उतरौला क्षेत्र में जगह जगह चल रहे नर्सिंग होम मरीजों के शोषण का बनें माध्यम
उतरौला बलरामपुर
तहसील क्षेत्र में जगह जगह चल रहे नर्सिंग होम मरीजों के शोषण का माध्यम बने हुए हैं। इनके बोर्ड पर डॉक्टरों के नाम अंकित हैं लेकिन असलियत में इन अस्पतालों का संचालन हाई स्कूल व इंटर के बाद बीयूएमएस के डिग्रीधारक कर रहे हैं। अधिकांश डॉक्टर मर्ज का इलाज गूगल पर देखकर कर रहे हैं। बिना जानकारी गूगल बाबा के सहारे इन अस्पतालों में हर मर्ज का इलाज होता है। हर असाध्य बीमारी को ठीक करने का ठेका ऐसे डॉक्टरों के द्वारा ले लिया जाता है। मरीजों का आर्थिक दोहन इन नर्सिंग होम का एक सूत्री लक्ष्य होता है। इनके बोर्ड में लिखे डॉक्टर का कोई अता पता नहीं लेकिन नाम व डिग्री से अस्पताल चल रहा है। मनकापुर रोड पर स्थित खलीउल्ला हॉस्पिटल में अस्पताल के बोर्ड पर तीन या चार डिग्री धारी डॉक्टरों के नाम हैं। उन्हीं के नाम पर अस्पताल का रजिस्ट्रेशन है। लेकिन आज तक उन डॉक्टरों को यहां देखा ही नहीं गया है। अस्पताल के संचालक डॉक्टर के रूप में जाने जाते हैं उनका मेडिकल लाइन से कोई वास्ता नहीं है। आशा संगिनी व ग्रामीण क्षेत्रों में फैले दलालों के सहारे मरीज यहां लाए जाते हैं। यहां इलाज के दौरान यदि केस बिगड़ जाए तो केस को अपने परिचित नर्सिंग होम में कमीशन लेकर भेज देते हैं। इस अस्पताल का प्रमुख धंधा प्रसव कराने का है। सादु्ल्लाह नगर, पेहर, महदेइया, चमरूपुर, रेहरा, हासिमपारा, महुआ बाजार, श्रीदत्तगंज, पिपरा एकडंगा, पिपरा राम, चिरकुटिया समेत छोटे-छोटे बाजारों में नर्सिंग होम खुले हुए है जिनका लाइसेंस भी नहीं जारी है लेकिन काम नियमित रूप से चल रहा है। ऐसे अवैध अस्पतालों पर छापेमारी भी की गई लेकिन कार्यवाही ना होने से मौत के सौदागर बेखौफ अभी भी लोगों की जिंदगी से खेल रहे हैं। ऐसे अस्पतालों पर शिकंजा कसने के लिए पांच फरवरी को डिप्टी सीएमओ, एसडीएम व सीएचसी अधीक्षक ने लाइफ केयर हॉस्पिटल का निरीक्षण किया गया था। लक्ष्मी जी की कृपा से कोई कार्यवाही नहीं की गई। दिलचस्प तथ्य यह है कि हॉस्पिटल का निरीक्षण करने की सूचना पाने के बाद क्षेत्र के सारे हॉस्पिटल व पैथोलॉजी बंद हो जाते हैं।
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