बलरामपुर जिले की सबसे पुरानी तहसील उतरौला क्षेत्रवासियों को आजादी से अब तक नहीं मिली रेल की सुविधा


उतरौला बलरामपुर जिले की सबसे पुरानी तहसील उतरौला होने के बावजूद भी क्षेत्रवासियों को आजादी के 7 दशक बीत जाने के बाद भी रेल की सुविधा अभी तक क्षेत्रवासियों को नसीब नहीं हो सका इस तहसील से अलग होकर गोंडा की मनकापुर व बलरामपुर की तुलसीपुर में बने हैं इन जगहों पर ट्रेन की सुविधा उपलब्ध हैं तहसील उतरौला से सबसे ज्यादा लोग मजदूरी के लिए छोटे बड़े शहरों में व्यापार करने के लिए आते जाते हैं तहसील क्षेत्र वासियों को रेल की सुविधा न होने से शहरों में जाने के लिए असुविधा का सामना करना पड़ता है साथ ही साथ छोटे व्यापारियों को परिवहन की बस करने में  असुविधा होती है देश के विभिन्न जगहों से कारोबारियों का कच्चा माल तैयार 

वस्तुओं को मंगवाने मेंअधिक भाड़ा देना पड़ता है जिससे वस्तुओं की लागत बढ़ जाती है नतीजा यह मिलता है की व्यापारियों के लाभ में कटौती व उपभोक्ताओं को महंगे दामों में खरीदारी करनी पड़ती है यही मुख्य कारण है कि क्षेत्र में कोई बड़ा उद्योग धंधा नहीं पनपने पा रहा है मजबूरन तहसील क्षेत्र के निवासियों को पलायन करने पर मजबूर होना पड़ता है क्षेत्र के ज्यादातर लोग महाराष्ट्र मध्य प्रदेश गुजरात राजस्थान तमिलनाडु बांग्लादेश आदि प्रदेशों में जाकर कुछ लोग वहां पर छोटे-मोटे कारोबार जमा लिए हैं लेकिन अधिकतर लोग अपने मेहनत मजदूरी पर ही निर्भर हैं क्षेत्र में रेल की सुविधा न होने से ऐसे लोगों को आपात स्थिति में घर लौटने पर सबसे ज्यादा असुविधा होती है साथ ही साथ सामान्य यात्रा के दौरान ट्रेन पकड़ने के लिए लगभग 50 किलोमीटर की दूरी गोंडा व 30 किलोमीटर की दूरी बलरामपुर ही एक सहारा है गोंडा बलरामपुर जाने के लिए रात्रि 9:00 बजे के बाद परिवहन निगम की बस व प्राइवेट टैक्सी वगैरा न मिलने पर परेशानी उठानी पड़ती है। 


उतरौला बलरामपुर समाजसेवी लोकतंत्र रक्षक सेनानी चौधरी इरशाद अहमद गद्दी ने कई बार रेल लाइन बिछाने की मांग को लेकर प्रदर्शन व अनशन किया लेकिन रेल का सफर का लाभ उतरौला क्षेत्र वासियों को नहीं मिला इसी तरह उतरौला विकास मंच के माध्यम से रेलवे लाओ संघर्ष समिति ने भी आंदोलन किया लेकिन जनप्रतिनिधियों के उपेक्षा से यहां के लोग रेल की सुविधा से वंचित हैं लोगों का कहना है की बलरामपुर उतरौला वाया डुमरियागंज रेल लाइन का सर्वे का काम हो चुका है लेकिन बजट न मिलने के कारण आगे की  कार्यवाही नहीं हो पाई है भगवान के सहारे पड़ा है देखो कब होता है

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