गन्ने की बुवाई कर रहे किसान के खेत में पहुचे कृषि वैज्ञानिक




रामकुमार यादव



बहराइच (ब्यूरो) बसंत कालीन गन्ने की बुवाई पर
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के  कुलपति प्रो बिजेंद्र सिंह एवं प्रसार निदेशक प्रो ए पी राव के कुशल नेतृत्व में संचालित कृषि विज्ञान केंन्द्र नानपारा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष ने बताया की बढ़ते तापमान एवं सरसों कटाई से खाली हुए खेतों में इस समय किसान गन्ने की बसंत कालीन  में बुवाई करें। डॉ  के एम सिंह ने बताया कि 1 एकड़ गन्ना बोने के लिए 50 किग्रा डीएपी 25 किग्रा, यूरिया एवं 25 किग्रा म्युरेट ऑफ पोटाश अथवा 150 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट 50 किग्रा यूरिया एवं 25 किग्रा म्युरेट ऑफ पोटाश अथवा एनपीके (12: 32:16) का 75 किलोग्राम एवं यूरिया 20 किलोग्राम एक किसान के पास एनपीके 10-26-26 है, तो 100 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से बुवाई के समय कूडों 10 कुंतल गोबर की खाद के साथ प्रयोग करें। डॉ हर्षिता ने बताया किसान गन्ने के बीज को उपचारित करके बुआई करें। बीज उपचार के लिए 100 लीटर पानी में 200 ग्राम कर्बेंडाज़िम 1 किग्रा यूरिया 100 मिली जायमेक्स घोल बनाकर चौड़े मुंह बाले बर्तन में 6 से 8 मिनट डुबोकर उपचारित करें। डॉ एस बी सिंह ने बताया कि गन्ने के कुंडों को दो-दो फुट एवं 4 फुट की दूरी पर निकाले अथवा ट्रेंच ओपनर के माध्यम से पूर्ण खोलें। डॉ अरुण कुमार ने बताया कि गन्ने की नवीन अगेती प्रजाति को.से. 01235, कोशा 13235, को. 15023 को. लख. 14201, को. 87263 को. 87268 को. 89029 को.लख. 9484 को.  0232 को. से. 01421 को. लख. 12207 एवं सामान्य देरी प्रजाति को. से. 96436 को. से. 08452 को लख. 12209 का प्रयोग करें।

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