राजकुमार गुप्ता।।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के बारे में रोज-रोज लिखना मुझे अच्छा नहीं लगता .मोदी जी विकास के लिए  तड़पने वाले नेता हैं. गोदी मीडिया बताता है कि  वे विकास के लिए 90  घंटे में 10800  किमी की यात्रा कर रहे हैं ,फिर भी संसद में विपक्ष माननीय मोदी जी के पीछे हाथ धोकर पड़ा है .लेकिन मुश्किल ये है कि  जब तक मोदी जी को माननीय गौतम अडाणी से अलग नहीं  किया जाता तब तक देश मोदी जी का पीछ छोड़ने वाला नहीं है .
संसद में विपक्ष चाहता कि  मोदी जी अडाणी प्रकरण में कुछ न कुछ बोलें,लेकिन मोदी जी अडाणी उपनाम के पहले अक्षर ' अ ' तक का उच्चारण नहीं कर रहे .मुझे लगता है कि  विपक्ष मोदी के साथ ज्यादती कर रहा है. ज्यादती करने का अधिकार या तो भगवान को होता है या मोदी जी जैसे किसी भाग्यवान का  .विपक्ष ,आप या हम इसके पात्र नहीं हैं,इसलिए हम सबको मोदी-अडाणी प्रकरण भूल जाना चाहिए .दरअसल अडाणी जी मोदी के कंधे पर बेताल की तरह सवार हैं .बेचारे विक्रम यानि हमारे मोदी जी बेताल से जुड़े कितने सवालों का जबाब दें, इसलिए उन्होंने मौन रहने का कठिन व्रत लिया हुआ है .
मौन रहकर संकल्प करना आम आदमी या आम नेता के बूते का काम नहीं है. ये काम केवल और केवल अवतारी पुरुष यानी अपने मोदी जी कर सकते हैं .वे बागेश्वरधाम के धीरेन्द्र शास्त्री की  भांति सबके मन में झांकना जानते हैं जैसे मै बिना झिझक रोज लिखता हूँ वैसे ही माननीय प्रधानमंत्री जी बिना झिझके अपने मन की बात करते हैं.आपका मन रखने के लिए करते हैं .अपने मन से [बिना टेली प्रॉम्प्टर के ] मन की बात करना आसान काम नहीं है .
माननीय मोदी जी और अडाणी जी को अलग करना मेरे बूते का रोग नहीं है,इसलिए मैंने तो कान में रुई लगा दी है .आँखों पर पट्टी बाँध ली है. सभी को ऐसा करना चाहिए ,लेकिन कोई ऐसा कर नहीं रहा.सब मोदी जी के लिए सवालों के पहाड़ खड़े कर रहे हैं .अब  मोदी जी विकास के लिए दिन-रात एक करें या संसद में सवालों का जबाब दें .दो  में से एक ही काम किया जा सकता है. या तो जबाब दिया जा सकता है या देश सेवा के लिए लगातार चुनाव लड़ और जीतकर विश्वगुरू बना जाये .
पिछले आठ साल में माननीय मोदी जी का पुरुषार्थ देखकर मै अभिभूत  हूं. मोदी जी भारत के अब तक के प्रधानमंत्रियों में से अकेले हैं जो अकेले ही सब पर भारी  हैं और अपने कन्धों पर देश के विकास और अडानी जी का विकास करने के लिए अडाणी जी को लादे हुए हैं वे यदि अडाणी जी को कंधे से नीचे उतारते हैं तो देश का विकास रुकता है,गुजराती मित्रता कलंकित होती है .एक तरफ कुंआ है तो दूसरी तरफ खाई है .और मुआ विपक्ष मोदी जी और देश को कुएं और खाई में धकेलना चाहता है .
कांग्रेस के जमाने में कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों के कन्धों पर अनेक अडानी सवार थे ,लेकिन वे गौतम अडानी  आज के गौतम अडानी से इतर थे. आज के अडानी यदि कांग्रेस के जमाने के अडाणियों जैसे होते तो संकट ही पैदा नहीं होता .जैसे टाटा-बिरला और कांग्रेस,वैसे अडानी और भाजपा न हो जाते .अडानी को भागने  या मौन रहने के बजाय मोदी जी की मदद  खुलकर करना चाहिए थी. अडाणी यदि खुद  मोदी जी के कन्धों से उतर कर देश से अपने कुकर्मों या नाकामियों  के लिए देश की जनता से माफी मांग लेना चाहिए थी .सांप भी मर जाता और लाठी भी नहीं टूटती .लेकिन अभी न सांप मरा है और लाठी भी टूट गयी.
अडानी की वजह से मोदी जी को शर्मसार हो रहे  है और अडाणी हैं कि बेशर्मी ओढ़े अपने घर बैठे हैं . अडाणी जैसे दो-चार और उद्यमी मोदी जी कि ऊपर सवार हो जाएँ तो मोदी जी का यानि देश का कचूमर निकल जाये .गनीमत है कि  अभी गौतम सर अकेले हैं .माना  कि  दोनों कि बीच स्वर्ग से भी महान गुजरात कि सुपुत्र  होने कि रिश्ते हैं इसलिए दोनों में घरोबा   है .मोदी जी की फितरत  में व्यापार है और अडाणी की फितरत   में भी  .जब दो एक जैसी  फितरतें मिलती हैं तो फितूर पैदा होते ही हैं .तब गांधी और सरदार पटेल वाला गुजरात बदनाम होता ही है .मोदी और अडाणी वाला गुजरात  गांधी और सरदार बल्ल्भ भाई पटेल जैसा नहीं है. तमाम  गुजराती भाई  देश का पैसा  लेकर  अन्तर्ध्यान     हो चुके हैं .इन भगोड़ों  को माननीय प्रधानमंत्री और  देश की प्रतिष्ठा की चिंता होती  तो ये भागते ही क्यों ? भारत में रहकर ही संघर्ष न करते ?
मै ऐसी  कोई भविष्यवाणी  नहीं कर सकता की मोदी जी कंधे पर लदे अडाणी की वजह से भाजपा या मोदी जी को भारी नुक्सान होगा .ये देश उदार और स्मृति दोष कि शिकार लोगों का देश है .सब भूल जाता है .इसीलिए  बार -बार  गलती  करता  है .देश की गलतियों  से ही मोदी जी जैसे दरियादिल  नेता और अडाणी जैसे छाकट उद्यमी बचते आ रहे हैं .2019 में बचे  कि  नहीं,ये बात  और है कि  भाजपा की सीटें  घाट  गयीं  थी. देश में सहाराश्री  जैसे महान देशभक्तों  का आजतक  क्या  बिगड़ा  ? जब उनका  कुछ नहीं बिगड़ा  तो अडानी जी का क्या  और क्यूँ बिगड़ेगा ? हमारे स्वर्गीय  मित्र  प्रदीप  चौबे कहते थे कि -' जिस पै सत्ता  का हस्त  है प्यारे,उसका  पिल्ला  भी मस्त  है प्यारे .'फिर गौतम अडाणी जी पिल्ला नहीं एक जीते -जागते  उद्यमी हैं .उनका क्या बिगड़ेगा ? इसलिए देश को मोदी जी और अडाणी जी का पिंड  छोड़  देना  चाहिए .
ईश्वर जानता  है कि  दोनों ने  मिलकर  देश को समृद्ध  बनाने  कि लिए ही सारे  पापड़  बेले और बदले  में इन दोनों को ही बदनामी  का सामना  करना पड़  रहा है. जबकि  होना  ये था कि  एक को भारत रत्न  और दुसरे  को पद्मबिभूषण सम्मान  मिलना चाहिए था   

नोट: प्रतिक्रिया अवश्य दें,मौन न रहें 🙏

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