राजकुमार गुप्ता
हे संकट मोचन प्रभु मैं अपना जीवन आपके चरणों में समर्पित करता हूं। जो अच्छा लगे वह कर देना। बस, यह मेरा जीवन व्यर्थ ना जाए।

अरे, यह क्या बात हुई कि वह मेरे वह मेरी मांग पूरी नहीं करते। भाई यह मनुष्य का जीवन मांगने के लिए मिला है क्या ? 
मेरे प्रभु हनुमान जी सब समझते हैं, वो ज्ञान विज्ञान के महासागर है। उनके आश्रित रहो। और ये क्या बात हुई कि "वो मेरी मांग पूरी नहीं करते" जो मिलना होगा वो बिन मांगे मिल जाएगा। मांगने की जरूरत नहीं। अगर प्रभु से मांगना ही है तो यह मांगों कि "प्रभु आप के चरणों में भक्ति हो जाए, मैं कैसी भी परिस्थिति में रहू। प्रभु कभी आपको भूलूं नहीं। यह मेरा जीवन व्यर्थ ना जाए। जो आपको अच्छा लगे वह कर देना। जो आपको ऐसा लगे कि आपसे मेरा संबंध हट जाएगा। तो आप उसे मेरे मांगने पर भी कभी भी पूरा नहीं करना। प्रभु आप सब समझते हैं, आप ज्ञान - विज्ञान के महासागर है। मैं आप पर आश्रित हूँ। इसलिए प्रभु मैं अपना जीवन आपके चरणों में पूरी तरह से समर्पित करता हूँ। सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना। संकट कटे मिटे सब पीरा,जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।
जय जय हनुमत बलबीरा। जय जय श्रीबजरंगबली।

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