) के बनने की सजीव प्रक्रिया की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने टसर रेशम मटका धागाकरण की प्रक्रिया भी देखी। ज्ञातव्य है कि रेशम कृषि मेले का आयोजन केन्द्रीय रेशम बोर्ड, वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार तथा प्रदेश सरकार के रेशम निदेशालय द्वारा किया गया।
इस अवसर पर प्रदेश सरकार के एम0एस0एम0ई0, खादी, ग्रामोद्योग, रेशम, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग मंत्री श्री राकेश सचान ने कहा कि रेशम की खपत उत्तर प्रदेश में बहुत ज्यादा है। जब उत्तराखण्ड राज्य का गठन हुआ, तब प्रदेश में मात्र 22 टन रेशम उत्पादन होता था। आज यह उत्पादन बढ़कर 350 टन हो गया है। हमारा लक्ष्य अगले तीन-चार साल में रेशम उत्पादन दोगुना करने का है।
अपर मुख्य सचिव रेशम विकास डॉ0 नवनीत सहगल ने आयोजन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किसानों की आय बढ़ाने पर मुख्यमंत्री जी का विशेष फोकस है। यह रेशम कृषि मेला किसानों को जागरूक कर उन्हें अतिरिक्त आय अर्जन का विकल्प देने का प्रयास है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के 57 जिलों में रेशम उत्पादन का काम होता रहा है। वैज्ञानिक अध्ययन के बाद अब रेशम उत्पादन को जलवायु अनुकूल 31 जनपदों में गहनता से बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। अभी तक कृषि फार्मों पर ही रेशम उत्पादन अधिक होता रहा है, अब इसे आम किसानों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। किसान अपनी खेती के साथ रेशम कीटपालन भी कर सकते हैं। यह काफी मुनाफे वाली फसल है। उन्होंने बताया कि रेशम के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए वाराणसी में सिल्क एक्सचेंज भी खोला गया है।
इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती साधना सिंह, विधान परिषद सदस्य डॉ0 धर्मेन्द्र सिंह, विधायक श्री राजेश त्रिपाठी, श्री विपिन सिंह, श्री महेंद्रपाल सिंह, श्री प्रदीप शुक्ल, श्री ऋषि त्रिपाठी, विशेष सचिव एवं निदेशक रेशम श्री सुनील कुमार वर्मा, केन्द्रीय टसर रेशम अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान रांची के निदेशक डॉ0 के0 सत्यनारायण, केन्द्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान पाम्पोर (जम्मू एवं कश्मीर) के निदेशक डॉ0 एन0के0 भाटिया सहित प्रगतिशील किसान उपस्थित थे।
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